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Last Modified: शुक्रवार, 29 जनवरी 2016 (11:28 IST)

अच्छी नींद चाहिए? तो चाय पिएं!

अच्छी नींद चाहिए? तो चाय पिएं! - coffee vs tea debate
- डेविड रॉबसन
 
अगर आपसे पूछें कि आपको चाय ज्यादा पसंद है या कॉफी, तो शायद आप दुविधा में पड़ जाएंगे। आजकल ब्रिटेन में इसी पर बहस छिड़ी है कि चाय बेहतर है या कॉफी?
 
पिछली सदी में मशहूर ब्रिटिश लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने चाय को अपने देश की सभ्यता की बुनियाद करार दिया था। मगर, आजकल ब्रिटेन का नेशनल ड्रिंक कही जाने वाली चाय को कैपुचिनो, लाते, एसप्रेसो या अमेरिकानो कॉफी से तगड़ी चुनौती मिल रही है।
चाय के बहुत से शौकीन हैं तो कॉफी चाहने वालों की संख्या भी कम नहीं। ऐसे में, चाय ज्यादा अच्छी या कॉफी की बहस में पड़ना, एक बड़ा खतरा मोल लेने जैसा है। लेकिन, हमने सोचा कि ये रिस्क लें और दोनों को सेहत के पैमाने पर कसें। ताकि, हम आपके लिए इस सवाल का जवाब तलाश सकें।
 
बहस को किसी नतीजे तक पहुंचाने की कोशिश में हमारा जोर स्वाद पर नहीं होगा। हम विज्ञान के आधार पर शोध की मदद से चाय और काफी के शरीर और दिमाग पर होने वाले असर की पड़ताल करेंगे।
 
नींद से जगाना- ज्यादातर लोग चाय-कॉफी इसलिए पीते हैं ताकि सुबह के वक्त, रात की नींद की खुमारी उतार सकें, आगे आने वाले दिन की चुनौतियों के लिए एलर्ट हो सकें। दिन के वक्त भी जब हमें ताजगी की जरूरत होती है तो हम अपनी अपनी पसंद के मुताबिक़ चाय या कॉफी का मग उठाते हैं। चाय और कॉफी दोनों में मौजूद कैफीन, इस काम में लोगों की मदद करती है।
 
अगर कैफीन को पैमाना मानें तो इस मामले में कॉफी, चाय पर 20 नहीं 21 बैठती है। जहां एक कप चाय में 40 मिलीग्राम कैफीन होती है। वहीं, इतनी ही कॉफी में कैफीन 80 से 115 मिलीग्राम तक होती है। लेकिन, यहां भी एक पेंच है। कॉफी की कैफीन की बराबरी करने के लिए अगर कोई उतनी मात्रा में चाय पिए तो ज्यादा अलर्ट महसूस करेगा।
 
एक छोटे से सर्वे से यह बात सामने आई है, लेकिन ये पूरी कहानी नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्तिगत तौर पर हम चाय या कॉफी पीने से क्या उम्मीद करते हैं, शरीर पर उसका असर इस बात पर भी निर्भर करता है।
 
फैसला- शायद तार्किक न लगे, लेकिन नींद की खुमारी उतारने के पैमाने पर कसें तो चाय उतनी ही असरदार है जितनी कॉफी।
 
नींद पर असर- चाय और कॉफी में फर्क खोजना हो तो वो है इनका हमारे सोने से नाता। हम दिन में जितनी चाय या कॉफी पीते हैं, उसका सीधा ताल्लुक़ हमारी रात की नींद से होता है। ब्रिटेन की सरे यूनिवर्सिटी ने इस बारे में रिसर्च की तो इसके दिलचस्प नतीजे मिले। कॉफी पीने वालों को रात में सोने में कुछ मुश्किल होती है।
 
इस शोध के मुताबिक़, यदि एक ही दिन में समान मात्रा में चाय और कॉफी पिएं तो चाय पीने वालों को कॉफी पीने वालों के मुकरबले ज्यादा आसानी से और आराम देने वाली नींद आती है। इसकी वजह शायद, कॉफी में कैफीन की ज्यादा मात्रा हो।
 
फैसला- अच्छी नींद चाहिए, तो चाय कॉफी से बेहतर है।
दांतों पर असर- चाय हो या कॉफी, दोनों ही हमारे दांतों का रंग बिगाड़ने का काम करते हैं। दोनों में मौजूद प्राकृतिक पिगमेंट हमारे झक सफेद दांतों को थोड़ा पीला कर देते हैं।
 
लेकिन, सवाल ये है कि दोनों में से कौन हमारे दांतों को ज्यादा जर्द करता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि चाय हमारे दांतों को ज्यादा खराब करती है। इसमें पाया जाने वाला पिगमेंट दांतों के एनेमल से जाकर चिपक जाता है। और अगर चाय पीने के बाद आपने माउथवॉश इस्तेमाल लिया, तो बात और भी बिगड़ जाती है।
 
