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Last Updated : शनिवार, 20 जुलाई 2019 (10:50 IST)

ओलंपिक में भारत की 'स्वर्णिम' उम्मीद हिमा दास, 15 दिन में जीता चौथा गोल्ड मेडल

ओलंपिक में भारत की 'स्वर्णिम' उम्मीद हिमा दास, 15 दिन में जीता चौथा गोल्ड मेडल - Hima Das won the fourth gold medal
युवा स्प्रिंटर हिमा दास ने 15 दिनों में चौथा स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए ओलंपिक में पदक की आस को जगा दिया है। हिमा दास करोड़ों भारतीयों की 'स्वर्णिम' उम्मीद बन चुकी हैं। ढींग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर इस 'उड़नपरी' की यह उपलब्धि क्रिकेट की सुर्खियों में कहीं दबी-सी रह गई। हिमा ने चेक गणराज्य में हुए टाबोर एथलेटिक्स टूर्नामेंट में 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। 
 
19 साल की हिमा दास भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। इस एथलीट को पूरा देश सलाम कर रहा है। हिमा ने 2018 में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था।
15 दिनों में जीते 4 स्वर्ण : हिमा ने सोने का पहला तमगा 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस में जीता था। उन्होंने 23.65 सेकंड में उस रेस को पूरा किया था। 7 जुलाई को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर हिमा ने दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया था। हिमा ने 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकंड में पूरा कर तीसरा स्वर्ण पदक जीता था। इसी तरह 17 जुलाई को चेक गणराज्य में हुए टाबोर एथलेटिक्स टूर्नामेंट में 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक भी जीता था।
2 साल की उम्र में रखा रेसिंग ट्रैक पर कदम : असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हिमा ने महज 2 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अच्छे जूते नसीब नहीं हुए थे। उनके के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा। परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं।
उनकी प्रतिभा को देखते हुए स्थानीय कोच ने हिमा को एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी। सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी चकित रह गए। वे हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनेशनल स्टेंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले। इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पिता के पास 2 बीघा जमीन : हिमा के किसान पिता रंजीत दास के पास महज 2 बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू महिला हैं। जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के 6 सदस्यों का भरण-पोषण करता था।

बाढ़ पीड़ितों के लिए दान की आधी सैलरी : भारत की स्टार महिला धावक हिमा दास ने असम में बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी सैलरी का आधा हिस्सा दान कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने असम में बाढ़ से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए बड़े कॉर्पोरेट्स घरानों से भी आगे आने की अपील की है। हिमा की इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया पर हस्तियां उन्हें शुभकामनाएं दे रही हैं।
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