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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 27 मई 2016 (00:51 IST)

सुशील के जन्मदिन के बाद आज 'जजमेंट डे'

सुशील के जन्मदिन के बाद आज 'जजमेंट डे' - Sushil Kumar, Olympic wrestler, birthday, Rio Olympic controversy
नई दिल्ली। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार गुरूवार को 33 वर्ष के हो गए और अपने जन्मदिन के अगले ही दिन शुक्रवार को उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला होगा।
       
बीजिंग के कांस्य और लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता सुशील आज 33 वर्ष के हो गए और उनके प्रशंसकों ने उन्हें उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी। सुशील के लिए जहां यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, वहीं 27 मई का दिन उनके करियर के लिए  'जजमेंट डे' साबित होगा। 
 
सुशील ने 74 किग्रा वजन वर्ग में महाराष्ट्र के पहलवान नरसिंह यादव से ट्रायल कराने को लेकर याचिका दी थी जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय को कल फैसला करना है कि यह ट्रायल होगा या नहीं। 
        
यदि यह ट्रायल होता है तो ही सुशील के अगस्त में होने वाले रियो ओलंपिक में खेलने की संभावन बनेगी। ट्रायल होने की सूरत में उन्हें नरसिंह यादव को हराना होगा। अभी तक की जो परिस्थतियां हैं उसमें भारतीय कुश्ती महासंघ अपने पुराने रूख पर कायम है कि जो पहलवान ओलंपिक कोटा जीतता है वही ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेगा।
          
सुशील ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा था कि गत वर्ष सितंबर में लास वेगास में हुई विश्व चैंपियनशिप में ओलंपिक कोटा बुक हो जाने के कारण उन्हें फिर इस साल हुए तीन ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंटों में खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल पाया इसलिए उनका आग्रह है कि उनका नरसिंह के साथ ट्रायल कराया जाए ताकि जो सर्वश्रेष्ठ पहलवान हो वही ओलंपिक जाए।  

इस बीच विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता पहलवान उदय चंद और अर्जुन अवार्डी पहलवानों काका पवार, धर्मेन्द्र दलाल, ओमवीर, राजेन्द्र कुमार, सुनील कुमार राणा और रविन्दर सिंह तथा हिंद केसरी सोनू पहलवान ने मांग की है कि सुशील को ट्रायल का मौका मिलना चाहिए और इस ट्रायल में जो जीते वह ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करे।
                  
यह मामला काफी तूल पकड़ चुका है और इसमें नरसिंह का कहना है कि उन्होंने ओलंपिक कोटा जीता है इसलिए उन्हें ट्रायल देने की कोई जरूरत नहीं है। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह भी इसी बात पर डटे हुए हैं कि ट्रायल नहीं होना चाहिए।
                  
दिल्ली उच्च न्यायालय में पिछली सुनवाई के समय फेडरेशन से कहा था कि वह सुशील से बात कर उनका पक्ष सुनें। फेडरेशन ने सुशील के साथ बैठक भी की थी लेकिन उसमें भी टकराव की यही स्थिति बरकरार रही है। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि उच्च न्यायालय ट्रायल के लिए फैसला देता है या फेडरेशन के रूख को बरकरार रखता है। (वार्ता)
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