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Last Modified: शुक्रवार, 24 जुलाई 2015 (11:40 IST)

क्या है फांसी की सज़ा देने और अपील की प्रक्रिया?

क्या है फांसी की सज़ा देने और अपील की प्रक्रिया? - death penalty petitions execution
याकूब मेमन ने गुरुवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ एक और याचिका दायर की है। उन्हें 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों का दोषी करार देते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को याकूब के क्यूरेटिव पीटिशन को खारिज कर दिया था। भारत के राष्ट्रपति को भेजी गई उनकी दया याचिका भी अस्वीकार हो गई थी।
मार्च 1993 में मुंबई में एक के बाद एक 12 धमाके हुए थे। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा जख्मी हुए थे। साल 2007 में टाडा कोर्ट ने 53 वर्षीय याकूब मेमन को धमाकों की साजिश में शामिल होने का दोषी पाते हुए फांसी की सजा दी थी। मृत्युदंड की सजा और उस पर अमल की प्रक्रिया पर बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय ने बात की वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी से।
 
पढ़ें बातचीत के चुनिंदा अंश :
भारतीय दंड संहिता के अनुसार मृत्युदंड देने की क्या प्रक्रिया है?
- भारत में दुर्लभतम मामलों में मौत की सजा दी जाती है। सेशन कोर्ट (सत्र न्यायालय) में जब मुकदमे की सुनवाई होती है तो सेशन जज को फैसले में ये लिखना पड़ता है कि मामले को दुर्लभतम (रेयरेस्ट ऑफ द रेयर) क्यों माना जा रहा है।
 
इसलिए बहुत घिनौने तरीके के अपराधों में ही ऐसी सजा दी जाती है। जैसे, निहत्थों, बच्चों या महिलाओं के साथ किए गए बेहद क्रूर अपराध इसके तहत माने जा सकते हैं। लेकिन सेशन जज मृत्युदंड की सजा सुना दे, तो भी इसे तब तक वैध नहीं माना जाता जब हाईकोर्ट की अपील में मंजूरी न मिल जाए, यानी ये एक दोहरी व्यवस्था कायम की गई है।
 
किसी को मौत की सजा तभी मिल सकती है जब सेशन कोर्ट भी उस मामले को 'द रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' माने और उसके बाद हाईकोर्ट भी मामले को यही मानकर सजा दे।
निचली अदालत में मृत्युदंड दिए जाने के बाद उसके ख़िलाफ़ अपील की क्या प्रक्रिया है?
- सेशन कोर्ट में जब मृत्युदंड दिया गया हो तो उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने को रिफ्रेंस कहते हैं। रिफ्रेंस के दौरान दो जज सभी सबूतों को दोबारा देखते हैं। अगर ये दोनों जज मानते हैं कि ये एक ऐसा जुर्म है जिसके लिए मृत्युदंड के अलावा कोई दूसरी सजा काफी नहीं है, तभी मौत की सज़ा सुनाई जाती है।
 
अभियुक्त हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकता है।
 
सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद क्या-क्या रास्ते बचते हैं?
- अगर सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला अभियुक्त के खिलाफ हो तो राज्यपाल या राष्ट्रपति से मृत्युदंड माफ करने की अर्जी दी जा सकती है। और जब तक इस अर्जी पर फैसला न आ जाए दोषी को मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
 
मृत्युदंड की सज़ा माफ़ करने का अधिकार किसके-किसके पास है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड की सजा माफ कर सकते हैं। साथ ही जिस राज्य की अदालत ने मौत की सजा दी है वहां के राज्यपाल के पास भी माफी देने का कानूनी अधिकार है।
 
याकूब मेमन दोबारा सुप्रीम कोर्ट गए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने अभी अपने सारे कानूनी विकल्प नहीं आजमाए हैं, उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास भी दया याचिका दायर की है?
- वो दोबारा माफी के लिए कह सकते हैं। इंसान जब तक जिंदा है, वो जीने की चाह रखता है और उसके लिए जो भी संभव कदम है वो उठाता है। अमेरिका में तो देखा गया है कि कई बार मृत्युदंड देने से पहले रात को भी माफी याचिका दायर हो जाती है और उस पर फिर विचार होता है।
 
याकूब मेमन के मामले में आगे क्या हो सकता है?
- मुझे इस मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए ठोस रूप से नहीं कह सकता। याकूब बहुत दिनों से जेल में बंद हैं तो वो मानसिक रूप से स्वस्थ न होने की बात कह सकते हैं। लेकिन इसके लिए चिकित्सीय सबूत की जरूरत होगी।
 
जो दिमागी रूप से सेहतमंद न हो उसे मौत की सजा देना सही नहीं माना जाता। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जिस इंसान का दिमाग सामान्य नहीं है उसे मौत की सजा देना क्रूरता है।
 
किसी को मृत्युदंड कैसे दिया जाता है?
- सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में दिशा-निर्देश तय किए हैं। जैसे जिसे मौत की सजा दी जा रही हो उसके रिश्तेदारों को कम से कम 10 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए ताकि वो आकर मिल सकें। ये भी व्यवस्था होनी चाहिए कि सजा पाने वाले व्यक्ति के रिश्तेदार उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर सकें।