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Last Updated : मंगलवार, 8 जून 2021 (16:24 IST)

Model Tenancy Act क्या है? मकान मालिक और किराएदार को कैसे मिलेगा फायदा (Details)

Model Tenancy Act क्या है? मकान मालिक और किराएदार को कैसे मिलेगा फायदा (Details) - Explainer whats is Model Tenancy Act
मकान किराए पर लेना और देना मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए परेशानी वाला काम है। मकान मालिक और किराएदार की परेशानियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने मॉडल टेनंसी एक्ट (Model Tenancy Act) को मंजूरी दी है। जानते हैं क्या है Model Tenancy Act और इससे मकान मालिक और किराएदार को कैसे मिलेगा फायदा-
 
मिलेंगे कानूनी अधिकार : नया कानून बनने से किराएदार के साथ-साथ मकान मालिक को भी कई अधिकार मिलेंगे। मकान या प्रॉपर्टी के मालिक और किराएदार में किसी बात को लेकर विवाद होता है, तो उसे सुलझाने का दोनों को कानूनी अधिकार मिलेगा। कोई किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकता।

मकान मालिक भी किराएदार को परेशान कर घर खाली करने के लिए नहीं कह सकता। इसके लिए जरूरी प्रावधान बनाए गए हैं। नए कानून के दायरे में शहर ही नहीं बल्कि गांव भी आएंगे। यह अधिनियम आवासीय, व्यावसायिक या शैक्षिक उपयोग के लिए किराए पर दिए गए परिसर पर लागू होगा, लेकिन औद्योगिक उपयोग हेतु किराए पर दिए गए परिसर पर लागू नहीं होगा। Model Tenancy Act को लागू कराने का अधिकार राज्यों पर होगा। 
 
क्यों पड़ी आवश्यकता : देश में इस समय किराएदारी से जुड़े मामलों के लिए रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 लागू है। इसके आधार पर राज्यों ने अपने कानून बनाए हैं। इसमें कई प्रकार की विसंगतियां हैं।  2022 तक 'सभी के लिए आवास' के विजन को पूरा किया जाएगा। पूरे देश में किराए से जुड़े नियमों में एकरूपता लाने की कोशिश है। Model Tenancy Act एक्ट का उद्देश्य देश में किराएदारी से जुड़े मामलों के लिए खाका तैयार करना है जिससे हर आय वर्ग के लोगों को किराए पर मकान मिल सकें और खाली पड़े मकानों का इस्तेमाल हो सके। किराएदार मकानों पर कब्जा न कर लें, इससे मकान मालिक किराएदार रखने से डरते हैं। Model Tenancy Act मकान को किराए पर देने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे औपचारिक बाजार में बदलकर उसे संस्थागत रूप देने की कोशिश है। यह  मकान मालिक और किराएदारों के बीच के विवादों को दूर करेगा।
 
क्या हैं अधिनियम में प्रावधान 
 
लिखित समझौता जरूरी है : मकान मालिक और किराएदार के बीच लिखित समझौता होना अनिवार्य है। मौखिक समझौता अमान्य। 

अलग अथॉरिटी की स्थापना : किराएदारी समझौतों के रजिस्ट्रेशन के लिए हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक स्वतंत्र अथॉरिटी की स्थापना। यहां तक कि किराएदारी संबंधी विवादों के निपटारे हेतु एक अलग अदालत भी।
 
एडवांस सिक्योरिटी डिपॉजिट की लिमिट तय : मकान मालिक ज्यादा से ज्यादा दो महीने का किराया ले सकेंगे। एडवांस सिक्यूरिटी डिपॉजिट (Advance Security Deposit) को आवासीय उद्देश्यों के लिए अधिकतम 2 महीने के किराए और गैर-आवासीय उद्देश्यों हेतु अधिकतम 6 महीने तक सीमित किया गया है।
 
मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए प्रावधान : मकान मालिक मनमाने तरीके से शर्तें नहीं थोप सकेंगे। मकान मालिक को तीन महीने पहले किराए में बढ़ोतरी का नोटिस देना होगा।

स्पष्ट होगा कि क्या खर्च मकान मालिक करेगा और क्या किराएदार। किराएदार को किसी प्रकार के स्ट्रक्चरल बदलाव के लिए मकान मालिक की सहमति लेनी होगी।

एग्रीमेंट खत्म होने पर किराएदार मकान नहीं खाली करता है तो दो महीने तक दोगुना और उसके बाद चार गुना किराया चुकाना होगा। मकान मालिक को मरम्मत या प्रतिस्थापन करने के लिए किराये के परिसर में प्रवेश करने से पहले 24 घंटे पूर्व सूचना देनी होगी।
 
कौनसा खर्च कौन उठाएगा : मकान मालिक दीवारों की सफेदी, दरवाज़ों और खिड़कियों की पेंटिंग आदि जैसी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होगा। किराएदार नाली की सफाई, स्विच और सॉकेट की मरम्मत, खिड़कियों में कांच के पैनल को बदलने, दरवाज़ों और बगीचों तथा खुले स्थानों के रखरखाव आदि के लिए जिम्मेदार होगा।
 
किराएदार को कैसे मिलेगा फायदा : किराएदारों को जहां मकान मालिक की मनमानी शर्तों से मुक्ति मिलेगी, वहीं मकान मालिक बीच में से ही किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। सिक्योरिटी डिपॉजिट 2 महीने से ज्यादा नहीं ले सकेंगे। मरम्मत के खर्चें कौन उठाएगा, यह जिम्मेदारी तय होगी।
 
मकान मालिकों को बड़ी राहत : नए कानून से किराएदार किसी भी स्थिति में मकान पर कब्जा नहीं कर सकेंगे। बाजार दर पर किराया तय कर सकेंगे, सीमा नहीं है। किराएदार से विवाद होने के बाद भी किराया मिलता रहेगा। एग्रीमेंट खत्म होने पर किराएदार ने मकान खाली नहीं किया तो दोगुना किराया।