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भाई पर बहन को देवदासी बनाने का आरोप

भाई पर बहन को देवदासी बनाने का आरोप - Devdasi karnataka
-इमरान क़ुरैशी
 
कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में एक बीस वर्षीय युवती को 'देवदासी' बनाने के लिए दबाव डालने के आरोप में पुलिस ने नौ लोगों के ख़िलाफ़ महिला का शील भंग करने का मामला दर्ज किया है। युवती ने अपनी माँ और दो बहनों के साथ थाने पहुँचकर शिकायत की जिसके बाद मामला दर्ज कर अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया।
 
मामला बेल्लारी ज़िले के होस्पेट तालुका के मरियामनाहल्ली गाँव का है। गिरफ़्तार किए गए लोगों में लड़की के भाई भी हैं, जो उसकी मंगनी किए जाने के ख़िलाफ़ थे।
 
सामान्य जीवन की चाह : पुलिस कार्रवाई के बाद युवती ने कहा कि मैं नहीं चाहती कि कोई लड़की ऐसी हिंसा का सामना करे और देवदासी बनने के लिए मजबूर हो। मैं सामान्य ज़िंदग़ी बसर करना चाहती हूं। मैंने दसवीं पास की है और मेरे मंगेतर ने मुझे आगे पढ़ाने का वादा किया है। वो राज मिस्त्री हैं।
 
बेल्लारी के पुलिस अधीक्षक चेतन राठौड़ ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या ये पता चलता है कि उसकी माँ भी एक समय देवदासी रही है। 1982 के कर्नाटक देवदासी क़ानून के तहत राज्य में देवदासी प्रथा को बंद कर दिया गया था। इस प्रथा के तहत लड़कियों को यौवनावस्था शुरू होते ही येल्लमा देवी को समर्पित कर क़स्बों और बड़े शहरों के वेश्यालयों में भेज दिया जाता था। इनमें ज़्यादातर लड़कियाँ निचली जातियों की होती थीं।
 
पढ़ी-लिखी लड़की : देवदासी प्रथा के ख़िलाफ़ क़ानून होने के बावजूद उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में इस प्रथा के चालू होने की रिपोर्टें आती रहती हैं। 13 फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक समाजसेवी संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से क़ानून को सख़्ती से लागू करने के लिए कहा था। संस्था ने बड़ी संख्या में युवतियों को येल्लमा देवी को समर्पित किए जाने की शिकायत की थी।
 
युवती वाल्मीकि समुदाय से हैं। सोमवार को उसकी मंगनी से कुछ घंटे पहले ही उसके भाइयों और रिश्तेदारों ने उस पर देवदासी बनने के लिए दबाव डाला था। उनकी बड़ी बहन ने कहा, "उन्होंने हमें पीटा क्योंकि मेरी बहन ने देवदासी बनने से इंकार कर दिया। इस युग में कोई भी पढ़ी-लिखी लड़की क्यों देवदासी प्रथा में शामिल होना चाहेगी?"
 
राठौड़ ने बताया, "अभियुक्तों को अदालत में पेश किया गया जहाँ से उन्हें ज़मानत मिल गई है। हमने उन्हें हिंसा न करने की चेतावनी दी है।"