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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 29 जून 2011 (14:15 IST)

भारत के लिए पाक के रवैए में बड़ा बदलाव

भारत के लिए पाक के रवैए में बड़ा बदलाव -
- हाफीज चाचड़ (इस्लामाबाद)

BBC
मुंबई हमलों के बाद भारत के प्रति पाकिस्तानी सरकार के रवैये में काफी बदलाव आया है और पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का ताजा बयान इसको दर्शाता है। पाकिस्तान की प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों ने हमेशा भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ने की ज्यादातर घटनाएं सैन्य शासन के दौरान हुई हैं।

रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने जिस तरह का इंटरव्यू बीबीसी को दिया है उससे स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की सरकार भी भारत के साथ अपने संबंध बेहतर करना चाहती है।

हालांकि पाकिस्तान में रक्षा मंत्री के पद का कोई खास महत्व नहीं होता है, लेकिन चौधरी अहमद मुख्तार राष्ट्रपति आसिफ जरदारी के करीबी मित्र माने जाने हैं इसलिए उनके बयान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने साफ कहा है कि भारत ने अपनी सेना को जितना विकसित किया है और जिस तरह के आधुनिक हथियार हासिल कर लिए हैं, पाकिस्तान उसका मुकाबला नहीं कर सकता है।

'सेना को संदेश' : इस बयान का एक आंकलन तो ये हो सकता है कि पाकिस्तान की मौजूदा हुकुमत की नीति है- कि भारत के साथ संबंध को मजबूत बनाया जाए।

दूसरा यह कि उन्होंने सेना को भी एक संदेश देने की कोशिश की है कि भारत से मैदान-ए-जंग में मुकाबला उतना आसान नहीं। अब पाकिस्तानी सेना अपने रक्षा मंत्री के इस बयान को कितना महत्व देती है यह एक अलग विषय है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से बहुत आगे है और दूसरा कि पिछले लगभग दस सालों के दौरान पाकिस्तानी सेना लगातार युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रही है भले ही ये आंतरिक युद्ध का ही मामला क्यों न हो।

सैना ने दक्षिण वजीरिस्तान और स्वात घाटी में चरमपंथियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान किए हैं। सेना अभी भी कुर्रम, बाजौड़ और दूसरे कबाइली इलाकों में मौजूद है और वहां चरमपंथियों से लड़ रही है।

सैन्य अधिकारियों के मुताबिक लगातार युद्ध जैसी स्थिति में रहने के कारण सेना आर्थिक रूप से कमजोर हो गई है। रक्षा मंत्री के बयान को इन सब बातों को जहन में रखकर देखा जाना चाहिए।

'व्यापार बढ़ाने पर जोंर' : इसमें कोई शक नहीं है कि दोनों देश संबंधों को बेहतर करने की कोशिश में गंभीर नजर आते हैं।

कुछ दिन पहले यहां इस्लामाबाद में दोनों देशों के विदेश सचिवों की बीच वार्ता हुई थी। जिस तरह से दोनों पक्षों ने संवेदनशील मुद्दों पर खुल कर बातचीत की वैसा पहले देखने में नहीं आया था।

दोनों ने परमाणु हथियारों की सुरक्षा और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार अब भारत के साथ व्यापार बढ़ाने पर जोर दे रही है। पिछले महीने दोनों देशों के वणिज्य सचिव की बैठक हो चुकी है।

सोमवार को वाघा सीमा पर दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें इस बात पर विचार किया गया कि व्यापार के लिए वाघा पर एक अलग गेट खोला जाए ताकि लोगों की आवा-जाही से व्यापार में कोई बाधा न उत्पन्न हो।

इस तरह के क़दम से स्पष्ट होता है कि दोनों देश गंभीर रूप से सभी समस्याओं को हल करना चाहते हैं और वह भविष्य में युद्ध जैसी स्थिति से बचना चाहते हैं।