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10 अगस्त : फूलन देवी का जन्म, किन हालातों ने बनाया दस्यु सुंदरी

10 अगस्त : फूलन देवी का जन्म, किन हालातों ने बनाया दस्यु सुंदरी - who  is  phulaan devi called  her bandit queen
'फूलन देवी' आज की पी‍ढ़ी को इस नाम के बारे में जरा भी जानकारी होगी तो यह बहुत खुशी की बात होगी। चंबल ऐसा क्षेत्र जो फुलनदेवी के नाम से जाना जाता था, बीहड़ में उसकी दहशत थी। और फिर दहशत ने ऐसी पलटी खाई की वह सीधे जेल पहुंची। और जेल से निकलते ही सीधे संसद भवन। एक डाकू सांसद थी लेकिन किस्‍मत ने पलटी मारी और 25 जुलाई 2001 को संसद भवन से जब अपने घर लौट रही थी तब उन्‍हें गोली मार दी जाती है। चंबल की रानी फूलन देवी, दस्‍यु सुंदरी फूलन देवी, बीहड़ की दहशत फूलन देवी कौन थी जिनके नाम मात्र से पुलिस और सरकार भी कांप जाती थी। आइए जानते हैं कौन थी फुलन देवी जिन्‍हें दस्‍यु सुंदरी कहा जाता था।   
 
फूलन देवी का बचपन 
 
फूलन देवी का जन्‍म 10 अगस्‍त 1963 को यूपी के जालौन जनपद के छोटे से गांव गोरहा में हुआ था। फूलन के पिता मजदूरी करते थे। उनके पास सिर्फ एक एकड़ जमीन थी। लेकिन इसमें  परिवार का जीवन नहीं चलता था। जब वह 11 साल की थी तब ही उनका विवाह किसी अधेड़ उम्र के व्‍यक्ति पुट्टी लाल से कर दिया था। वे शादी के लिए तैयार नहीं थी। शादी के बाद ही वह यौन शोषण का शिकार हो गई थी। इन सब से बचकर वह अपने घर लौट आई। और काम में पिता जी का हाथ बंटाने लगी।
 
जानिए कैसे बनी दस्‍यु 
 
अपने पिता के साथ मजदूरी करने लगी फूलन को गांव के ठाकुरों ने गैंगरेप का शिकार बना लिया। बाद में उसे निर्वस्त्र गांव में घुमाया। न्‍याय के लिए फूलन देवी दर-दर भटकी लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में फूलन देवी ने बदला लेनी की ठानी। 
 
एक बार फिर से फूलन देवी गैंगरेप का शिकार हुई। गांव पर कुछ डकैतों ने मिलकर हमला किया था। उस दौरान वह डकैत फूलन को भी अपने साथ ले गए थे। वहां आए दिन फूलन के साथ गैंगरेप होता था। लेकिन उसी बीच फूलन देवी की मुलाकात विक्रम मल्‍लाह से होती है। इसके बाद दोनों मिलकर अपना गैंग बनाते हैं। फूलन देवी के दस्‍यु यानी डकैत बनने की कहानी यहीं से शुरू होती है।    
 
सबसे चर्चित बेहमई कांड 

14 फरवरी 1981 को फूलन देवी ने बेहमई कांड को अंजाम दिया था। यह देश का सबसे चर्चित हत्‍याकांडों में से एक है। फूलन देवी और उसके गैंग ने मिलकर 20 लोगों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून दिया था। लेकिन पुलिस 2 साल बाद तक भी फूलन देवी को नहीं पकड़ पाई थी। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा फूलन देवी को आत्‍मसर्मपण के लिए विवश किया गया। हालांकि फूलन देवी ने अपने हथियार पुलिस के सामने डालने से मना कर दिया था। वह सिर्फ महात्‍मा गांधी या मां दुर्गा के सामने ही हथियार समर्पण करना चाहती थी। और वैसा ही किया। 
 
जेल से संसद तक का सफर 
 
1983 में समर्पण के बाद जेल से रिहा हुई इसके बाद से ही उन्‍हें पार्टी के टिकट मिलने लगे। 1996 में फूलन देवी उत्‍तर प्रदेश की भदोही लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी और दिल्‍ली पहुंच गई। सपा के नेता मुलायम सिंह यादव उन्‍हें पार्टी में लेकर आए थे। फूलन देवी के 25 जुलाई 2001 को संसद भवन से अपने घर की ओर लौट रही थी तभी शेर सिंह राणा द्वारा उनकी हत्‍या कर दी गई। यह हत्‍या 20 लोगों की मौत का बदला था।    
 
 
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