• Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. बॉडीगार्ड ‍: फिल्म समीक्षा
Written By समय ताम्रकर

बॉडीगार्ड ‍: फिल्म समीक्षा

Bodyguard Movie Review | बॉडीगार्ड ‍: फिल्म समीक्षा
PR
बैनर : रील लाइफ प्रोडक्शन प्रा.लि., रिलायंस एंटरटेनमेंट
निर्माता : अतुल ‍अग्निहोत्री, अलविरा अग्निहोत्री
निर्देशक : सिद्दीकी
संगीत : प्रीतम, हिमेश रेशमिया
कलाकार : सलमान खान, करीना कपूर, राज बब्बर, आदित्य पंचोली, महेमांजरेकर, रजरवैल, कैटरीना कैफ (मेहमान कलाकार)
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 14 रील
रेटिंग : 3/5

शाहरुख खान भले ही ‘रा-वन’ में सुपरहीरो बनकर आ रहे हों, सलमान खान ने सुपरहीरो वाले कारनामे ‘बॉडीगार्ड’ में पेश कर दिए हैं। फिल्म का एक दृश्य है कि लवली सिंह (सलमान खान) ट्रेन में कहीं जा रहा है। उसके बॉस का फोन आता है और उसे एक काम सौंपा जाता है। यह काम विपरीत दिशा में है। लवली सिंह फौरन ट्रेन की छत पर जाता है और विपरीत दिशा में जा रही ट्रेन की छत पर कूद जाता है।

एक और सीन की चर्चा करते हैं। फाइटिंग सीन में सलमान की आंखों में धूल डाल दी गई है। वह आंखें नहीं खोल पा रहा है। घुटनों तक पानी में वह और ढेर सारे विलेन खड़े हैं। पानी में विलेन चलते हैं और आवाज होती है। इस आवाज के सहारे वह अनुमान लगा कर सभी को ढेर कर देता है।

ऐसे कई दृश्य ‘बॉडीगार्ड’ में देखने को मिलते हैं क्योंकि सलमान का समय चल रहा है। वे जो कर रहे हैं दर्शकों को अच्छा लग रहा है। वे उनकी हर हकरत पर सीटी बजाते हैं। तालियां पीटते हैं। इसका लाभ फिल्म निर्देशक उठा रहे हैं और बजाय फिल्म निर्माण के अन्य पक्षों के वे सलमान पर ही फोकस कर रहे हैं।

PR
‘बॉडीगार्ड’ एक प्रेम कहानी है। लवली सिंह एक बॉडीगार्ड है और वह एक ही एहसान चाहता है कि उस पर किसी किस्म का एहसान ना किया जाए। उसे दिव्या (करीना कपूर) की रक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है। परछाई की तरह लवली उसके साथ लग जाता है और इससे दिव्या परेशान हो जाती है।

लवली से छुटकारा पाने के लिए दिव्या फोन पर छाया बनकर लवली सिंह को प्रेम जाल में फांसती है। लवली भी धीरे-धीरे छाया को बिना देखे ही चाहने लगता है। किस तरह से दिव्या अपने ही बुने हुए जाल में फंस जाती है यह फिल्म का सार है।

कुछ बढ़िया एक्शन दृश्यों के बाद प्रेम कहानी शुरू हो जाती है। फर्स्ट हाफ तक तो ठीक लगता है, लेकिन इसके बाद यह खींची हुई लगने लगती है। लेकिन क्लाइमेक्स में कई उतार-चढ़ाव आते हैं जिससे दर्शक एक बार फिर फिल्म से बंध जाता है। फिल्म के अंत में कई संयोग देखने को मिलते हैं, लेकिन सलमान के फैंस सुखद अंत देखना पसंद करते हैं इसलिए यह जरूरी भी था।

कहानी कई सवाल उठाती हैं, जिसमें सबसे अहम ये है कि दिव्या जब सचमुच में लवली को चाहने लगती है तो वह असलियत बताने में इतना वक्त क्यों लेती है। छाया बनकर दिव्या हमेशा लवली सिंह से बात करते समय दिव्या की बुराई क्यों करती है?

रंजन म्हात्रे, दिव्या के खून का क्यों प्यासा है, ये भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। फिल्म में विलेन वाला ट्रेक ठीक से स्थापित नहीं किया गया है। यदि इस ट्रेक को दमदार बनाया जाता तो बॉडीगार्ड का चरित्र और उभर कर सामने आता।

कमियों के बावजूद फिल्म में मनोरंजन का स्तर बना रहता है। दिव्या का लवली सिंह के प्रति प्यार कई जगह दिल को छूता है। लवली की मासूमियत और कॉमेडी अच्छी लगती है। एक्शन फिल्म का प्लस पाइंट है और इसमें नयापन भी है। सुनामी बने रजत रवैल कभी हंसाते हैं तो कभी बोर करते हैं। उनके टी-शर्ट पर लिखे स्लोगन बड़े मजेदार हैं।

सिद्दकी ने तीसरी या चौथी बार इसी कहानी पर फिल्म बनाई है। यहां पर उनका काम जल्दबाजी वाला लगता है। मानो किसी भी तरह डेडलाइन पूरी करनी हो। कई चीजों पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया है।

सलमान खान फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पाइंट है। न केवल वे हैंडसम लगे हैं बल्कि लवली सिंह की मासूमियत को उन्होंने बेहतरीन तरीके से परदे पर उतारा है। एक्शन दृश्यों को उन्होंने विश्वसनीयता प्रदान की है।

PR
करीना कपूर का अभिनय भी उम्दा है। छाया के रूप में जब वे फोन पर बाते करती हैं तो उनकी आवाज को करिश्मा कपूर ने डब किया है। राज बब्बर, महेश मांजरेकर, आदित्य पंचोली, असरानी छोटे-छोटे रोल में हैं। कैटरीना कैफ भी चंद सेकंड्स के लिए परदे पर नजर आती हैं।

फिल्म का संगीत उम्दा है, लेकिन सुपरहिट नहीं हो पाया है। ‘तेरी मेरी, मेरी तेरी प्रेम कहानी’ सबसे मधुर गीत है। आई लव यू, देसी बीट्स और टाइटल ट्रेक भी सुनने लायक हैं।

‘बॉडीगार्ड’ में वो सब कुछ है जो सलमान खान के प्रशंसक चाहते हैं। जो नहीं हैं उनकलिऔसफिल्है