ब्रिसबेन। मैदान के अंदर और बाहर विवादों से परेशान पाकिस्तान क्रिकेट विश्वकप में रविवार को जब यहां पूल-बी मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ उतरेगा जो उसकी नजरें अपने अभियान को पटरी पर लाने पर टिकी होंगी।
विश्वकप 1992 के विजेता पाकिस्तान को अपने पहले दो मैचों में चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और वेस्टइंडीज के खिलाफ एकतरफा हार का सामना करना पड़ा है और टीम अपने ग्रुप में सात टीमों में अंतिम स्थान पर चल रही है।
जिम्बाब्वे ने एक मैच जीता है जबकि उसे दो हार का सामना करना पड़ा है। टीम पांचवें स्थान पर चल रही है।
दो मैचों में करारी हार के अलावा पाकिस्तान की टीम मैदान के बाहर के विवादों से भी हताश है। मुख्य चयनकर्ता मोईन खान को पीसीबी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मकाबले से पूर्व कैसीनो जाने के लिए स्वदेश वापस बुला लिया है।
कप्तान मिसबाह-उल-हक और उनकी टीम को लचर प्रदर्शन के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और उन पर बाकी बचे लीग मैचों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव है।
भारत से 76 और वेस्टइंडीज के हाथों 150 रन की हार के बाद पाकिस्तान पर विश्वकप से जल्द बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है।
मिसबाह और उनकी टीम अब इमरान खान की 1992 की टीम से प्रेरणा लेने की कोशिश करेगी जिसने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुए पिछले विश्वकप में शुरुआत में बाहर होने के खतरे से निपटने के बाद खिताब जीता था। पाकिस्तान को 23 साल पहले वेस्टइंडीज के हाथों 10 विकेट से शिकस्त का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उसने जिम्बाब्वे को हराया। इंग्लैंड के खिलाफ हार की स्थिति में होने के बाद उसका मैच बेनतीजा रहा जिसके बाद उसे भारत और दक्षिण अफ्रीका ने भी हराया।
पाकिस्तान ने इसके बाद जोरदार खेल दिखाते हुए ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और न्यूजीलैंड को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। टीम ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को फिर हराया और फिर मेलबर्न में इंग्लैंड को 22 रन से हराकर चैम्पियन बना।
मिसबाह ने कहा, ‘अहम सबक यह है कि भी हार नहीं मानो। एक खिलाड़ी और टीम के रूप में आपको यही करने की जरूरत है। की जीत के बारे में यही कहते हैं। मुश्किल के समय में भी टीम को हार नहीं माननी चाहिए।’
दूसरी तरफ जिम्बाब्वे की नजरें अपने कोच डेव वाटमोर पर टिकी हैं जिन्हें पाकिस्तान टीम के बारे में अच्छी जानकारी है। वाटमोर 2012 से दो साल पाकिस्तान के कोच रहे हैं।