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Written By भाषा

दिलीप कुमार को लाइफटाइम एचीवमेंट सम्मान

राष्‍ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिभाएँ सम्मानित

दिलीप कुमार को लाइफटाइम एचीवमेंट सम्मान -
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अभिनय सम्राट दिलीप कुमार को सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए मंगलवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 54वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में लाइफटाइम एचीवमेंट सम्मान से नवाजा जबकि गाँधीगिरी पर बनी 'लगे रहो मुन्नाभाई' ने चार पुरस्कार जीते।

मशहूर बांग्ला फिल्मकार तपन सिन्हा को सिनेमा का सर्वोच्च दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया। इन दिनों अस्वस्थ चल रहे सिन्हा की जगह उनके बेटे अनिंद्य ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।

स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में दिलीप कुमार के साथ स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और मशहूर दक्षिण भारतीय अभिनेत्री बी. सरोजा देवी को भी लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया। लताजी का पुरस्कार उनके भतीजे आदिनाथ मंगेशकर ने लिया।

राष्ट्रपति ने इस मौके पर फिल्म समुदाय से कहा कि फिल्में जनमानस को प्रभावित करती हैं इसलिए फिल्म जगत से जुड़े हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इस माध्यम का इस्तेमाल समाज के निर्माण के लिए करे।

बांग्ला सिनेमा के महानायक सौमित्र चटर्जी को 'पोडोखेप' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और तमिल अभिनेत्री प्रियमणि को 'पारुति वीरन' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया।

लगे रहो मुन्नाभाई को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म समेत चार पुरस्कार मिले, जिन्हें लेने के लिए निर्माता विधु विनोद चोपड़ा और निर्देशक राजकुमार हिरानी मौजूद थे। इससे पहले 2003 में इस सीक्वल की मूल फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' को भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

लगे रहो मुन्नाभाई में गाँधीजी की भूमिका निभाने वाले प्रभावलकर ने मराठी फिल्म शेवरी के लिए भी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीता।

शेक्सपीयर के मशहूर नाटक ओथेलो पर बनी विशाल भारद्वाज की फिल्म 'ओंकारा' ने अंतरराष्ट्रीय कथानक के बावजूद जमीन से जुड़ी फिल्म होने के लिए जूरी का विशेष पुरस्कार जीता। इसी के लिए कोंकणा सेन शर्मा को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया।

मलयालम फिल्म 'पुलियाजनम' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया। कबीर खान की 'काबुल एक्सप्रेस' और मधु कैथापुरम की मलयालम फिल्म 'एकांतम' ने संयुक्त रूप से किसी निर्देशक की पहली फिल्म का इंदिरा गाँधी पुरस्कार जीता।

पुरस्कार समारोह में दो बच्चे आकर्षण का केंद्र रहे। नौ बरस की उम्र में कन्नड़ फिल्म 'केयर ऑफ फुटपाथ' के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का पुरस्कार जीतने वाले निर्देशक किशन एसएस और कोंकणी फिल्म 'अंतर्नाद' में जीवंत अभिनय करने वाली दिव्या चहाड़कर।

दिव्या ने इस फिल्म में नामचीन माँ की प्रतिभावान, लेकिन गुमनामी के साये में खोयी बेटी का किरदार निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार जीता।

संगीत की मशहूर सूफी परंपरा का बखान करती पंजाबी फिल्म 'वारिस शाह : इश्क दा वारिस' को भी चार पुरस्कार मिले। मशहूर फिल्मकार अमोल पालेकर की 'क्वेस्ट' को सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी फिल्म का पुरस्कार मिला। वहीं बांग्ला फिल्मकार गौतम घोष ने अपनी हिन्दी फिल्म 'यात्रा' के लिए सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी का पुरस्कार जीता।

राष्ट्रीय एकता के लिये सर्वश्रेष्ठ फिल्म का नरगिस दत्त पुरस्कार कन्नड़ फिल्म 'कालारली हुवागी' को मिला। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने बताया कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की राशि इस बार पाँच गुना बढ़ा दी गई है।

फीचर फिल्मों की जूरी के अध्यक्ष बुद्धदेब दासगुप्ता और गैर फीचर फिल्मों की जूरी के अध्यक्ष के विक्रमसिंह थे। सर्वश्रेष्ठ गैर फीचर फिल्म का पुरस्कार जैकब वर्गीस ने 'अधियुम' के लिए जीता। सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन का पुरस्कार जैरी पिंटो को दिया गया।