यूं तो मालाएं कई प्रकार की होती हैं; जैसे फूलों की, रत्नों की, बीजों की एवं धातुओं की आदि। कुछ को हम आभूषण के रूप में धारण करते हैं तो कुछ को मन एवं एकाग्रता के लिए न केवल गले में धारण करते हैं बल्कि हाथों से जाप करने के प्रयोग में भी लाते हैं।
माला आपका भाग्य बदल भी सकती है और भाग्य का नाश भी कर सकती है। आपको माला कौन सी और कब धारण करना चाहिए, यह किसी ज्योतिष से पूछकर ही करना चाहिए। हालांकि हम यहां जिन मालाओं का जिक्र कर रहे हैं उससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा। फिर भी आप माला धारण करने से पूर्व किसी ज्योतिष से सलाह अवश्य लें।
यदि जीवन में कोई संकट है, धन का अभाव है, सुख-शांति नहीं है तो आप इन विशेष प्रकार की मालाओं के ये उपाय अपनाकर अपना भाग्य बदल सकते हैं। आओ जानते हैं कौन सी माला पहने का क्या है लाभ...
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वैजयंती के बीजों की माला : वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में वैजयंती के बीजों की माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक है। इस माला को धारण करने के बाद ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है, खासकर शनि का दोष समाप्त हो जाता है।
इसको धारण करने से नई शक्ति तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में मन लगाकर कार्य करता है। इस माला को किसी भी सोमवार अथवा शुक्रवार को गंगाजल या शुद्ध ताजे जल से धोकर धारण करना चाहिए।
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कमल के बीजों की माला : कमल के फूल का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। कमल पुष्प के बीजों की माला को कमल गट्टे की माला कहा जाता है। इस माला को धारण करने वाला शत्रुओं पर विजयी होता है। मां काली की उपासना के लिए काली हल्दी अथवा नीलकमल की माला का प्रयोग करना चाहिए। माता लक्ष्मी की उपासना के लिए कमल गट्टे की माला शुभ मानी गई है।
इसको धारण करने से लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अक्षय तृतीया, दीपावली, अक्षय नवमी के दिन इस माला से कनकधारा स्तोत्र का जप करने वाले को धनलाभ के अवसर मिलते रहते हैं।
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तुलसी के बीजों की माला : तुलसी के बीजों की माला बहुत ही लाभदायक होती है। तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। श्यामा तुलसी और रामा तुलसी। श्यामा तुलसी अपने नाम के अनुसार ही श्याम वर्ण की होती है तथा रामा तुलसी हरित वर्ण की होती है। तुलसी और चंदन की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके लिए मंत्र 'ॐ विष्णवै नम:' का जप श्रेष्ठ माना गया है। मांसाहार आदि तामसिक वस्तुओं का सेवन करने वाले लोगों को तुलसी की माला धारण नहीं करनी चाहिए।
श्यामा तुलसी : श्यामा तुलसी की माला धारण करने से विशेष रूप से मानसिक शांति प्राप्त होती है, ईश्वर के प्रति श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, मन में सकारात्मक भावना का विकास होता है, आध्यात्मिक उन्नति के साथ ही पारिवारिक तथा भौतिक उन्नति होती है। इस माला को शुभ वार, सोम, बुध, बृहस्पतिवार को गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना चाहिए।
रामा तुलसी माला : इस माला को धारण करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास में वृद्धि तथा सात्विक भावनाएं जागृत होती हैं। अपने कर्तव्यपालन के प्रति मदद मिलती है। इस माला को शुभ वार, सोम, गुरु, बुध को गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना चाहिए।
तुलसी के बीजों की माला के अन्य लाभ : तुलसी की माला में विद्युत शक्ति होती है। इस माला को पहनने से यश, कीर्ति और सौभाग्य बढ़ता है। शालिग्राम पुराण में कहा गया है कि तुलसी की माला भोजन करते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य मिलता है। जो भी कोई तुलसी की माला पहनकर नहाता है, उसे सारी नदियों में नहाने का पुण्य मिलता है। तुलसी की माला पहनने से बुखार, जुकाम, सिरदर्द, चमड़ी के रोगों में भी लाभ मिलता है। संक्रामक बीमारी और अकाल मौत भी नहीं होती, ऐसी धार्मिक मान्यता है। तुलसी माला पहनने से व्यक्ति की पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बीमारियों एवं वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभ मिलता है।
