शुक्रवार, 22 मार्च 2024
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इन लक्षणों से पहचानें कि व्यक्ति मांगलिक है या नहीं?

mangal badh in lal kitab | इन लक्षणों से पहचानें कि व्यक्ति मांगलिक है या नहीं?
लाल किताब में दो तरह के मंगल होते हैं। एक मंगल बद और दूरा मंगल नेक। मंगल बद का देवता जिन्न है और नेक के देवता हनुमानजी है। लाल किताब में मंगल के बद होने की 14 तरह की स्थितियां बताई गई है। उनमें से केतु से ग्रसित मंगल को सबसे ज्यादा बद माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में मंगल उच्च का और नीच का होता है। इसमें मांगलिक को बद माना जाता है।
 
 
अब यदि किसी की पत्रिका नहीं है तो कैसे जानें कि उक्त व्यक्ति मांगलिक है या कि उसका मंगल बद अर्थात अशुभ है? इसके लिए लाल किताब में मंगद बद वाले व्यक्ति के लक्षणों के बारे में विस्तार से लिखा हुआ है। हालांकि लाल किताब अनुसार प्रत्येक मांगलिक व्यक्ति बुरा नहीं होता।
 
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लाल किताब अनुसार मंगल का सबसे ज्यादा असर आंखों में होता है। हमारी नसों में दोड़ने वाला खून भी मंगल ही है। लाल किताब अनुसार यदि आपकी आंखें सीधा देखते वक्त उसकी पुतलियां उपर उठी हुई है तो आप मांगलिक है और ज्यादा उठी हुई है तो मंगल का असर ज्यादा है अर्थात आप की पत्रिका घोर मांगलिक है या कड़क मंगल है।
 
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मंगल बद या मांगलिक व्यक्ति जुबान के कड़वे होते हैं। बहुतों को उनकी बोली अच्‍छी नहीं लगती। उनकी भाषा से लोगों का दिल दुखता है। ऐसे लोग स्वतंत्र विचारधारा के होते हैं। हालांकि यह दिल के नरम होते हैं। झूठ नहीं बोलते हैं। जहां बहुत जरूरी हो वहीं झूठ बोलते हैं। यह अपने सिद्धांत पर अठिग होते हैं।
 
मंगल बद वाले किसी का जल्दी बुरा नहीं करते लेकिन बुरा करने पर आए तो फिर किसी को छोड़ते भी नहीं है। यह लोगों में एकदम से घुलमिल नहीं पाते। ये खुद को ही ज्ञान, ध्यानी और शक्तिशाली समझते हैं। यदि ये गलत रास्ते पर चले जाएं तो असामाजिक या अपराधी हो जाते हैं और सही रास्ते पर जाएं तो धर्मात्म बन जाते हैं। क्रोध इनके स्वभाव का मूल हिस्सा होता है। अपनी बात को मनवाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
 
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अधिकतर मौके पर देखा गया है कि इनके व्यवहार और सिद्धांत के चलते ये जीवन में बहुत कम सफल हो पाते हैं। यदि ये अपना व्यवहार बदल दें और नम्रता से कार्य करें, लोगों का सम्मान करें, दूसरों की भी सुनें और मानें तो सफल हो सकते हैं। इन्हें आंखों में सफेद या काला सुरमा लगाते रहना चाहिए और जीवन पर्यंत तक हनुमानजी की शरण में रहकर उत्तम चरित्र का परिचय देना चाहिए। यही एक मात्र उपाय है जोकि इन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बना सकता है।
 
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मंगल बद के लक्षण :
* मंगल का असर आंखों में होता है। आंखों की पुतलियां उपर की ओर ज्यादा झुकी होती है।
* यदि मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है।
* भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है।
* बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा हो जाए तो उनकी मौत होने का खतरा बना रहता है।
* मंगल बद होने पर एक आंख से दिखना बंद हो सकता है।
* शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है।
* चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है।
* किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है।
* सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं।
* मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है।
* मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता।
 
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मंगल नेक की निशानी :
* मंगल नेक सेनापति का स्वभाव रखता है। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय और ईमानदार रहता है।
* शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता।
* मंगल अच्छाई पर चलने वाला ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है।
* सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं।
* दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है।
 
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मंगल बद के उपाय :
* जिसका मंगल बद है उसे निरंतर हनुमानजी की भक्ति करते रहना चाहिए।
* मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सूरमा आंखों में डालना चाहिए।
* घर से बाहर निकलते समय गुड़ खाना चाहिए।
* भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए।
* हमेशा क्रोध और वाचालता से दूर रहें।
* पिता और गुरु का सदा सम्मान करें।