मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. विधानसभा चुनाव 2017
  3. उत्तरप्रदेश
  4. RSS spokesperson Manmohan Vaidya on reservation
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 20 जनवरी 2017 (20:49 IST)

आरक्षण पर फिर बोला संघ, बढ़ाई भाजपा की मुश्किल

आरक्षण पर फिर बोला संघ, बढ़ाई भाजपा की मुश्किल - RSS spokesperson Manmohan Vaidya on reservation
जयपुर। उत्तरप्रदेश चुनाव से ठीक पहले आरक्षण का विरोध कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार फिर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 
उल्लेखनीय है कि बिहार चुनाव से पहले भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के खिलाफ बयान दिया था, जिसे विरोधी पार्टियों ने हाथोंहाथ लिया था। बिहार चुनाव में इसका खामियाजा भी भाजपा को उठाना पड़ा था। राजद और जदयू ने चुनावी सभाओं में इस बयान को जमकर भुनाया और भाजपा के खिलाफ चुनाव में माहौल बनाने में मदद मिली। 
 
जयपुर लिटरेचर फेस्टिबल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने भी आरक्षण पर बयान देकर यूपी चुनाव से पहले भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वैद्य ने कहा कि संघ तय सीमा से ज्यादा आरक्षण के पक्ष में नहीं है। इस पर पुनर्विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी जिस वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलना था, वह नहीं मिल पाया। आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है। अत: आरक्षण के आधार पर समाज में भेदभाव समाप्त होना चाहिए।
 
वैद्य के मुताबिक सबको समान अधिकार और सामान शिक्षा मिलनी चाहिए, इसलिए एक वक्त के बाद आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। इसके लिए उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि अंबेडकर भी हमेशा के लिए आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। भाजपा के लिए वैद्य का ये बयान बड़ी मुसीबत बन सकता है। क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां चुनाव जातिगत समीकरण अपनी बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

वैध के बयान का विरोध शुरू : आरक्षण पर मनमोहन वैद्य के बयान के साथ ही उनका विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस और भाजपा आरक्षण विरोधी हैं। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि हम आरक्षण के साथ हैं, आरएसएस दलित विरोधी है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि संघ अंटशंट बक रहा है। 

बयान पर दी यह सफाई : मनमोहन वैद्य ने इस बयान पर सफाई दी है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। इसे खत्म करने की बात कही थी। इससे अलगाववाद बढ़ता है। दलितों-पिछड़ों को आरक्षण मिलता रहे।