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लाल चंदन की माला : चंदन 2 प्रकार के पाए जाते हैं- रक्त एवं श्वेत। चंदन का गुण शीतल है। यदि आपको सर्दी की शिकायत रहती है तो इसे धारण न करें। मां दुर्गा की उपासना रक्त चंदन की माला से करना चाहिए। इससे मंगल ग्रह के दोष भी दूर होते हैं। तुलसी और चंदन की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके लिए मंत्र 'ॐ विष्णवै नम:' का जप श्रेष्ठ माना गया है।
चंदन की माला धारण करने से नौकरीपेशा में उन्नति तो होती ही है, सभी लोग ऐसे व्यक्ति से खुश रहते हैं और सभी उसके मित्र बने रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को सभी ओर से सहयोग प्राप्त होता रहता है। चंदन कई रोगों को शांत करता है, जैसे तृषा, थकान, रक्तविकार, दस्त, सिरदर्द, वात पित्त, कफ, कृमि और वमन आदि।
सफेद चंदन की माला : सफेद चंदन की माला से महासरस्वती, महालक्ष्मी मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का जप करना विशेष शुभ फलप्रद होता है। इसके अतिरिक्त इस माला को मानसिक शांति एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए भी गले में धारण करने से लाभ होता है।
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स्फटिक माला : स्फटिक पत्थर देखने में कांच जैसा प्रतीत होता है। स्फटिक पत्थर से विशेष कटिंगदार मनके बनाकर मालाएं भी बनाई जाती हैं, जो अत्यंत आकर्षक होने के बावजूद अल्प मोली होती हैं। स्फटिक की माला धारण करने से शुक्र ग्रह दोष दूर होता है। माता लक्ष्मी की उपासना के लिए स्फटिक की माला शुभ मानी गई है।
स्फटिक पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है। इसके देवता कालाग्नि हैं। इसके उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है। पुण्य का उदय होता है शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है एवं यह पाप का नाशक है। इसका मंत्र है- 'पंचवक्त्र: स्वयं रुद्र: कालाग्निर्नाम नामत:।।'
सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णत: शांति की अनुभूति होती है एवं सिरदर्द नहीं होता। शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
अत्यधिक बुखार होने की स्थिति में स्फटिक माला को पानी में धोकर कुछ देर नाभि पर रखने से बुखार कम होता है एवं आराम मिलता है।
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मोती, सीप या शंख माला : मोती, शंख या सीप की माला धारण करने वाले को संसार के समस्त प्रकार के लाभ मिलते हैं। इसके पहनने से चन्द्रमा संबंधी सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। यह माला विशेषकर कर्क राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है।
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जामुन की गुठली की माला : जामुन की माला प्राय: मकर व कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी गई है। माना जाता है कि इसको धारण करने से शनि से संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।
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हल्दी की माला : इस माला को हरिद्रा की गांठ से निर्मित किया जाता है। इस माला का विशेष उपयोग पीतांबरा देवी, बगलामुखी मंत्र के जप-अनुष्ठान में किया जाता है। हल्दी की माला विशेषकर धनु एवं मीन राशि वाले जातकों के लिए उपयोगी मानी गई है। हल्दी की माला भाग्य दोष का हरण करती है। हल्दी की माला धन एवं कामना पूर्ति और आरोग्यता के लिए श्रेष्ठ है। ऐसा माना जाता है कि पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को हल्दी की माला पहनाने से पीलिया समाप्त हो जाता है।
यदि गुरु को बलवान बनाना है तो यह माला धारण करें। इसको धारण करने से गुरु ग्रह संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। भगवान गणेश की उपासना के लिए हल्दी और दूब की माला लाभकारी होती है और बृहस्पति के लिए हल्दी या जीया पोताज् की माला का प्रयोग करें।
शत्रु बाधा निवारण के लिए इस माला पर बगलामुखी देवी के मंत्र का जाप किया जाता है। बृहस्पति ग्रह के मंत्र का जाप करने से भी शुभ फल प्राप्त होता है।
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रुद्राक्ष की माला : यह माला किसी ज्योतिष से पूछकर ही पहनें। यह आपके रक्तचाप को कंट्रोल या अनकंट्रोल कर सकती है। आमतौर पर एक से लेकर चौदहमुखी रुद्राक्ष की माला बनाई जाती है। कहते हैं कि 26 दानों की माला सिर पर, 50 की गले में, 16 की बांहों में और 12 की माला मणिबंध में पहनने का विधान है। 108 दानों की माला पहनने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। पद्म पुराण, शिव महापुराण अनुसार इसे पहनने वाले को शिवलोक मिलता है।