फैसला- दांतों का रंग खराब करने के हिसाब से कॉफी के मुकाबले चाय, ज्यादा कसूरवार साबित हुई है।
 
मुश्किल वक्त की साथी- इंग्लैंड में चाय की शोहरत एक और वजह से भी है। परेशानी के पलों में अक्सर लोग अपने साथियों को, जानने वालों को, सुकून देने वाली सलाह के साथ चाय का कप ऑफर करते हैं।
 
इस चलन को इंग्लैंड में, 'टी विद सिम्पैथी' कहा जाता है। कुछ रिसर्च से संकेत मिलते हैं एक कप चाय कई बार परेशान व्यक्ति के लिए दवा का काम भी करती है। यह बेचैनी महसूस कर रहे लोगों को राहत देती है, उनके दिमाग को शांत करती है।
 
एक और रिसर्च से पता चला है कि उलझन या बेचैनी के शिकार लोगों में से जो हर्बल ड्रिंक्स पीते हैं, उनके मुक़ाबले चाय पीने वाले ज्यादा राहत महसूस करते हैं। दिन में औसतन तीन कप चाय पीने वाले लोगों के डिप्रेशन में जाने की आशंका 37 फीसदी तक कम है, उन लोगों के मुकाबले में जो चाय नहीं पीते हैं।
 
बात करें कॉफी की तो वो बेचैनी, उलझन या परेशानी से राहत देती हो, ऐसा नहीं माना जाता। बल्कि उलझन के वक्त कॉफी पीने वाले कई लोगों ने शिकायत की कि उनका दिमाग तो और झनझना उठा।
 
लेकिन, कुछ रिसर्च में यह भी देखा गया है कि कॉफी, लंबी अवधि में लोगों की दिमागी सेहत ठीक रखने में मददगार होती है। अभी हाल ही में करीब 300,000 लोगों पर एक रिसर्च की गई।
 
जब इस रिसर्च के नतीजे जमा किए गए, तो बड़ी दिलचस्प बातें सामने आईं। इसके मुताबिक, रोज एक कप कॉफी पीने से डिप्रेशन की आशंका आठ फीसदी तक कम हो सकती है। इनके मुकाबले अगर आप दूसरे सॉफ्ट ड्रिंक्स पीते हैं तो उनका उल्टा असर होने की बात भी सामने आई है।
 
वैसे, ऐसे तजुर्बों को, ऐसी रिसर्च को बहुत ज्यादा गंभीरता से लेना भी रिस्की है। वैज्ञानिकों की तमाम कोशिशों के बावजूद, यह रिसर्च कितने भी अहतियात के साथ की गई हो, तथ्य यह है कि डिप्रेशन से तमाम तरह के फैक्टर जुड़े हैं। कई चीजों का असर होता है। ऐसे में सिर्फ चाय-कॉफी के असर से राहत मिलती हो या खतरा टल जाता हो, ऐसा दावा करना सही नहीं होगा।
 
फैसला- एक बात जरूरत साफ हो जाती है कि चाय हो या कॉफी, दोनों हमें दिमागी राहत देते हैं। इस मोर्चे पर चाय-कॉफी का मुकाबला बराबरी पर छूटता है। सेहतमंद रहना हो तो- तमाम रिसर्च, इस बात की ओर इशारा करते हैं चाय और कॉफी दोनों ही हमारी सेहत के लिए फायदेमंद हैं। इनमें कई ऐसे गुण हैं, केमिकल हैं, जो हमें फायदा पहुंचाते हैं।
 
हम चाय पिएं या कॉफी, रोजाना इन्हें दो-तीन कप पीने से कुछ बीमारियां होने का रिस्क कम होता है - मसलन डायबिटीज। पक्के तौर पर तो ये नहीं कह सकते। ऐसे संकेत मिले हैं कि रोजाना चाय या कॉफी पीने से डायबिटीज का रिस्क पांच से 40 फीसदी तक कम होता है। यहां तक कि डिकैफिनेटेड कॉफी से भी कुछ फायदा होता है।
दिल की बीमारियों से बचाने में चाय-कॉफी का कुछ हद तक रोल माना जा रहा है। लेकिन, इस मामले में कॉफी बीस ठहरती है। वहीं कुछ रिसर्च से यह भी पता चला है कि चाय में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स कुछ कैंसर से कुछ हद तक बचाव करते हैं।
 
फैसला- सेहत के मोर्चे पर भी चाय और कॉफ़ी की जंग बराबरी पर छूटती दिख रही है। कुल मिलाकर कहें तो आप अपनी पसंद के मुताबिक, चाय या कॉफी पीते रह सकते हैं। किसी रिसर्च की बुनियाद पर अपना स्वाद बदलने की हम आपको नसीहत नहीं देंगे।

हां, ब्रिटेन में रहने वाले यह जरूर चाहते होंगे कि चाय बनाम कॉफी की जंग में उनकी प्यारी चाय जीते, मगर सेहत से जुड़े तमाम मोर्चों पर यह मुकाबला ड्रॉ ही रहा है।