वर्ष 2018 में बैकुंठ चतुर्दशी पर्व 22 नवंबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। कैलेंडर के मतांतर के चलते कई स्थानों पर यह पर्व 21 नवंबर को मनाया जाएगा। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही भगवान कार्तिकेय, राधा-दामोदर, तुलसी-शालिग्राम का पूजन भी किया जाता है।
कार्तिक माह के दौरान जिन लोगों ने मासपर्यंत व्रत या कोई संकल्प नहीं किया है, वह कार्तिक चतुर्दशी व पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थान पर जाकर राधा-दामोदर का विशेष पूजन कर सकते हैं। कार्तिक मास में राधा-दामोदर के साथ शालिग्राम तथा तुलसी के पूजन का विशेष महत्व है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन सुपिंडी श्राद्ध का काफी महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त सिद्घवट व रामघाट पर सुपिंडी श्राद्ध दान किया जाता है। इस दिन विशेष तौर पर यह पूर्वजों के आत्मा की शांति व घर में सुख-समृद्धि के लिए तर्पण, दान तथा पिंड दान करने का विधान है।
क्या करें कार्तिक चतुर्दशी के दिन :
* निर्णय सिंधु की मान्यता के अनुसार कार्तिक चतुर्दशी पर सर्वप्रथम तीर्थ स्नान करें।
* तपश्चात राधा-दामोदर या शालिग्राम-तुलसी का पूजन करके पितरों के निमित्त तर्पण व सुपिंडी श्राद्ध करें।
* राधा-दामोदर का पूजन सुहागिन स्त्रियों के लिए चिर सौभाग्यदायक होता है।
* तुलसी-शालिग्राम का पूजन परिवार में सुख, शांति, समृद्धि के लिए किया जाता है।
* राधा-दामोदर, शालिग्राम तथा तुलसी तथा भगवान कार्तिकेय का पूजन करें।
* पितरों के निमित्त तर्पण व सुपिंडी श्राद्ध करने से सुख की प्राप्ति तथा उच्च वंश को आगे बढ़ाने वाला माना गया है।
* इस दिन पूर्वमुखी होकर श्रीहरि व हर यानी शिव जी का पूजन करना चाहिए।
* गौ घृत (गाय के घी) में केसर मिलाकर दीप जलाएं, चंदन की अगरबत्ती से पूजन करें और केसर चढ़ाएं।
* श्रीहरि को कमल का पुष्प चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं अत: पूजन के समय कमल पुष्प अर्पित करें और मखाने की खीर का भोग लगाएं।
* पूजन के बाद गाय को प्रसाद खिला दें।
अत: हर मनुष्य को इस दिन पितृ तर्पण करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।