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भारतीय हॉकी टीम के इस कारनामे पर महान ध्यानचंद जहां भी होंगे खुश होंगे

भारतीय हॉकी टीम के इस कारनामे पर महान ध्यानचंद जहां भी होंगे खुश होंगे - Indian Hockey gave the best tribute to Major Dhanchand today
41 साल। गंगा में कई गैलन पानी बह गया। इंटरनेट आ गया। मोबाइल छा गया। दुनिया बदल गई। बच्चे अधेड़ हो गए। नहीं बदला था तो हॉकी का सूखा। जिस खेल पर हम इतराते थे। ओलंपिक में आसानी से पदक ले आते थे। हिटलर भी जल उठता था। उस खेल में 41 साल से सिर्फ एक पदक के लिए तरस रहे थे। 
 
जो बच्चे अपने पिता और दादा से हॉकी की गौरवगाथा सुनते थे उन्हें शक होता था कि क्या सचमुच में विश्व हॉकी में ऐसा हमारा दबदबा था? क्या हमारे खिलाड़ियों को देख विरोधी थर-थर कांपने लगते थे? इस दौरान कितने खिलाड़ी आए और गए, लेकिन पदक पाने की प्यास बुझ ही नहीं पाई। 
 
हर बार ओलंपिक में हमारी हॉकी टीम जाती। करोड़ों आशाओं के दीप जलने लगते, लेकिन इन्हें बुझने में देर नहीं लगती। बाद में तो लोगों ने आशाओं के दीप जलाने ही बंद कर दिए। इस बार भी हॉकी टीम ओलंपिक में हिस्सा लेने गईं तो उम्मीद कम ही थी, लेकिन टीम ने कमाल का खेल दिखाया। सिर्फ अपने ऊपर की रैंक की टीम से ही हारी और पदक के सूखे को खत्म किया। 
स्वर्ण ना सही, कांस्य ही सही, लेकिन युवा खिलाड़ियों ने लंबे समय बाद हॉकी टीम पर गर्व करने का अवसर तो दिया। विश्वास तो पैदा किया। आज इस गौरवशाली गाथा को देख न जाने कितने बच्चें प्रेरित होंगे जो भविष्य में पदक का रंग बदलने में जी-जान लगा देंगे। 1983 में कपिलदेव की टीम ने विश्वकप जीत कर विजय पताका फहराई थी। उसके बाद से क्रिकेट का रंग पूरे देश में छा गया और हमारी टीम ने दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की की। ऐसा ही कुछ प्रदर्शन भारतीय हॉकी टीम ने भी किया है। उनके इस खेल से हॉकी की तस्वीर भारत में बदल सकती है। एक बार फिर गौरवशाली दिन लौट सकते हैं। 
 
ये महज पड़ाव है, मंजिल नहीं। अभी बहुत काम बाकी है। लगातार इस तरह का खेल दिखाना है। दबदबा बनाना है। कुछ जीत और हासिल की तो बच्चे हॉकी लिए मैदान में नजर आने लगेंगे। कहने वाले कह सकते हैं कि कांस्य पदक पर क्या इतराना, गोल्ड लाना था। सही बात है, लेकिन भारतीय टीम के पूर्व कोच हरेन्द्र सिंह (जिनके द्वारा तैयार किए गए कई जूनियर खिलाड़ी आज सीनियर टीम का हिस्सा हैं) का कहना है कि पदक तालिका में भले ही एक पदक दिखेगा, लेकिन जब ये 18 कांस्य पदक विजेता भारत के अलग-अलग हिस्सों में जाएंगे तो नया अध्याय शुरू होगा। महान ध्यानचंद भी आज जहां भी होंगे खुश होंगे। उनकी यह खुशी बरकरार रखना चाहिए, बस अब ये काम करना होगा। कोच ग्राहम रीड, कप्तान मनप्रीत सिंह सहित पूरी टीम को बधाई।
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