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Written By Author संदीप श्रीवास्तव

भागवत की नीयत में खोट नहीं, बुढ़ापे में कभी-कभी फिसल जाती है जुबान

भागवत की नीयत में खोट नहीं, बुढ़ापे में कभी-कभी फिसल जाती है जुबान - There is no fault in the intention of Bhagwat, sometimes the tongue slips in old age
अयोध्या। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान कि 'हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं' पर अयोध्या के संत-महंतों ने नाराजगी जाहिर की है। सभी ने एक सुर में कहा कि आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों को फिर से हासिल करना होगा। 
 
भागवतजी का बयान पीड़ादायक : अयोध्या सिद्ध पीठ हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि यह भागवत का व्यक्तिगत बयान हो सकता है। एक तरफ आप (संघ) हिंदुओं को जगाने का कार्य करते हैं और जगाने के बाद आप कहते हैं कि हर मस्जिद में शंकर को न ढूंढो। उन्होंने कहा कि हम हर मस्जिद में शंकरजी कहां ढूंढ रहे हैं। हिंदू जनमानस की आस्था का केन्द्र अयोध्या का हल हो गया है। मथुरा और काशी भी प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, इसको आप नकार नहीं सकते हैं।
महंत राजू दास ने कहा कि भारत में लगभग 50 प्रतिशत मस्जिदों में सनातन धर्म संस्कृति और हिंदू-देवी देवताओं के प्रतीक चिन्ह मिलते हैं। इसी की लड़ाई है हमारी, इससे आप मुंह नहीं मोड़ सकते हैं और ना ही इसे नकार सकते हैं। मोहन भागवतजी के यह कह देने से कि अब हमें किसी और मंदिर से कोई मतलब नहीं है, इससे संत समाज को अत्यधिक पीड़ा हुई है। हिंदू अब सबल, सतर्क और जागरूक हो चुका है। हिंदू अब किसी के बस में नहीं है, वह अपनी लड़ाई खुद लड़ सकता है। संघ का जन्म सनातन धर्म और हिंदुओं की रक्षा के लिए हुआ है, मुझे लगता है यह आपका व्यक्तिगत विचार हो सकता है संघ का नहीं।
 
भागवतजी की नीयत पर शंका नहीं, लेकिन : वहीं, अयोध्या के तेजतर्रार और अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले संत स्वामी परमहंस ने कहा कि संघ संहार नहीं सृजन चाहता है और खुशियों से पूरा वतन चाहता है,लेकिन अगर समझाने से बात बनती तो हनुमानजी जैसे ज्ञानी भी रावण को समझाने में असफल ना होते। रावण जब मानवता के पथ से भटक गया तो श्रीराम को भी उसका वध करना पड़ा। उसी तरह से मुगल आक्रांताओं द्वारा जो हिंदुओं के ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ा गया उनको पुनः स्थापित करना होगा। उसमें जो भी रोड़ा आएगा, उसको हटाना पड़ेगा।
 
स्वामी परमहंस ने कहा कि कश्मीर की स्थिति ऐसी है कि आज भी सरकार के चाहने के बाद भी वहां कश्मीरी पंडित पुनः स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। विस्थापित कश्मीरी पंडित डरे हुए हैं। इसलिए सनातन संस्कृति की रक्षा ही मानवता की रक्षा है। मुगल आक्रांताओं द्वारा जितने भी हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर तोड़े गए हैं, उन सभी को हम वापस लेंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत की नीयत और नीति को लेकर कोई शंका नहीं है, लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारण कभी-कभी जुबान फिसल जाती है। 
 
ताकत से गई चीज ताकत से मिलेगी : राज्यसभा के पूर्व सांसद और भाजपा के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार ने कहा कि काशी में जिस प्रकार से चीजें दिखाई दे रही हैं, वे ज्ञानव्यापी में तोड़े हुए मंदिर का अवशेष हैं। जब शिवलिंग निकला है तो देरी किस बात की। हमारे मंदिरों पर कब्जा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि चीज जिस तरह जाती है उसी तरह आती है। ताकत से गई चीज ताकत से ही वापस आएगी। इसमें हिंदू समाज को ताकत झोंकनी पड़ेगी।