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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022 (12:18 IST)

पश्चिमी उत्तरप्रदेश में वोटों का खूब हुआ बिखराव, सभी दलों की अटक गईं सांसें...

पश्चिमी उत्तरप्रदेश में वोटों का खूब हुआ बिखराव, सभी दलों की अटक गईं सांसें... - West UP : voting for 1st phase
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है और वोटों की बौछार भी ठीक-ठाक हुई है लेकिन इस बार वोटिंग परसेंट बढ़ जाने से सभी दलों की सांसें भी अटक गई हैं।
 
माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम सियासी कोशिशें वोटों का बिखराव नहीं रोक सकीं। इस बार पुराने और सुरक्षित किलों में भी सेंध लगी है। कोई आश्चर्य नहीं कि पुरानी, परंपरागत और हॉट सीटों के परिणाम चौंकाने वाले निकले। यह दावा सियासी गलियारों में भी हो रहा है।
 
वोटों के बिखराव में भाजपा से लेकर सपा-रालोद गठबंधन, कांग्रेस व बहुजन समाजवादी पार्टी भी फंसा गया है। सीधे तौर पर कहे 2017 के इतिहास को दोहरा पाना भारतीय जनता पार्टी के लिए राहे उतनी आसान नहीं है क्योंकि वोटों के बिखराव ने तस्वीर को पलट कर रख दिया है और नतीजा किसके पक्ष में आएगा या कह पाने की स्थिति में अभी कोई भी दल नहीं है।
 
सभी राजनीतिक जानकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 मार्च को आने वाले नतीजों को लेकर कह रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नतीजे बेहद चौंकाने वाले आएंगे।
 
लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश व अतुल कुमार की माने तो पश्चिम उत्तर प्रदेश के मतदाता 2017 की तरह एक तरफा चलते हुए नहीं दिख रहे हैं। 2017 में मतदान करके बाहर निकल रहे हैं ज्यादातर लोग कमल खिलने की बात कह रहे थे, वही 2022 में सभी मतदाताओं की राय अलग-अलग सुनाई पड़ी।
 
मतदान करके निकल रहे कुछ लोग साइकिल को मत देने की बात कह रहे थे तो कुछ लोग कमल को वोट देने की बात कह रहे थे और इसी के साथ साथ कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी के भी पक्ष में वोट करने की बात कहते हुए नजर आ रहे थे।
 
इन सब बातों पर नजर डालें तो मतदाताओं का बिखराव जबरदस्त तरीके से हुआ है। देखने वाली बात यह है कि अगर यह दिखाओ सही मायने में हुआ है तो सर्वाधिक नुकसान किस दल का होगा? अगर 2017 की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी सर्वाधिक सीट पाने वाला दल था लेकिन 2022 में मतदाताओं के बिखराव से कितना नुकसान भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ सकता है यह तो 10 मार्च को तय होगा।
 
सीधे तौर पर कहा जाए तो इसका फायदा किसको मिल रहा है या कहना भी आसान नहीं है। मतदाताओं की राय किसी एक दल के लिए गुरुवार को हुए मतदान में नहीं थी और सभी अलग-अलग प्रत्याशियों की बात करते हुए नजर आ रहे थे।
 
2017 में किसके पक्ष में था नतीजा - पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ। यहां 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, सपा को 2, बसपा को 2 और 1 आरएलडी को मिली थी।
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