शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. laden casette collection
Written By
Last Updated : बुधवार, 19 अगस्त 2015 (11:09 IST)

क्या है ओसामा बिन लादेन के 1500 टेप्स में?

क्या है ओसामा बिन लादेन के 1500 टेप्स में? - laden casette collection
- रिचर्ड फेंटन स्मिथ 
 
साल 2001 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला शुरू किया तो ओसामा बिन लादेन को कंधार छोड़ना पड़ा। ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान में वर्ष 1997 से रह रहे थे।
अल कायदा को कई इमारतें आनन-फानन में रातों-रात खाली करनी पड़ी थीं। इसमें एक वो इमारत भी थी जो तालिबान के विदेश मंत्रालय के सामने थी। वहां अल कायदा के बड़े-बड़े पदाधिकारी मिला करते थे।
 
इस इमारत के अंदर से लूटे गए समान में एक अफगान परिवार को 1500 कैसेट मिले थे। इसे वो कैसेट की एक स्थानीय दुकान पर ले गए। तब तक तालिबान का शासन खत्म हो चुका था और तालिबान के शासन में प्रतिबंधित पॉप म्युजिक के कारोबार से पैसा बनाया जा रहा था।
 
अल कायदा की ऑडियो लाइब्रेरी : इन कैसेटों में भी हिट पॉप गानों को भरा जाना था लेकिन तब तक सीएनएन के एक कैमरामैन को इसके बारे में पता चल गया और उन्होंने दुकानदार से टेप देने की गुजारिश की।
उन्होंने दुकानदार को समझाते हुए कहा कि इन ऑडियो टेप में अहम जानकारियां हो सकती हैं। वो सही थे। ये कैसेट अल कायदा की ऑडियो लाइब्रेरी थी। मैसाच्यूसेट्स के विलियम कॉलेज में 'अफगान मीडिया प्रोजेक्ट' के तहत इन टेप्स को विश्लेषण के लिए फ़्लैग मिलर को सौंपा गया।
 
 

फ्लैग मिलर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में अरब साहित्य और संस्कृति के विशेषज्ञ हैं। वो अब तक इन सारे ऑडियो टेप को सुनने वाले अकेले शख्स हैं। मिलर वर्ष 2003 में मिले धूल भरे दो बक्सों को याद करते हुए कहते हैं, 'मैं तीन दिन तक यह सोच-सोचकर सो नहीं पाया कि इसके मायने क्या हैं।'
ओसामा की आवाज : एक दशक बीतने के बाद मिलर ने इस पर किताब लिखी है। इस किताब का शीर्षक 'द ऑडेशियस असेटिक' है। ये टेप वर्ष 1960 के दशक से लेकर वर्ष 2001 तक के थे। इसमें 200 से ज्यादा अलग-अलग लोगों की आवाज है, जिसमें ओसामा बिन लादेन की भी आवाज है। उनकी आवाज पहली बार वर्ष 1987 की रिकॉर्डिंग में दर्ज है जब अफगान-अरब मुजाहिदीन और सोवियत स्पेत्नेज कमांडो के बीच लड़ाई चल रही थी।
 
मिलर का कहना है, 'बिन लादेन एक मजबूत चरमपंथी के रूप में अपनी छवि गढ़ना चहते थे लेकिन ये आसान नहीं था। वो एक सजीले बांके जवान के रूप में जाने जाते थे जो डिजाइनर बूट पहनता है। लेकिन वो खुद की मार्केटिंग करने के मामले में बहुत समझदार थे और इस संग्रह में मौजूद टेप भी इस बात की तस्दीक करते हैं।'
 
संग्रह : इस संग्रह में 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के शुरू में सऊदी अरब और यमन में दिए गए ओसामा बिन लादेन के भाषण मौजूद हैं।
 
मिलर ने बताया, 'बिन लादेन के भाषणों में सबसे दिलचस्प बात उनका ये कहना है कि अरब प्रायद्वीप को खतरा है, लेकिन दुश्मन कौन है? पश्चिमी देश या अमेरिका नहीं, उसके उलट अन्य मुसलमान हैं।' आखिरकार अमेरिका ही लादेन का प्रमुख निशाना बन गया था लेकिन शुरू के भाषणों में 'दूर के इस दुश्मन' के बारे में कोई उल्लेख नहीं था।
मिलर ने बताया, 'वे सबसे पहले एक शिया है। वे इराक की बाथ पार्टी के समर्थक हैं। वे कम्युनिस्ट और मिस्र में नासिर की पार्टी के समर्थक है। लादेन सच्चा मुसलमान कौन है इसको जिहाद का सवाल बनाना चाहते थे।'
 
इस संग्रह में भाषण और उपदेशों के अलावा कुछ असामान्य चीजें भी हैं। इन असामान्य चीजों में एक बातचीत भी है जो एक अरबी आदमी के देह पर आए जिन्न के साथ है।
 
प्रेरणा : टेप में इस्लामी गाने और मुजाहिदीनों को प्रेरित करने वाले संगीतमय संदेश भी हैं। मिलर का कहना है, 'कइयों के लिए जिहाद में उतरने का यह दिल से गुजरने वाला रास्ता है।'
 
टेप में अप्रत्याशित रूप से महात्मा गांधी का भी नाम है। सितंबर 1993 में एक भाषण के दौरान लादेन को महात्मा गांधी को अपने प्रेरणास्रोत के रूप में जिक्र करते हुए सुना जा सकता है।
 
यह इस संग्रह का पहला भाषण है जिसमें लादेन अपने समर्थकों से अमेरिकी सामान का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। लादेन कहते हैं, 'ग्रेट ब्रिटेन के बारे में जरा सोचिए जो इतना विशाल सम्राज्य था और जिसके बारे में कहा जाता था कि इस सम्राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता।'
 
ऐलान : ओसामा कहते हैं, 'जब एक हिंदू गांधी ने ब्रिटेन के बनाए गए सामान का बहिष्कार किया तो उन्हें अपने सबसे बड़े उपनिवेश से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। हमें आज अमेरिका के खिलाफ यही करना चाहिए।'
मिलर ने बताया, "अमेरिकी दबाव में लादेन की सऊदी नागरिकता वर्ष 1994 में छीन ली गई और इसके साथ ही वो अपनी संपत्ति से भी हाथ धो बैठे इसलिए वे बौखला गए। लादेन इसके बाद अपने समर्थकों को उकसाने के लिए बेताब हो गए और वर्ष 1996 में तोरा बोरा में दिए गए अपने भाषण में उन्होंने यह किया भी।'
 
लादेन के इस भाषण को अक्सर जंग के ऐलान के रूप में देखा जाता है, लेकिन मिलर कहते हैं, 'भाषण की पूरी रिकॉर्डिंग सुनने के बाद लगता है कि यह पूरी तरह से सच नहीं है।'