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झाबुआ ब्लास्ट : डिटोनेटर का अवैध कारोबार जिम्मेदार

झाबुआ ब्लास्ट : डिटोनेटर का अवैध कारोबार जिम्मेदार - petlawad blast
झाबुआ। मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल जिला झाबुआ में बड़े पैमाने पर डिटोनेटर और ब्लॉस्टींग का अवैध कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है जिसमें प्रशासन अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। इसका नतीजा पेटलावद में एक मकान में हुए बड़ा विस्फोट रहा। जिसमें कई लोगों की जान गई और अनेक घायल हो गए।
सूत्रों के अनुसार जिले में माईनिंग एवं कुएं, तालाब खोदने के लिए ब्लॉस्टींग का काम बड़े पैमाने पर व्यापारियों द्वारा किया जाता है। इसका लायसेंस लेना बड़ा महंगा और टेड़ी खीर होता है तथा इसमें पैसा भी बहुत ज्यादा लगता है इसलिए इसका धंधा अधिकतर पैसे वाले या फिर राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग ही करते हैं। कई कांग्रेस व भाजपा से जुटे नेताओं के परिजन भी इन धंधों में लगे हुए हैं।
आदिवासी लोग के यहां पर अधिकांश कुएं खोदने के लिए इनका उपयोग किया जाता है। जिले के पेटलावद क्षेत्र में इसका ज्यादा उपयोग होता है चूंकि झाबुआ जिला पत्थरीला क्षेत्र है इसलिए यहां पर ब्लॉस्टींग का काम ज्यादा होता है।
 
प्राप्त जानकारी अनुसार एक्स्लूजीव लायसेंस आगरा से प्राप्त करना होता है जहां पर इसका बड़ा लायसेंस देने का विभाग है। यहां पर एक लायसेंस एक से दो लाख रुपए में प्राप्त किया जा सकता है। लायसेंस के तहत यह नियम होते हैं कि लायसेंस धारी डिटोनेटर, जिलेटिन शहर या गांव से बाहर सुनसान मैदान में लोहे के बॉक्स में इन्हें रखेगा और उस जमीन के आसपास बागड़ लगाकर वहां विस्फोटक होने संबंधित खतरे का निशान का सिंबोल लगाएगा तथा लायसेंस में दिए गए संख्या के अनुरूप ही अपने पास डिटोनेटर, जिलेटीन की छड़े रख सकेगा। इसके लिए जिले का खनिज विभाग, कलेक्टर, पुलिस इसकी मानिटरिंग करेगें।
 
लेकिन जिले में इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है और व्यापारी इन विस्फोटकों को शहरी और आबादी वाले घरो में ही रखते हैं। कई जगह तो काम करने वाले मजदूरों के घरों में भी ये सामग्री रखी जाती है। जिसके चलते पूर्व में जिले में कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन छोटे-मोटे प्रकरण बनाकर ये व्यापारी छूट जाते हैं। दूसरी और निर्धारित संख्या से अधिक डिटोनेटर ये व्यापारी जावरा, मंदसौर क्षेत्रों से अवैध रूप से खरीदते हैं इन जिलों से झाबुआ जिले में बड़ी संख्या में अवैध डिटोनेटर बेचने के लिए लोग आते रहते हैं। जिसके चलते इस प्रकार के हादसे होने की आशंका बनती है।
 
जिले में ऐसे हादसे पहले भी हुए है, लेकिन उनमें एक दो लोगों की मौतें या घायल हुए है। पहली मर्तबा पेटलावद में इतने लोगों के मारे जाने के बाद अब यह आवश्यक हो गया है कि जिला प्रशासन इस और जागरूकता पूर्वक एवं गंभीरता से यह पता लगाए की जिले में उक्त व्यवसाय करने वाले कितने वैध और कितने अवैध व्यापारी है और वे कहां पर अपना विस्फोटक सामग्री रखते हैं और उनका कैसे उपयोग करते हैं। किससे माल खरीदते हैं और किसे बेचते हैं। तभी इस प्रकार के हादसों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा और इसकी रोकथाम हो सकेगी। (वार्ता)