शिवपुराण में कहा गया है-
यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:।
न तथा दृश्यन्ते अन्या च मालिका परमेश्वरि।।
अर्थात : विश्व में रुद्राक्ष की माला की तरह दूसरी कोई माला फल देने वाली और शुभ नहीं है।
श्रीमद् देवी भागवत में लिखा है-
रुद्राक्ष धारणच्च श्रेष्ठ न किचदपि विद्यते।
अर्थात : विश्व में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर कोई दूसरी चीज नहीं है। रुद्राक्ष की माला श्रद्धा से पहनने वाले इंसान की आध्यात्मिक तरक्की होती है।
रुद्राक्ष : यह सर्वकल्याणकारी, मंगल प्रदाता एवं आयुष्यवर्द्धक है। पंचमुखी रुद्राक्ष मेष, धनु, मीन, लग्न के जातकों के लिए अत्यंत उपयोगी माना गया है। यह माला सामान्यत: सभी मंत्रों के जप के लिए उपयोगी मानी गई है। रुद्राक्ष की छोटे दानों की माला अधिक शुभ मानी जाती है। जितने बड़े दानों की माला होती है, उतनी ही वह सस्ती भी होती है।
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मूंगे की माला : मूंगे के पत्थरों से बनाई गई इस माला से मंगल ग्रह की शांति होती है, विशेषकर मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी गई है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है अर्थात मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है तथा रक्त से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं। मूंगा धारण करने से मान-स्वाभिमान में वृद्धि होती है एवं मूंगा धारण करने वाले पर भूत-प्रेत तथा जादू-टोने का असर नहीं होता। मूंगा धारण करने वाले की व्यापार या नौकरी में उन्नति होती है। मूंगे को सोने या तांबे में पहनना अच्छा माना जाता है।
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नवरत्न की माला : ज्योतिष शास्त्र की भारतीय पद्धति में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु को ही मान्यता प्राप्त है। असली नवरत्न माला में अनेक गुण पाए जाते हैं। इसे धारण करने मात्र से अनेक सफलता एवं सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
प्रत्येक ग्रह को नवग्रहों में से किसी एक ग्रह विशेष से संबद्ध किया गया है। इस नवरत्न माला में वैज्ञानिक आधार पर निम्न तात्विक सरंचना पाई जाती हैं, जैसे एल्युमीनियम, ऑक्सीजन, क्रोमियम तथा लौह, कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, बैरीलियम, मिनयिम, फ्लोरीन, हाइड्रोक्सिल, जिक्रोनियम आदि तात्विक संरचनाएं पाई जाती हैं।
इस माला में सारे ग्रहों के रत्नों को समाहित किया गया है। इस माला को धारण करने से अनेक लाभ हैं, जैसे यश, सम्मान, वैभव, भौतिक समृद्धि में लाभ के अलावा कफ रोग, शीत रोग, ज्वर रोग आदि रोगों में भी लाभ मिलता है।
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काले सफेद पत्थर की माला : काले-सफेद पत्थर की माला केतु प्रधान व्यक्तियों के लिए लाभकारी होती है।
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मदार और धतूरे की माला : सफेद मदार एवं काले धतूरे की जड़ की माला जादू-टोने व अभिचार कर्मों से रक्षा करती है। इसी तरह शमी की जड़ एवं पुत्र जीव की माला भी होती है जिनका अलग-अलग लाभ मिलता है।
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फिरोजा माला : फिरोजा एक प्रकार का रत्न होता है। यदि पति-पत्नी के बीच मनमुटाव अथवा प्रेम-संबंध आदि में परेशानियों से मुक्ति चाहते हैं तो इस माला से जप करना चाहिए, वांछित लाभ होगा।
इस रत्न माला को धारण करने से समाज, घर, परिवार में सभी के साथ प्रेम बना रहता है। इसे धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा परिवर्तित होती है जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-सौहार्द बढ़ता है। इस माला को शुक्रवार या बुधवार को धारण कर सकते हैं।
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हकीक माला : हकीक अलग-अलग रंगों में पाया जाता है। इसकी माला को रंगों के आधार पर ग्रहों की शांति के लिए भी धारण किया जाता है। इसे किसी ज्योतिष से पूछकर ही धारण करें। हकीक की माला को धारण करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है, आकर्षण में वृद्धि होती है। इस माला को सोमवार या शुक्रवार के दिन धारण करना चाहिए।