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Written By भाषा
Last Modified: मुंबई , शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010 (18:11 IST)

वीडियो कॉन्फ्रेसिंग नहीं चाहता कसाब

वीडियो कॉन्फ्रेसिंग नहीं चाहता कसाब -
मुंबई हमलों का दोषी एकमात्र जिंदा पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब मौत की सजा पर वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई से संतुष्ट नहीं है और उसने स्वयं को बंबई उच्च न्यायालय में पेश किए जाने की माँग की है।

कसाब ने गुरुवार को आर्थर रोड जेल में अपने वकील अमीन सोलकर और फरहाना शाह से कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना चाहता है।

फरहाना ने कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस पर विश्वास नहीं करता और उसने जोर दिया है कि उसे व्यक्तिगत रूप से अदालत में प्रस्तुत किया जाए। हमने उसे बताया कि वहाँ उसकी जान को खतरा है फिर भी उसने निजी रूप से उच्च न्यायालय में पेश किए जाने पर जोर दिया।

कसाब ने अपने वकील से कहा कि उसके मामले को मानवाधिकारों से जुड़े मामलों से निपटने वाली अंतरराष्ट्रीय अदालत के पास भेजा जा सकता है। फरहाना ने कहा कि कसाब भारतीय न्यायिक प्रणाली पर विश्वास नहीं करता है। उन्होंने इसका विस्तृत ब्योरा नहीं दिया।

फरहाना ने कहा कि हम अदालत को बताएँगे कि कसाब ने हमें क्या कहा और इस पर फैसला लेने अधिकार न्यायाधीश पर छोड़िए। उन्होंने बताया कि कसाब ने उनसे कहा कि उसे काल कोठरी में रखा जा रहा है और उसे किताब या समाचार-पत्र नहीं दिए जा रहे हैं।

फरहाना ने बताया कि कसाब ने बाहरी विश्व से संपर्क करने देने का अनुरोध किया है और काल कोठरी में रखे जाने से वह मानसिक रूप से परेशान हो गया है। वर्तमान समय में न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूमूर्ति आरवी मोरे कसाब को मौत की सजा दिए जाने की पुष्टि की सुनवाई कर रहे हैं। न्यायाधीश कसाब को दोषी ठहराए जाने तथा मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर भी सुनवाई करेंगे।

अदालत फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर भी सुनवाई करेगी। इन दोनों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने में हिस्सा लेने का आरोप है।

कसाब ने स्वीकार किया है कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। लश्कर ने मुंबई हमले की पूरी योजना बनाई थी। छह मई को निचली अदालत ने कसाब को इस हमले में उसकी भूमिका के लिए फाँसी की सजा सुनाई थी। (भाषा)