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Last Modified: शनिवार, 19 अगस्त 2017 (18:21 IST)

सरकार ने नहीं बदली खेल पुरस्कारों की सूची

सरकार ने नहीं बदली खेल पुरस्कारों की सूची - Sports awards list, sports awards
नई दिल्ली। खेल मंत्रालय ने पैरा खेलों के कोच सत्यनारायण राजू का नाम इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटा दिया है। चूंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है जबकि अर्जुन पुरस्कार और खेलरत्न पुरस्कार की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके मायने है कि टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और भारोत्तोलक संजीता चानू को अर्जुन पुरस्कार नहीं मिल सकेगा।
 
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हमने सत्यनारायण का नाम सूची से हटा दिया है, क्योंकि उनके खिलाफ एक मामला लंबित है। सत्यनारायण रियो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियाप्पन थंगावेलू के कोच रह चुके हैं। समझा जाता है कि द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए उनका नाम दिए जाने की लोगों ने आलोचना की थी। खेलमंत्री विजय गोयल से मंजूरी मिलने के बाद पुरस्कार विजेताओं को ई-मेल भेज दिए गए हैं।
 
चयन समिति ने अर्जुन पुरस्कार के लिए 2 पैरा एथलीटों समेत 17 खिलाड़ियों के नाम की अनुशंसा की थी जबकि खेलरत्न हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह और पैरा एथलीट देवेन्द्र झझारिया को दिया जाएगा।
 
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने खेलरत्न के लिए पैरा एथलीट दीपा मलिक का नाम शामिल करने का अनुरोध किया था लेकिन मंत्रालय ने सूची में कोई बदलाव नहीं किया। इस पर भी बहस हुई कि रोहन बोपन्ना को सूची में शामिल किया जा सकता है या नहीं जिनका नाम एआईटीए ने देर से भेजा था। 
 
बोपन्ना की उपलब्धियां साकेत माइनेनी से अधिक है जिसके नाम की अनुशंसा अर्जुन पुरस्कार के लिए की गई। बोपन्ना ग्रैंडस्लैम जीतने वाले देश के चौथे टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने कनाडा की गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल जीता। वे रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे। 
 
कइयों का मानना है कि जब चौथे स्थान पर रहने पर जिम्नास्ट दीपा करमाकर को खेलरत्न दिया जा सकता है तो बोपन्ना को क्यों नहीं? कइयों का हालांकि यह भी कहना है कि टेनिस मिश्रित युगल की उपलब्धि की तुलना जिम्नास्टिक में दीपा के एकल प्रदर्शन से नहीं की जा सकती। दीपा के प्रदर्शन से भारत में जिम्नास्टिक का परिदृश्य ही बदल गया है। कुछ का कहना है कि इंचियोन एशियाई खेलों में भाग नहीं लेने का बोपन्ना को खामियाजा भुगतना पड़ा चूंकि एटीपी वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट को तरजीह देने का उनका फैसला मंत्रालय को रास नहीं आया।
 
एआईटीए ने इसलिए उनका नामांकन नहीं भेजा, क्योंकि उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कोई पदक नहीं जीता। वैसे बोपन्ना खुद भी कसूरवार हैं, क्योंकि उनके पास मंत्रालय को सीधे आवेदन भेजने का विकल्प था। फ्रेंच ओपन जीतने के बाद ही वे हरकत में आए और खेलमंत्री से मिले भी थे।
 
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने चानू का नाम शामिल करने की गुजारिश की थी जिसने 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल और राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण और एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था जिससे उसके 45 अंक होते हैं।
 
चयन समिति के एक सदस्य ने हालांकि कहा कि अंक ही मानदंड नहीं थे। यदि ऐसा होता तो एसएसपी चौरसिया, चेतेश्वर पुजारा या हरमनप्रीत कौर को कभी पुरस्कार नहीं मिलता। संजीता ने राष्ट्रमंडल खेलों के बाद कुछ नहीं किया। वह विश्व चैंपियनशिप में भी क्वालीफाई नहीं कर सकी। (भाषा) 
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