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Written By भाषा

सआदत हसन मंटो : समझ नहीं पाई दुनिया

100 साल और लगेंगे मंटो के मूल्यांकन में

Sauadat Hasan Manto | सआदत हसन मंटो : समझ नहीं पाई दुनिया
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उर्दू अफसानानिगारी के चार स्तम्भों में से एक सआदत हसन मंटो का शुमार ऐसे साहित्यकारों में किया जाता है जिनकी कलम ने अपने वक्त से आगे के ऐसे अफसाने लिख डाले जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है।

नग्न सचाइयों ने नजरें फेरने के लिए उसे अश्लीलता का नाम देने वाली दुनिया को सच की बदनुमा तस्वीर भी देखने की दुस्साहसिक ढंग से प्रेरणा दे गए मंटो ने बेहूदगी फैलाने के कई मुकदमों का सामना किया लेकिन यह साहित्यकार न कभी रुका और न ही थका।

शाहकार वक्त के मोहताज नहीं होते। मंटो ने इस बात को अक्षरश: सही साबित करते हुए महज 43 बरस की जिंदगी में उर्दू साहित्य को बहुत समृद्ध किया। बीसवीं सदी के मध्य में ही दुनिया को अलविदा कह गए इस दूरदृष्टा साहित्यकार के विचारों की गहराई का अंदाजा लगाना आज भी आसान नहीं लगता।

उर्दू अफसानानिगार मुशर्रफ आलम जौकी के अनुसार दुनिया अब धीरे-धीरे मंटो को समझ रही है और उन पर भारत और पाकिस्तान में बहुत काम हो रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि मंटो को पूरी तरह समझ पाने के लिये 100 साल भी कम हैं।

जौकी के मुताबिक शुरुआत में मंटो को दंगों, फिरकावाराना वारदात और वेश्याओं पर कहानियाँ लिखने वाला सामान्य सा साहित्यकार माना गया था लेकिन दरअसल मंटो की कहानियाँ अपने अंत के साथ खत्म नहीं होती हैं। वे अपने पीछे इंसान को झकझोर देने वाली सचाइयाँ छोड़ जाती हैं। उनकी सपाट बयानी वाली कहानियाँ फिक्र के आसमान को छू लेती हैं।