वास्तु बढ़ाए अध्ययन क्षमता
प्रतियोगिताओं में सहायक वास्तु
शिक्षा मानव जीवन का आधार है, जिसके सहारे हर व्यक्ति चहुँमुखी कामयाबी हासिल करता है। किंतु आज के बदलते परिवेश में सिर्फ साक्षर होना ही काफी नहीं है, बल्कि सबसे अधिक महत्व रोजगारपरक शिक्षा का है, जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बना सके। किंतु इस सरपट दौड़ में जहाँ अनेक बेरोजगार युवा अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं। वहीं कई युवा चाह कर भी इन व्यावसायिक व शैक्षिक प्रतियोगिताओं में अपेक्षित सफलता पाने में चंद कदम ही दूर रह जाते हैं और हताशा, निराशा, उत्तेजना, मनोविकार आदि अनेक नकारात्मक विचारों में डूबने लगते हैं, जिसके चलते वे अपने अंदर छिपी कला व योग्यता का सही ढंग से प्रदर्शन नहीं कर पाते। इसके फलस्वरूप इनसे संबंधित शिक्षण संस्थाएँ व स्वजन उन्हें सतर्क करते हैं, तो कई बार युवाओं पर नाहक दबाव बढ़ाने लगते हैं। जिससे उस उभरते हुए नवजीवन को प्रदर्शन व परिणाम को लेकर कई तरह की चिंताएँ सताने लगती हैं। किंतु धैर्य व सूझबूझ के साथ यदि प्रत्येक अभिभावक व विद्यार्थी संबंधित अध्ययन कक्ष में कुछ बारीकियों के साथ वास्तु नियमों का प्रयोग कर ऐसा वातावरण निर्मित करें, तो संबंधित परीक्षार्थियों का आत्मविश्वास व संबंधित विषय में रूचि बढ़ाने के साथ-साथ उनकी उलझनें व चिंताएँ समाप्त कर देगा। इससे आपकी स्मरण शक्ति व बुद्धि में भी वृद्धि होगी, मन में उल्लास व जज्बा रहेगा, न कि नकारात्मक विचार व आत्मग्लानि। अर्थात् कुछ बातों को ध्यान में रख कर हम वास्तु निर्मित अध्ययन कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा की बयार बहा सकते है जिससे विद्यार्थियों को उच्चतम सफलता मिलेगी। जैसे :- -
अध्ययन कक्ष को पूजा कक्ष से सटा कर और दरवाजे की स्थिति उत्तर-पूर्व या पश्चिम में रखें। किन्तु दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में न रखें इससे भ्रम उत्पन्न होते हैं।-
चौकोर टेबल का प्रयोग करें जो चारों पावों में समानता रखती हो। -
टेबल को दक्षिण-पश्चिम या दरवाजे के सामने न लगाएँ। इससे बुद्धि का पतन होता है।-
टेबल को दरवाजे या दीवार से न सटाएँ। जिससे विषय याद रहेगा, रूचि बढ़ेगी। -
लाइट के नीचे या उसकी छाया में टेबल सेट न करें। इससे अध्ययन प्रभावित होगा।-
उत्तर-पूर्व या पूर्व वाले कमरे में अध्ययन कक्ष की व्यवस्था करें यह शुभ, प्रेरणाप्रद रहेगा।-
दक्षिण व दक्षिण-पूर्व दिशा वाले कमरे में अध्ययन कक्ष की व्यवस्था से बचें, यह अशुभ व तनावयुक्त स्थिति दे सकता है।-
कोशिश करें कि नार्थ-वेस्ट में बैठकर भी अध्ययन न करें। इससे पढ़ाई में मन नहीं लगेगा, एकाग्रता भंग होगी।-
उत्तर-पूर्व में माँ सरस्वती, गणेश की प्रतिमा और हरे रंग की चित्राकृतियाँ लगाएँ। -
अध्ययन कक्ष में शान्ति और सकारात्मक वातावरण होना चाहिए। शोरगुल आदि न हो।-
स्मरण व निर्णय शक्ति हेतु दक्षिण में टेबल सेट कर उत्तर या पूर्व की ओर मुँह कर अध्ययन करें। उत्तर-पूर्व विद्यार्थी को योग्य बनाने में सहायक होती है।-
अध्ययन कक्ष के मध्य भाग को साफ व खाली रखें। जिससे ऊर्जा का संचार होता रहेगा।-
अगर मन उचटता हो, तो बगुले का चित्र लगाना चाहिए, जो ध्यान की चेष्टा में हो। -
लक्ष्य प्राप्ति हेतु एकलव्य, अर्जुन की चित्राकृतियाँ लगानी चाहिए। -
टेबल पर सफेद रंग की चादर बिछाएँ। विद्या की देवी माँ सरस्वती को प्रणाम कर अध्ययन शुरू करें। -
जो परीक्षार्थी घर से बाहर या हॉस्टल आदि में रहते हैं। जिनके लिए यह संभव नहीं हो वह पूर्व दिशा की ओर माँ सरस्वती या नृत्य करते या लिखते हुए गणेश जी का चित्र स्थापित करें और उन्हें अध्ययन के पहले और बाद में प्रणाम करें तो उनका भी एनर्जी लेवल बढ़ेगा।इस प्रकार की अनुकूल वास्तुस्थितियों से अवश्य ही परीक्षार्थियों को सफल होने में सहायता प्राप्त होगी, मन लगेगा, एनर्जी लैवल भी बढ़ेगा और उनकी अध्ययन क्रिया में प्रतिक्रिया रूप नकारात्मक (निगेटिव) ऊर्जा बाधा नहीं बनेगी।