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Written By WD

हज़ल : देखते जाओ

हज़ल : देखते जाओ -
शायर---दिलावर फ़िगार

वतन वालो, ये मसनूई' गिरानी देखते जाओ------क़ली, बनावटी
के सस्ता है लहू', महँगा है पानी देखते जाओ

जिन्हें रोटी नहीं मिलती वो दस बच्चों के वालिद' हैं---- पिता
ये इफ़लास' और ये जोश-ए-जवानी' देखते जाओ------ग़रीबी, जवानी का जोश

जो पहले फ़स्ल' उगाते थे अब बच्चे उगाते हैं------ फसल
नए टाइप की ये खेती-किसानी देखते जाओ

हर इक वालिद यहाँ मिस्ले-मुसव्विर' हमसे कहता है-----चित्रकार के समान
के बादे नक़्शे-अव्वल', नक़्शे-सानी' देखते जाओ------पहले चित्र के बाद दूसरा चित्र

ग़रीबों के लिए उसरत', अमीरों के लिए इशरत------परेशानी
मगर मारे गए हम दरमियानी देखते जाओ

'फ़िगार' इस दौर में भी तंज़िया अशआर' कहता है-----व्यंग्य के शे'र
तुम इस शायर की आशिफ़्ता बयानी' देखते जाओ -----बकवा

2.
इक दवात' एक क़लम' हो तो ग़ज़ल होती है-------इंकपोट---पेन
जब ये सामान बहम' हो तो ग़ज़ल होती है---------एक जगह

मुफ़लिसी' इश्क़, मरज़' भूक, बुढ़ापा, औलाद-----ग़रीबी,---बीमारी
दिल को हर क़िस्म का ग़म हो तो ग़ज़ल होती है

भूत आसेब 'शयातीन' अजम्बह' हमज़ाद'----बुरी आत्मा,--शैतान,--अंजाने, अपने
इन बुज़ुर्गों का करम हो तो ग़ज़ल होती है

शे'र नाज़िल' नहीं होता कभी लालच के बग़ैर----अवतरित होना
दिल को उम्मीदे-रक़म' हो तो ग़ज़ल होती है----रुपया प्राप्त होने की उम्मीद

तन्दरुस्ती भी ज़रूरी है तग़ज़्ज़ुल' के लिए----अच्छी ग़ज़ल
हाथ और पाँव में दम हो तो ग़ज़ल होती है

पूँछ कुत्ते की जो टेढ़ी हो तो कुछ भी न बने
और तेरी ज़ुल्फ़ में ख़म' हो तो ग़ज़ल होती है------ बालों में बल

सिर्फ़ ठर्रे' से तो क़तआत' ही मुमकिन हैं 'फ़िराक़'----दारू
हाँ, अगर व्हिस्कि-ओ-रम हो तो ग़ज़ल होती है