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Last Updated : बुधवार, 30 मई 2018 (21:12 IST)

कामसूत्रः महिलावादी या काम वासना की किताब

कामसूत्रः महिलावादी या काम वासना की किताब - kama sutra feminist book
- सौतिक बिस्वास
 
क्या कामुक प्रेम के बारे में लिखी दुनिया की सबसे पुरानी किताब 'कामसूत्र' को भारत की समृद्ध धरोहरों में एक अहम साहित्यिक कृति के रूप में जगह देने की जरूरत है? शिकागो विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली और हिंदुवाद पर करीब आधा दर्जन किताबें लिखने वाली अमेरिकी विद्वान वेंडी डॉनिगर ऐसा ही मानती हैं।
'कामसूत्र' को वात्स्यायन ने संस्कृत में लिखा था। उनके बारे में दावा किया जाता है कि वो खुद ब्रह्मचारी थे। प्रेम और सेक्स पर शायद यह सबसे अधिक चर्चित किताब है।
 
आप गूगल पर कामसूत्र टाइप करें और सिर्फ कुछ सेकंडों में करीब एक करोड़ 40 लाख परिणाम आपके सामने होंगे। यहां आपको कामसूत्र कंडोम, खिलौने, हाथ की घड़ियां और मीरा नायर की इसी नाम से बनाई गई फिल्म मिल जाएगी।
 
'कॉस्मोपोलिटन' मैगजीन ने ‘कास्मोस कामसूत्र’ प्रकाशित किया था, जिसमें 12 नई सेक्स भंगिमाओं के बारे में बताया गया था। पढ़ें विस्तार से...
 
हो सकता है कि उन कारणों में से ये भी एक कारण हो, जिसकी वजह से डॉनिगर इस किताब को लेकर लोगों के बीच बनी गलतफहमियों को दूर करने के बारे में सोच रही हैं। उन्होंने कामसूत्र का अनुवाद भी किया है।
 
डॉनिगर ने मुझे बताया, 'लोग सोचते हैं कि सेक्स के आसनों के बारे में यह एक बकवास या एक गंदी किताब है और इसे पढ़ने में उन्हें शर्म आती है।'
 
वो कहती हैं, 'मैं चाहती हूं कि लोग ये जानने के लिए इसे पढ़ें कि यह किताब एक सबसे सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरतम संबंधों के बारे में है, कि यह किताब बारीक से बारीक मनोवैज्ञानिक कारणों के बारे में है और इसमें बहुत बढ़िया सलाह दी गई है कि कैसे शादी की जाए और कैसे शादी को खुशहाल बनाए रखा जाए और हां, यह भी कि विवाहित या कुंआरे इंसान के साथ कैसे संबंध बनाया जाए।'
 
नई किताब : कामसूत्र और असंभव सेक्स आसनों के बारे में लोगों की पुरानी सोच को बदलने के लिए डॉनिगर की एक नई किताब मेयर्स ट्रैप आई है, जिसे स्पीकिंग टाइगर ने प्रकाशित किया है।
 
डॉनिगर के मुताबिक, 'कामसूत्र' एक बेहद बारीक और साहसिक किताब है जो महिलाओं के लिए यौन आजादी को मानती है और आज के शुद्धतावादी सेंसर वाले जमाने में यह लिखी गई होती तो बहुत लोगों के गुस्से का कारण बन गई होती।
 
हो सकता है किसी को ये लगे कि अपनी लगभग पूरी किताब में वात्स्यायन ने संतान पैदा करने के विचार की बजाय केवल यौन सुख पर ध्यान दिया है।
 
लेकिन, एक तरह से, वो प्राचीन हिंदू किताब 'मनुस्मृति' में बताए धर्म की नैतिकता और जिम्मेदारियों को चुनौती देते हैं। मनुस्मृति के अनुसार, आदमी का कर्तव्य है कि वो अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करे जब गर्भ धारण की स्थितियां हों।
 
डॉनिगर लिखती हैं कि पराई महिला या पुरुष के साथ संबंध बनाने को लेकर भी 'कामसूत्र' में बहुत कम पूर्वाग्रह हैं। असल में वात्स्यायन अपनी पूरी किताब में दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाने के कई तरीके बताते हैं। वो ऐसे सैकड़ों दांव-पेंच बताते हैं जिसके द्वारा कोई आदमी किसी और की पत्नी के साथ संबंध बना सकता है।
 
अगले पन्ने पर क्या महिलावादी या काम वासना की किताब, जानिए....

