• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Vinayak Chaturthi 2024
Written By WD Feature Desk

Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी आज, महत्व, पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी आज, महत्व, पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त - Vinayak Chaturthi 2024
HIGHLIGHTS
 
* विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित पर्व है। 
* आज फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी है।
* हर महीने आने वाली चतुर्थी में आज शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मनाई जा रही है। 

 
Vinayaka Chaturthi : वर्ष 2024 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। यह दिन बुधवार को पड़ने के कारण इस चतुर्थी का महत्व अधिक बढ़ गया है। 
 
मत्स्य पुराण के अनुसार फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी को 'मनोरथ चतुर्थी' कहते हैं। इस दिन पूजन के उपरान्त नक्तव्रत का विधान है। अग्निपुराण में इसको 'अविघ्ना चतुर्थी' की संज्ञा दी गई है। इस चतुर्थी व्रत से हर मनोरथ सिद्ध होते हैं। 
 
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी पड़ती है और हर माह आने वाली शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चतुर्थी व्रत किया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह भगवान गणेश की तिथि है, अत: इस दिन उनका विधि-विधान से पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। 
 
इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर यह व्रत 13 मार्च 2024, दिन बुधवार को मनाया जा रहा है। यहां जानें पूजा के शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि के बारे में... 

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा के शुभ मुहूर्त : 
 
13 मार्च 2024, बुधवार को विनायक चतुर्थी
फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 12 मार्च 2024, मंगलवार 07:33 पी एम से शुरू,
फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी यानी विनायक चतुर्थी का समापन- 13 मार्च 2024, दिन बुधवार को 04:55 पी एम पर।
चतुर्थी पर पूजन का सबसे शुभ समय- 10:25 ए एम से 12:51 पी एम
कुल अवधि- 02 घंटे 26 मिनट्स।
 
राहुकाल- 11:38 ए एम से 01:09 पी एम
गुलिक काल- 10:07 ए एम से 11:38 ए एम
यमगण्ड- 07:04 ए एम से 08:36 ए एम
अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
अमृत काल- 14 मार्च 03:55 ए एम से 05:25 ए एम तक।
 
पूजा विधि : 
 
- विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
- पूजन के समय अपने सामर्थ्यनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन करें।
- फिर अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं।
- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
- अब श्री गणेश को मोदक का भोग लगाएं।
- इस दिन मध्याह्न के समय में श्री गणेश का पूजन करें।
- गणपति पूजा में 21 मोदक अर्पण करें।
- प्रार्थना के समय यह श्लोक पढ़ें- 
'विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। 
कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।'
- पूजन के पश्चात आरती करें।
- चतुर्थी कथा पढ़ें।
- आज के दिन श्री गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेश स्तुति आदि का पाठ करें।
- अपनी शक्तिनुसार उपवास करें।
 
मंत्र-
 
1. 'श्री गणेशाय नम:' 
2. 'ॐ गं गणपतये नम:' 
3. 'ॐ वक्रतुंडा हुं।' 
4. 'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'
5. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
6. एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। 
7. वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ये भी पढ़ें
Second Roza 2024: दूसरा रोजा देता है ख़्वाहिशों पर क़ाबू की सीख