अयोध्या में कमल पर विराजमान धनुषधारी रामलला की मूर्ति बनी कौतूहल का विषय
अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या नगरी में लम्बे संघर्ष के बाद आखिरकार भव्य और दिव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। जिस गति से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा उसके अनुसार अगले वर्ष यानी 2024 में श्रद्धालु अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के दर्शन कर सकेंगे।
यह बात राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी भी कह रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के दौरान यह बात भी सामने आई कि राम जन्मभूमि मंदिर मे गर्भगृह में विराजमान या स्थापित किए जाने वाले राम लला के बाल स्वरूप का विग्रह दूसरा होगा या फिर वर्तमान में पूजी जा रही रामलला की मूर्ति। यह मूर्ति दशकों से पूजी जा रही है, जिसका अभी तक विश्वभर के राम भक्त दर्शन करते आए हैं। इसी बीच अयोध्या कारसेवकपुरम में रखी हुई एक मूर्ति इस समय चर्चा का विषय है बनी हुई है।
अगर सूत्रों की मानें तो रामलला की मूर्ति दर्शन मार्ग में स्थायी मंदिर के पास रखी जाएगी, ताकि रामनगरी आने वाले रामभक्त रामलला के बाल स्वरूप के दर्शन कर सकें। मूर्ति का स्वरूप बेहद खूबसूरत है। धनुषधारी भगवान रामलला बाल स्वरूप में हैं और कमल दल पर विराजमान हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि रामलला के मंदिर में लगने वाली मूर्ति भी कुछ इस मूर्ति से मिलती-जुलती होगी। यह सवा क्विंटल वजनी है। राय बताते हैं कि यह मूर्ति भगवान राम के प्रति राजस्थान के एक श्रद्धालु के समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार किया है।
भगवान रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति कमल दल पर विराजमान है और इस मूर्ति का वजन लगभग सवा क्विंटल है। फिलहाल यह मूर्ति एक सोफे पर रखी गई है, बाद में इसे एक मेज पर विराजित किया जाएगा। राय ने कहा कि भगवान राम की मूर्ति बालरूप की है और यदि बालरूप की मूर्ति कमल दल पर हो तो वह खूबसूरत लगती है। चंपत राय ने यह भी कहा कि रामलला के भव्य मंदिर में कौनसा स्वरूप विराजमान होगा, फिलहाल यह तय नहीं हुआ है।