पुस्तक समीक्षा : धूप का छोर, भाव-भीने दोहों का आकर्षक संग्रह
सेहबा जाफ़री | मंगलवार,जुलाई 25,2023
धूप का छोर : जैसे सुहानी भोर, जैसे बीता हुआ वह दौर
रचनाकार एवं कवि सीमा पांडे मिश्रा “सुशी” द्वारा रचित पुस्तक “धूप ...
संत कबीर : कबीर ने समाज की दुखती रग को पहचान लिया था...
सेहबा जाफ़री | शनिवार,जून 3,2023
इतिहास गवाह है, आदमी को ठोंक-पीट कर आदमी बनाने की घटना कबीर के काल में, कबीर के ही हाथों हुई। कबीर ने समाज की दुखती रग ...
World Hijab Day विश्व हिजाब दिवस क्यों मनाया जाता है?
सेहबा जाफ़री | शुक्रवार,जनवरी 27,2023
काले हिजाब में से झांकती दो चमकती आंखें बहुत सवाल करती हैं, हंसती हैं, बोलती हैं, नम होती हैं, गुनगुनाती हैं और देख ...
आखिर जिम जाने वाले फिट लोगों को क्यों आता है इतना घातक हार्ट अटैक
सेहबा जाफ़री | शुक्रवार,जनवरी 27,2023
दिन रात आजकल यह एक शब्द फिटनेस हर कहीं सुनाई देता है.... फिर कोई खबर आती है किसी युवा की ... और सब सकते में कि ...
मोहब्बत बरसा देना तुम, सावन आया है …
सेहबा जाफ़री | सोमवार,जुलाई 11,2022
ओ हरीश-चन्द्र! मेरे बच्चोँ के साथ खेलेंगे तेरे बच्चे! अभी ही नया झूला लगाया है अम्मा की छत पे। और तू तो मेरी देवरानी ...
पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
सेहबा जाफ़री | शनिवार,जून 18,2022
फादर्स डे पर सहबा जाफरी की मर्मस्पर्शी कविता-
पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, ...
world bicycle day : तुम लौट आओ कि मेरी मीठी घंटी गुनगुनाने को बेताब है....
सेहबा जाफ़री | बुधवार,जून 1,2022
world bicycle day इस दिन को मनाने का श्रेय अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर लेज़ेक सिबिल्स्की को ...
आवाज़ बढ़ा दे ज़रा, लता दीदी का गाना है...
सेहबा जाफ़री | रविवार,फ़रवरी 6,2022
मैं खुद को फिलिप्स का अपना रेडियो सेट बाहों में भरे फर्स्ट ईयर की अभी अभी जवान हुई लड़की सा महसूस करने लगी, कानों में ...
इब्ने मरियम हुआ करे कोई : ईसा मसीह की इस्लामिक अवधारणा
सेहबा जाफ़री | शनिवार,दिसंबर 25,2021
गूगल के सर्वे के अनुसार ईसा दुनिया भर की दस असरंदाज़ शख्सियतों मे से एक हैं जिनका होना लोगों के दिलों को बदलने के लिए ...
हिन्दी दिवस पर कविता : मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुमने बचपन खेला...
सेहबा जाफ़री | सोमवार,सितम्बर 13,2021
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम जीवन साज पे संगत देते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते
मैं वह भाषा ...