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यूपी-बिहार के लोगों के बारे में क्या सोचते थे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे?

यूपी-बिहार के लोगों के बारे में क्या सोचते थे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे? - Balasaheb Thackeray
मुंबई की राजनीति में अहम क़द रखने वाले बाल ठाकरे को मुंबई आकर बसने वाले उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ आग उगलने के लिए जाना जाता था। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के जीवन पर फ़िल्म बन चुकी है। 'ठाकरे' फ़िल्म में बाला साहब का किरदार नवाज़ुद्दीन सिद्दिक़ी ने निभाया है। बाल ठाकरे लगभग 46 साल तक सार्वजनिक जीवन में रहे।

उन्होंने न तो कभी कोई चुनाव लड़ा, न ही कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया, फिर भी महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते रहे। मायानगरी मुंबई को अपना गढ़ बनाकर काम करने वाले बाल ठाकरे अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्ख़ियां बटोरते रहे। अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दिक़ी 'ठाकरे' फ़िल्म में शिवसेना के पूर्व प्रमुख बाल ठाकरे का किरदार निभा रहे हैं। उनके कुछ ऐसे ही विवादास्पद बयान इस प्रकार हैं :

मुंबई में परमिट सिस्टम
भारत के अन्य राज्यों से मुंबई आकर बसने वालों के ख़िलाफ़ बाल ठाकरे बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते थे। उत्तर भारत में विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले लोगों के प्रति उनके दिल में नफ़रत साफ़ देखने को मिलती थी। वे कई मौक़ों पर यूपी-बिहार से काम की तलाश में मुंबई आने वाले लोगों पर कड़े शब्द बोलते थे।

बाल ठाकरे के दौर में यूपी-बिहार के लोगों को एक ख़ास शब्द 'भईया' कहकर पुकारा जाने लगा था। मार्च 2010 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायण ने कहा था कि मुंबई में कोई भी रह सकता है। इस पर बाल ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लिखा था, मुंबई धर्मशाला बन गई है, बाहरी लोगों को आने से रोकने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि परमिट सिस्टम लागू कर दिया जाए।

बिहारी को बीमारी बताया
साल 2008 में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने बिहार के लोगों के ख़िलाफ़ ज़हर उगला था। पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में बाल ठाकरे ने बिहारियों के लिए 'गोबर का कीड़ा' कहा था। उन्होंने बिहारियों के लिए 'एक बिहारी सौ बीमारी' जैसी संज्ञा का इस्तेमाल भी किया था। अख़बार ने लिखा कि बिहार में भ्रष्टाचार की गंगा बहती है और इसी वजह से ही गंगा मैली हो गई है। वहां ग़रीबी, भूख, बेरोज़गारी और जातिवाद के साथ अराजक स्थिति है।

सचिन तेंदुलकर पर निशाना
ये नवंबर 2009 की बात है। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे बड़े सितारे सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि मुंबई हर भारतीय की है। सचिन ने ये भी कहा था कि मुझे इस बात पर बड़ा गर्व है कि मैं महाराष्ट्रियन हूं, लेकिन मैं पहले एक भारतीय हूं। इस बयान पर बाल ठाकरे ने सचिन को आड़े हाथों लिया था। बाल ठाकरे ने कहा था कि जब आप चौका या छक्का लगाते हैं तो लोग आपकी सराहना करते हैं, लेकिन यदि आप मराठियों के अधिकारों का उल्लंघन करेंगे या उन पर टीका-टिप्पणी करेंगे तो इससे मराठी मानुष आहत होगा और वो इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। तब बाल ठाकरे ने सचिन तेंडुलकर को क्रिकेट के बहाने राजनीति न करने की नसीहत भी दी थी।

सानिया मिर्ज़ा पर साधा था निशाना
सचिन को नसीहत देने के पांच महीने बाद यानी अप्रैल 2010 में बाल ठाकरे ने टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा पर निशाना साधा था। वजह थी पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक जिनसे सानिया का विवाह होने वाला था। बाल ठाकरे ने एक बार फिर अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कहा था, सानिया यदि भारत के लिए खेलना चाहती हैं तो उन्हें किसी भारतीय को ही अपना जीवनसाथी चुनना होगा और यदि सानिया ने शोएब से ब्याह किया तो भारतीय नहीं रहेंगी, उनका दिल यदि हिंदुस्तानी होता तो किसी पाकिस्तानी के लिए नहीं धड़कता। बाल ठाकरे ने यहां तक कह दिया था कि सानिया अपने खेल की वजह से नहीं बल्कि अपने तंग कपड़ों, फ़ैशन और प्रेम प्रसंगों की वजह से मशहूर हैं।

शाहरुख़ को निशान-ए-पाकिस्तान
पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग में शामिल करने की बात चली तो अभिनेता और कोलकाता नाइटराइडर्स के सह मालिक शाहरुख़ ख़ान ने इस बात का समर्थन किया। इसी वजह से बाल ठाकरे ने शाहरुख़ ख़ान को आड़े हाथों ले लिया। बाल ठाकरे ने तब कहा था कि शाहरुख़ ख़ान को 'निशान-ए-पाकिस्तान' से नवाज़ा जाना चाहिए।

आईपीएल पर प्रतिबंध की मांग
इसके बाद साल 2010 में बाल ठाकरे ने 'क्रिकेट को बचाने' के नाम पर इंडियन प्रीमियर लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी। तब बाल ठाकरे ने अपने बयान में कहा था कि आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने क्रिकेट की 'जेंटलमेंस गेम' वाली छवि ख़राब की है और आईपीएल पर प्रतिबंत लगाकर ही क्रिकेट को बचाया जा सकेगा।
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