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Written By वार्ता

म.प्र. के उज्जैन में गंभीर जलसंकट

म.प्र. के उज्जैन में गंभीर जलसंकट -
मध्यप्रदेश के मालवाँचल में इस वर्ष अल्पवर्षा के कारण उज्जैन संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में गंभीर जलसंकट के चलते आम नागरिकों ने इससे निपटने कें अभी से नए-नए तरीके इजाद करना शुरू कर दिए हैं।

आगामी पेयजल संकट को ध्यान में रखते हुए आम नागरिकों ने अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार बोंरिग, कुआँ खुदाई व पानी सुरक्षित रखने कें टैंक बनाने के अलावा कम खर्च में पायल कराने में जुटे हुए हैं।

शहर की विभिन्न कॉलोनियो में कमजोर वर्ग के लोग पायल करा रहे हैं। पायल बोरिंग मशीन की तुलना में कम गहराई व कम खर्च में हो जाती है। पायल बोरिंगनुमा 40-50 फीट लोहे की रॉड से गड्ढा खोदती है।

उज्जैन सहित संभाग के विभिन्न जिलों में जलसंकट के चलते लोक यांत्रिकी विभाग द्वारा एक व दो दिन छोड़कर पेयजल आपूर्ति करना शुरू कर दिया है, जबकि उज्जैन में इस माह से पेयजल दो दिन छोड़कर देना शुरू कर दिया है। इसके पूर्व अक्टूबर माह तक शहर में एक दिन छोड़कर जल आपूर्ति की जा रही थी ।

व्यवसायी 60 वर्षीय सीताराम शर्मा ने बताया कि यहाँ ऐसा पेयजल संकट पहली बार देखने को मिल रहा है। इससे पूर्व 1990 के दशक के दौरान इस क्षेत्र में औसत वर्षा से कम वर्षा होने के बाद भी गर्मी के दिनों में एक व दो दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जाता था।

अन्य कई नागरिकों ने बताया कि इस वर्ष आगामी गर्मी के दिनो में पेयजल संकट गंभीर हो सकता है, क्योंकि विगत वर्षाकाल में एक बार भी क्षिप्रा नदी में बाढ़ नहीं आई, इस कारण दिनोदिन नदी का पानी भी रुका होने के कारण गंदा होता जा रहा है और कई जगह तो नदी में जलकुंभी की परत जमी हुई है। इसके अलावा पानी की समस्या को लेकर कई निर्माण व अन्य कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। परिणाम स्वरूप कई लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि विगत छह अक्टूबर तक उज्जैन जिले में इस वर्षाकाल में औसत 611।.1 मि.मी. वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि तक जिले में औसत 11।8.7 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई थी। इसे दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा के अन्तर्गत घरेलू प्रयोजन कें जल उपलब्ध कराने शहर के मुख्य जलप्रदाय स्रोत गंभीर डेम (क्षिप्रा नदी) एवं अन्य छोटी नदियों पर बने स्टापडेम व तालाबों के पानी को संरक्षित घोषित कर दिया गया है। इन स्रोतो से सिचाई को भी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है।