• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. उत्तर प्रदेश
  4. ghaziabad case : eight corpses in a street in Muradnagar
Written By
Last Modified: मंगलवार, 5 जनवरी 2021 (13:40 IST)

मुरादनगर जहां श्मशान से घर पहुंची थी लाशें... सिसकियों में डूबा पूरा इलाका, एक गली से उठीं 8 अर्थियां...

मुरादनगर जहां श्मशान से घर पहुंची थी लाशें... सिसकियों में डूबा पूरा इलाका, एक गली से उठीं 8 अर्थियां... - ghaziabad case : eight corpses in a street in Muradnagar
मुरादनगर जहां श्मशान से घर पहुंची थी लाशें... सिसकियों में डूबा पूरा इलाका, एक गली से उठीं 8 अर्थियां... 
गाजियाबाद के मुरादनगर की यूं तो हर गली शोक में डूबी है, चारों ओर मातम पसरा है, लेकिन यहां एक गली ऐसी भी है जहां श्मशान हादसे में 8 लोगों की मौत हुई।

किसी के सिर से पिता का साया छिन गया तो किसी सुहागन का असमय ही सिंदूर मिट गया। कहीं मां-बाप अपने लाड़ले के गम में बिलख रहे थे। चारों ओर सन्नाटा, सि‍सकियां और रुदन था। जो लोग एक दूसरे को सहारा दे सकते थे, वे खुद ही अपनों के जाने के गम में दुखी थे। 
 
'भ्रष्टाचार की छत' ने एक झटके में कई परिवार उजाड़ दिए। मुरादनगर की डिफेंस कॉलोनी में ऐसा माहौल था कि जिसने भी देखा अपने आंसू नहीं रोक पाया। कहीं बच्चे अपने पिता की मौत पर बिलख रहे थे, कई महिलाएं अपने पति के गम में बेहाल थीं। इस हादसे की एक और दर्दनाक स्थिति यह थी कि आमतौर पर शव श्मशान जाते हैं, जबकि इस मामले में लाशें श्मशान से घर आई थीं। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हुई है, जबकि 20 के लगभग लोग घायल हुए हैं। 
इसी कालोनी में 11 की साल की अनुष्का के दुख का तो कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता। राजस्व विभाग में पेशकार पिता इस हादसे में चल बसे। मां पहले से ही मानसिक रूप से कमजोर हैं। बड़ी बहन दो साल पहले आत्महत्या कर चुकी है। ऐसे में उसका भविष्य क्या होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। 
 
इस हादसे ने 2 छोटे-छोटे बच्चों से भी पिता का साया छीन लिया। सब्जी बेचने वाले 48 साल के ओंकार भी इसी दुर्घटना में चल बसे। इसी तरह और भी बच्चे हैं जिनके पिता इस हादसे में काल के गाल में समा गए। यह दुर्घटना इनके भविष्य पर बड़ा सवाल छोड़ गई है। लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकार मुकेश सोनी इस घटना के बाद पूरी तरह मौन है। इन्हें खुद अपने 22 वर्षीय बेटे की चिता को आग देनी पड़ी। 
मौत का 'मौन' : दरअसल, जिस रविवार को जिस समय यह हादसा हुआ था उस समय लोग दयाराम नामक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने आए थे और अंत्येष्टि के बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के लिए मौन रख रहे थे। उस समय हलकी बारिश भी हो रही थी, तभी गैलरी की छत भरभराकर उड़ी।

इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई। सरकार ने पहले 2-2 लाख रुपए के मुआवजा देने का ऐलान किया था फिर यह राशि बढ़ाकर 10-10 लाख रुपए कर दी थी। योगी सरकार ने इंजीनियर और ठेकेदार पर रासुका लगाने का भी आदेश दिया है। मृतकों के परिजनों ने इस घटना के विरोध में सोमवार को हाईवे भी जाम किया था। 
 
हालांकि यह घटना अपने पीछे बहुत बड़ा सवाल छोड़ गई है, कब तक आम आदमी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ता रहेगा? ... और क्या 10-10 लाख का मुआवजा उन लोगों के परिजनों को लौटा पाएगा, जिन्होंने अपनों को खोया है?
ये भी पढ़ें
नए कोरोना स्ट्रेन ने भारत में बढ़ाया टेंशन, 58 हुई संक्रमितों की संख्‍या