पंख पसारकर उड़ जाने के लिए तैयार वर्ष 2008 में सोमालिया के जलदस्युओं का खतरा दुनिया के सामने एक नई चुनौती बनकर उभरा है। निश्चित रूप से आगमन की आहट दे रहे वर्ष 2009 में इस खतरे का असर पड़ेगा।
सोमालिया में व्याप्त अराजक स्थिति के कारण बड़े हौवे के रूप में सामने आए जलदस्युओं के खतरे से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक ऐसे प्रस्ताव को 16 दिसंबर को मंजूरी दी है, जिसके तहत कई देशों को सोमालिया की सीमा में घुसकर जलदस्युओं को खदेड़ने और पकड़ने की अनुमति होगी।
समुद्री लुटरों के खिलाफ कार्रवाई से पहले सोमालिया सरकार से अनुमति लेनी होगी। सोमालिया की जलसीमा के पास सक्रिय जलदस्युओं के खिलाफ पिछले छह माह में संयुक्त राष्ट्र का यह चौथा प्रस्ताव है। इसके तहत जलदस्युओं के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति केवल एक वर्ष के लिए ही दी गई है।
जलदस्युओं के आतंक से भारत भी नहीं बच पाया। स्टोल्ट वेलर नामक एक मालवाही पोत का अदन की खाड़ी में अगस्त के अंतिम सप्ताह में अपहरण कर लिया गया था, जिसमें 18 भारतीय थे। 16 नवंबर को सोमाली दस्युओं ने पोत एमटी स्टोल्ट को दो माह बंधक बनाए रखने के बाद 20.5 लाख डॉलर की फिरौती ले कर 18 भारतीय नाविकों सहित रिहा कर दिया।
जून में सुरक्षा परिषद की पहल के बाद से सोमालिया सरकार भारत, अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन सहित कई देशों की नौसेनाओं को अपनी जल सीमा में आने की मंजूरी दे चुकी है। एक अनुमान के अनुसार जलदस्यु सोमाली जल क्षेत्र में इस साल छोटे-बड़े कम से कम 80 जहाजों का अपहरण कर चुके हैं। सोमालिया की सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए विश्व समुदाय से अपील की है।
सोमालिया के विदेशमंत्री का कहना है कि दस्युओं की गतिविधियों का आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 12 महीनों में इन जलदस्युओं ने 15 करोड़ डॉलर तक की फिरौती वसूली है।
जलदस्युओं के खतरे से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय जलदस्यु विरोधी बल भी गठित किया गया है। इस बल ने 17 दिसंबर को सोमालिया के तट पर एक चीनी मालवाहक जहाज को कब्जे में लेने की समुद्री डकैतों की कोशिश को विफल कर दिया।
इस बीच भारतीय नौसेना ने समुद्र में पकड़े गए 23 जलदस्युओं को यमन में अधिकारियों को सौंप दिया। फिलहाल जलदस्युओं का आतंक जल्द ही समाप्त होने के आसार नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून कह चुके हैं कि सोमालिया के पास मालवाहक जहाजों के समक्ष समुद्री डकैतों के खतरे के बावजूद कोई भी राष्ट्र बीते 17 वर्ष से बिना किसी सरकारी कामकाज वाले इस कानूनविहीन देश में स्थायित्व लाने के लिए बहुराष्ट्रीय बल का नेतृत्व करने को तैयार नहीं है। (भाषा)