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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 15 अक्टूबर 2012 (22:06 IST)

नोट के बदले वोट : कोर्ट ने दिया जांच का आदेश

नोट के बदले वोट : कोर्ट ने दिया जांच का आदेश -
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दिल्ली की एक अदालत ने आज वर्ष 2008 के वोट के बदले नोट घोटाले की जांच सभी पहलुओं से करने तथा धन का स्रोत पता लगाने का आदेश दिया है। इस मामले में अमरसिंह, लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधीन्द्र कुलकर्णी और दो अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।

अदालत ने पुलिस को ऐसी निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया है, जिससे कोई संदेह बाकी नहीं रहे, ताकि मामले को लेकर जनता के मन में विश्वास स्थापित हो सके। अदालत ने दिल्ली पुलिस से कहा कि जांच के बाद यदि जरूरी हो तो वह छह हफ्ते के भीतर अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।

विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने यह आदेश भाजपा सांसद एवं आरोपी फगनसिंह कुलस्ते के इस अनुरोध पर दिया गया कि जांच कर यह पता लगाया जाए कि मामले के वास्तविक लाभार्थी कौन हैं?

उन्होंने संप्रग सरकार के पक्ष में भाजपा के कमजोर सांसदों का वोट डलवाने के सौदे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल की भूमिका की जांच का भी अनुरोध किया है।

कुलस्ते ने पटेल की आवाज की जांच कराने का अनुरोध भी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सह आरोपी एवं पूर्व भाजपा सांसद अशोक अर्गल ने खुलासा किया कि उनके आवास पर एक करोड़ रुपए की सुपुर्दगी से पहले आरोपी अमरसिंह ने उनकी 22 जुलाई 2008 को पटेल से फोन पर बात कराने की व्यवस्था की थी।

बहरहाल अदालत ने पुलिस के उस बयान की ओर ध्यान दिलाया कि पटेल के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सबूत नहीं हैं। उनकी आवाज की पहचान कराना अप्रासंगिक है,क्योंकि अर्गल उस व्यक्ति की पहचान करने में असमर्थ रहे थे, जिनकी 22 जुलाई को फोन पर उनसे बात हुई थी।

अदालत ने कहा, रिकॉर्ड में सामने आए तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए मेरी यह सुविचारित धारणा है कि जांच एजेंसी अधिकारी को निष्पक्ष एवं समुचित तरीके से मामले की हर पहलू से जांच करनी चाहिए, ताकि कोई त्रुटि न रह जाए।

जांच से सारे संदेह दूर होने चाहिए एवं लोगों के मन में विश्वास स्थापित हो सके। उन्होंने जांच अधिकारी को उस हलफनामे के बारे में याद दिलाया, जो उसने पिछले साल उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया था। यह हलफनामा मामले में धन के स्रोत का पता लगाने के बारे में था।

न्यायाधीश ने कहा, जांच एजेंसी को उनके हलफनामे एवं उच्चतम न्यायालय के दो सितंबर 2011 के आदेश की याद दिलाई जाती है, जिसमें शीर्ष न्यायालय ने धन के स्रोत का पता लगाने को कहा था। (भाषा)