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Written By WD

अपेक्षाओं के बोझ तले युवा

वेबदुनिया डेस्क

अपेक्षाओं के बोझ तले युवा -
FILE
पापा कहते डॉक्टर बनो, मम्मी कहती इंजीनियर, भैय्या चाहते...। यह गाना माता-पिता या परिजनों की अपने बच्चों से जिंदगी उनकी पसंद से करियर चुनने की अपेक्षा को दर्शाता है। हर माता-पिता की यह ख्वाहिश रहती है उनका बेटा या बेटी जीवन की ऊंचाइयों को छूकर एक सफल डॉक्टर, इंजीनियर, वकील बने। यह ख्वाहिश या अपेक्षा वे अपनी संतान पर लाद देते हैं और वह इन अपेक्षाओं के बोझ तले दब जाता है।

जरा याद कीजिए मि. परफेक्शनिस्ट आमिर खान की युवाओं पर केंद्रित फिल्म थ्री इडियट्‍स। किस तरह बच्चे के जन्म लेते ही उसके ‍माता-पिता उसका करियर डिसाइड कर देते हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है। वकील का बेटा वकील।

परिजन यह जानना ही नहीं चाहते कि उनका बेटा या बेटी की पसंद किस क्षेत्र में करियर बनाने की हैं। पहले से निर्धारित होने से युवा भी अपनी रुचि का क्षेत्र जाहिर नहीं कर पाता और अपने माता-पिता की ख्वाहिशों को पूरा करने में असफल होने पर वह तनावग्रस्त हो जाता है और खुद को दुनिया का सबसे असफल व्यक्ति मानता है। उसे लगता है कि उसका जीवन बस यहीं तक था और कभी कभी वह आत्महत्या करने जैसे कदम उठा लेता है।

हर इंसान में कुछ खूबियां होती हैं और कुछ कमजोरियां। माता पिता को अपने बच्चे की खूबियों को निखारकर उसे करियर के रूप में देखना चाहिएस हालांकि कॉम्पिटिशन के इस दौर में माता-पिता को सबसे ज्यादा इस बात की फिक्र रहती है कि उनका बेटा या बेटी किसी क्षेत्र में पीछे न रह जाए। एक्पर्ट्‍स और काउंसलर भी बार-बार यही कहते हैं, कामयाबी के पीछे मत भागो, एक्सिलेंस (उत्कृष्टता) हासिल करें सफलता खुद ही मिल जाएगी।

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंडुलकर के शुरुआती जीवन में हम देखें तो दोनों ही पढ़ाई में बहुत अच्चे नहीं थे, लेकिन क्रिकेट इनकी रग रग में था। दोनों ने जबरदस्ती पढ़ाई करने के बजाए अपने शौक (क्रिकेट) को ही अपना करियर बना लिया और यह कहने की जरूरत नहीं है कि फिर धोनी और सचिन कितने सफल हुए।

अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पिता शत्रु को डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी शत्रु मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाए। शत्रु कहते हैं 'पिता जी ने बहुत चाहा कि मैं डॉक्टर बनूं, लेकिन मैं उनका यह सपना पूरा नहीं कर पाया, यह बात और है कि एक दिन मैं देश का स्वास्थ्य मंत्री ही बन गया।'

सूचना क्रांति के इस युग में युवाओं के लिए अनेक क्षेत्रों में करियर अवसर हैं। उन्हें जानने के लिए अनेक संसाधन। टीवी, इंटरनेट, समाचार पत्र- पत्रिकाएं, करियर काउंसलर जिनसे युवा अपने रुचि के ‍करियर का मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। आज हर करियर के हर क्षेत्र में पैसा है, ग्लैमर, प्रसिद्धि है।

क्या करें कि युवा करियर को लेकर दबाव में न आए
1. पालक अपने बच्चों की रुचि को पहचानें।
2. अगर किसी काम में उनके बेटे या बेटी का मन न लगे तो उसे तुरंत बाध्य न कर उसकी रुचि को अप्रत्यक्ष रूप से जाग्रत करने का प्रयास करें।
3. जिस काम में उसका मन लगे उससे संबंधित क्षेत्र पता लगाने का प्रयास करें।
4. समय-समय पर उसे प्रोत्साहित करते रहें।
5. उनकी रुचि के विषय के अनुसार सामग्रियों को जुटाएं।