गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. उत्तर प्रदेश
  4. Holi of Gorakhpur is no less than Barsana, air also becomes colorful
Written By Author गिरीश पांडेय

बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली, हवा भी हो जाती है रंगीन

रथ पर सवार गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ करते हैं रंग भरी होली की शोभा यात्रा की अगुआई

बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली, हवा भी हो जाती है रंगीन - Holi of Gorakhpur is no less than Barsana, air also becomes colorful
आसमान से रंगों की बारिश। हवा में उड़ते अबीर-गुलाल। वह भी इस कदर कि हवा अबीर और गुलाल के रंग में और सड़कें बरस रहे रंगों के रंग में रंग जाती है। लोग तो रंगे होते ही हैं। होली के दिन दिन सुबह 9-10 बजे से दोपहर तक करीब 6 से 7 किलोमीटर की सड़क पर यही मंजर होता है। इसकी कल्पना वही कर सकता है जो होलिका की इस शोभा यात्रा में शामिल हुआ हो या जिसने इसे देखा हो। रथ पर सवार गोरक्ष पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। रथ के आगे-पीछे रंग और गुलाल में सराबोर हजारों लोग। 
 
वाकई में यह दृश्य खुद में अनूठा है। उल्लास और उमंग के लिहाज से यह लगभग वृंदावन की बरसाने या कहीं की भी नामचीन होली जैसा ही होता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद सुरक्षा संबंधी कारणों से वह अब पूरी यात्रा में शामिल नहीं होते। शाम को गोरखनाथ मंदिर में होली मिलन कार्यक्रम भी होता है।
 
गोरखपुर की इस होली का नाम है, 'भगवान नरसिंह की रंगभरी शोभायात्रा' परंपरा के अनुसार होली के दिन रथ पर सवार होकर इस शोभायात्रा की अगुआई गोरक्ष पीठाधीश्वर करते हैं। पीठाधीश्वर के रूप में भी वर्षों से वही इसकी अगुवाई करते रहे हैं। 
 
वैश्विक महामारी कोरोना के दो साल को अपवाद मान लें तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा को निभाते रहे हैं। रथ को लोग खींचते हैं और रथ के आगे-पीछे हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। जिस रास्ते से ये रथ गुजरता है। वहां छत से महिलाएं और बच्चे गोरक्ष पीठाधीश्वर और यात्रा में शामिल लोगों पर रंग-गुलाल फेंकते हैं। बदले में इधर से भी उन पर भी रंग-गुलाल फेंका जाता है।
 
नानाजी ने डाली थी होली की यह अनूठी परंपरा : अनूठी होली की यह परंपरा करीब 7 दशक पहले नानाजी देशमुख ने डाली थी। बाद में नरसिंह शोभायात्रा की अगुवाई गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर या पीठ के उत्तराधकारी करने लगे। लोगों के मुताबिक कारोबार के लिहाज से गोरखपुर का दिल माने जाने वाले साहबगंज से इसकी शुरुआत 1944 में हुई थी। शुरू में गोरखपुर की परंपरा के अनुसार इसमें कीचड़ का ही प्रयोग होता है। हुड़दंग अलग से। अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान नानाजी देशमुख ने इसे यह नया स्वरूप दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भागीदारी से इसका स्वरूप बदला साथ ही लोगों की भागीदारी भी बढ़ी।
घंटाघर से शुरू होती है रंग भरी होली यात्रा : होली के दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा घंटाघर चौराहे से शुरू होती है। जाफराबाजार, घासीकटरा, आर्यनगर, बक्शीपुर, रेती चौक और उर्दू होते हुए घंटाघर पर ही जाकर समाप्त होती है। होली के दिन की इस शोभायात्रा से एक दिन पहले घंटाघर से ही होलिका दहन शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें भी गोरक्ष पीठाधीश्वर परंपरागत रूप से शामिल होते हैं। यहां वह फूलों की होली खेलते हैं और एक सभा को भी संबोधित करते हैं। 
 
पिछले साल (2022) योगी की अगुआई में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड जीत के बाद होने वाले होली के इस आयोजन का रंग स्वाभाविक रूप से और चटक था। इस बार भी होगा। क्योंकि उन्होंने सर्वाधिक समय तक देश की सबसे अधिक आबादी वाले प्रदेश का लगातार मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड जो बनाया है। पार्टी के अलावा लोगों में भी इसको लेकर अभूतपूर्व उत्साह है। उसी अनुरूप तैयारियां भी हैं।
ये भी पढ़ें
बचपन से ही मेरी रगों में वर्दी का हरा रंग दौड़ता है : मेजर भावना