ग़ज़लें : हसरत मोहानी (मौलाना सैयद फ़ज़ल हसन)
हम उन्हें यूँ हाल दिल का सुनाने में लगे हैंकुछ कहते नहीं पाँव दबाने में लगे हैंऔर ऐसे कहाँ हैरत ओ हसरत के मुरक़्क़ेऐ दिल जो तेरे आईनाख़ाने में लगे हैंकहना है उन्हें ये के न हम होंगे मुख़ातिबपर कहते नहीं ज़ुल्फ़ बनाने में लगे हैंक़ातिल तेरे दामन पे मेरे ख़ून के धब्बे कुछ और भी ख़ंजर से छुड़ाने में लगे हैंहर दम है ये डर फिर न बिगड़ जाए वो हसरतपेहरों जिन्हें रो रो के मनाने में लगे हैं।