क्या NOTA कैंपेन चलाने के लिए एक मुस्लिम ने खरीदे 10 हजार सिम कार्ड.. जानिए सच..
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है कि रांची से जावेद नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है। दावा किया जा रहा है कि जावेद ने दस हजार सिम खरीदे ताकि वह ब्राह्मणों के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाए और आगामी चुनावों में NOTA दबाने के लिए कैंपेन चला सके। सोशल मीडिया पर यह मैसेज आग की तरह फैल रही है।
क्या है सच..जब हमने 10 हजार सिम कार्ड की बरामदगी की खबर को गूगल पर सर्च किया, तो हमें झारखंड में ऐंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) द्वारा साइबर अपराधियों के सिम कार्ड रैकेट का भांडाफोड़ करने को लेकर कई खबरें मिलीं। पिछले हफ्ते रांची पुलिस व एटीएस ने रांची के दो ठिकानों से 10000 सिम कार्ड और एक सिम बॉक्स बरामद किया था। बताया जा रहा था कि सारे सिम कार्ड किसी जावेद अहमद के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। वायरल मैसेज इन्हीं रिपोर्ट पर आधारित लगता है। लेकिन क्या सच में एक बड़ी साजिश के तहत यह सिम खरीदे गए थे, आइए जानते हैं..
‘द टेलिग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड पुलिस ATS ने यह स्पष्ट किया है कि सभी 10000 सिम कार्ड मार्केटिंग के लिए बल्क मैसेजिंग सर्विस देने वाली कंपनी ‘वन एक्सेल’ के नाम पर रजिस्टर्ड हैं न कि उसके मालिक जावेद अहमद के नाम पर। वन एक्सेल टेलीकॉम रेगुलेटरी अथारिटी ऑफ इंडिया (TRAI) से रजिस्टर्ड भी है।
रांची पुलिस ने छापेमारी के दौरान हिरासत में लिए तीन युवकों को भी पूछताछ के बाद रिहा कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार युवक जावेद अहमद के लिए काम करते हैं, छापेमारी के दौरान जावेद की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
ATS का कहना है कि हो सकता है कि सांप्रदायिक तनाव फैलाने, साइबर क्राइम के लिए या आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सिम कार्ड खरीदे गए हों। वह सभी संभावित पहलुओं पर जांच कर रही है।
हमारी पड़ताल में यह सामने आया है कि रांची से जावेद की गिरफ्तारी नहीं हुई है और उसके द्वारा NOTA के लिए ब्राह्मणों के नाम से कैंपेन चलाने के लिए 10 हजार सिम खरीदने वाले दावे की पुष्टि नहीं हुई है। इस मामले की जांच अभी भी ATS कर रही है।