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Written By WD Sports Desk
Last Modified: शनिवार, 24 अगस्त 2024 (16:53 IST)

खेलों में सफलता पाने के लिए निजी जीवन में बहुत त्याग किया है: पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास

खेलों में सफलता पाने के लिए निजी जीवन में बहुत त्याग किया है: पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास - Have sacrificed a lot in my personal life to achieve success in sports says Para badminton player Suhas Yathiraj
Paralympic Games Suhas Yathiraj :  पैरालंपिक खेलों के पिछले चरण में स्वर्ण पदक जीतने में असफल होने के बाद पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एलवाई की निगाहें पेरिस में शीर्ष पोडियम स्थान हासिल करने पर टिकी हैं और उन्हें उम्मीद है कि वह अपने परिवार के सदस्यों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने में सफल रहेंगे जिन्होंने काफी बलिदान किया है।
 
सुहास पिछले तीन वर्षों से दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयारी में जुटे हैं। 2007 बैच के आईएएस अधिकारी (IAS Officer) सुहास ने तोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympic) में एसएल-4 श्रेणी में रजत पदक जीता। उन्होंने कोविड काल के दौरान गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के रूप में कार्य किया और प्रयागराज के डीएम भी रहे।
अभी यह अर्जुना पुरस्कार विजेता उत्तर प्रदेश सरकार के एक विभाग युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में तैनात हैं।
 
लेकिन सुहास स्वीकार करते हैं कि उनकी यह यात्रा आसान नहीं रही।
 
सुहास ने पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों से पहले पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने अपने निजी जीवन का बहुत त्याग किया है। मैंने अपना निजी जीवन खेलों को समर्पित कर दिया है। पिछले छह महीनों में अपनी नौकरी के अलावा मैं अपना काफी समय खेल को दे रहा हूं। ’’
 
सुहास ने कहा, ‘‘आप जीवन में सब कुछ नहीं पा सकते, जब आप देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं तो हर किसी को चीजों को प्राथमिकता देनी होती है। आपको जो भी कर रहे हैं उसका आनंद लेना चाहिए। प्रक्रिया का आनंद लें। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘असल राज यही है कि आप जो करते हैं उसका आनंद लें। ’’
 
सुहास की शादी रितु सुहास से हुई है जो पीसीएस अधिकारी हैं और गाजियाबाद में एडीएम (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं। उनकी बेटी सान्वी पांच साल की है और बेटा विवान दो साल का है।
 
सुहास ने कहा कि खेलों में उनकी सफलता के पीछे असली आधार उनके परिवार का समर्थन है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘उनके (परिवार) समर्थन के बिना मैं आज जो हूं, वह नहीं होता। उन्होंने मुझे बैडमिंटन में अपने सपनों को पूरा करने से कभी नहीं रोका। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे अपने खेल में और अधिक ऊंचाइयां हासिल करने के लिए प्रेरित किया। ’’
 
सुहास इस समय अपनी श्रेणी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी हैं और उनकी निगाहें स्वर्ण पदक जीतने पर लगी हैं लेकिन वह किसी भी तरह का दबाव लेने के मूड में नहीं हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक सब कुछ अच्छा चल रहा है, खेलों की तैयारी अच्छी है। लेकिन मैं कोई दबाव नहीं लेना चाहता। मैं आत्ममुग्ध नहीं हो सकता। मैं आगे बहुत अधिक नहीं सोचना चाहता। ’’ (भाषा)
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