मनुस्मृति और कामसूत्र : लेकिन दूसरी ओर विवाहेतर संबंधों के बारे में वो अपनी ही बात को काटते हैं और अंत में इसके नुक्स निकालते हुए ऐसा न करने करने की चेतावनी देते हैं और दूसरों की पत्नियों की रक्षा करने की सलाह देते हैं।
डॉनिगर कहती हैं कि घर में महिलाओं की हिस्सेदारी, तलाक और विधवा विवाह के बारे में 'मनुस्मृति' के मुकाबले 'कामसूत्र' में ज्यादा खुले विचार अपनाए गए हैं।
 
'कामसूत्र' में पत्नी के जिस सबसे बड़े अधिकार के बारे में बात की गई है, वो है परिवार का खर्च चलाना। जबकि 'मनुस्मृति' में कहा गया है कि एक पत्नी को खुले हाथ से खर्च करने वाली नहीं होना चाहिए।
 
डॉनिगर के मुताबिक, वात्स्यायन महिलाओं की यौनिकता के पक्ष में तर्क देते हैं और हाल तक यूरोप में जो मान्यता थी उससे भी कहीं अधिक सुंदर तरीके से।
 
वो प्राचीन किताबों में लिखे उन पुराने पितृसत्तात्मक विचारों को भी खारिज करते हैं, जिनमें उस महिला को क्रूर सजा देने का सुझाव है, जो अपने पति के अलावा किसी और के साथ संबंध बनाती है।
 
किसी संबंध को संपन्न करने के तरीकों के बारे में महिलाओं की सोच को लेकर भी कामसूत्र में बहुत जानकारी है। इसमें आश्चर्यजनक रूप से लैंगिक रुझान के आधुनिक विचारों के बारे में भी लिखा गया है।
 
समलैंगिकता के बारे में यह पूरी तरह पूर्वाग्रहमुक्त है और इसमें जो टिप्पणियां की गई हैं, वो बाईसेक्सुअलिटी की ओर इशारा करती हैं।
 
आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक : डॉनिगर लिखती हैं, 'लैंगिक रुझान के बारे में कामसूत्र के विचार, आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक हैं, जैसा हमें पहले से ही पता है। इसके जनाना और मर्दाना व्यवहारों के स्टीरियोटाइप वाकई शानदार हैं।' 
 
'कामसूत्र में महिलाओं की शिक्षा और यौन आजादी पर रुख के बारे में भी रोशनी डाली गई है। समलैंगिक गतिविधियों पर भी इसमें खुले विचार रखे गए हैं, जो कि प्राचीन भारत की किसी अन्य किताब के मुकाबले कहीं ज्यादा उदार है या कई मामलों में यह आधुनिक भारत से भी अधिक खुले विचार वाला है।'
 
तो क्या कामसूत्र एक महिलावादी किताब है या कामुक प्रेम वाली किताब?
 
डॉनिगर बताती हैं, 'खास संदर्भ में मैं इसे महिलावादी किताब नहीं कहूंगी, क्योंकि इसका मुख्य मकसद महिला अधिकारों के बारे में नहीं है और इसका बहुत सारा हिस्सा पुरुषों को संबोधित है, जिसमें उन्हें महिलाओं पर काबू पाने के तरीके बताए गए हैं।'
 
महिलाओं की बराबरी : 'लेकिन मेरा मानना है कि महिलाओं की बराबरी को लेकर महिलावादियों के तर्क के लिए यह काफी मददगार है, मसलन, यौन सुख के बारे में उनकी बराबर की दावेदारी आदि।'
 
डॉनिगर मानती हैं, 'आश्चर्यजनक रूप से यह एक बेहतरीन किताब है जिसके बारे में भारत में उस समय लोगों को मालूम था, जब यूरोपीय लोग सांस्कृतिक रूप से अभी पिछड़े थे। यह आज भी प्रासंगिक है।'
 
वो कहती हैं, 'एक बुनियादी मनोविज्ञान बार-बार सही साबित होता है और आज की दुनिया में यौन हिंसा का जो स्तर है, उसमें इस तरह की एक ऐसी किताब की सख्त जरूरत है जो यौन इच्छा के स्याह पहलू को नियंत्रित करने और साथी की भावनाओं की इज्जत करने के बारे में हमें ज्ञान दे सके।'
 
'विशेष रूप से यह आदमियों को अपनी काम भावनाएं नियंत्रित करने की हिदायत देती है, जो अक्सर बलात्कार के रूप में सामने आती हैं। इसलिए मैं महसूस करती हूं कि यह किताब 21वीं शताब्दी के लिए बेहद प्रासंगिक है।'