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Last Modified: इंचियोन , शनिवार, 4 अक्टूबर 2014 (17:36 IST)

भारत को एशियाड में पिछली बार से कम पदक मिले

भारत को एशियाड में पिछली बार से कम पदक मिले - Asian games
इंचियोन। भारत के पदकों की संख्या में यहां एशियाई खेलों के दौरान भले ही गिरावट आई हो लेकिन इसके बावजूद उसे जश्न मनाने के काफी मौके मिले, जब पुरुष हॉकी टीम ने लंबे समय के बाद स्वर्ण पदक जीता जबकि महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने स्वार्ण पदक जीतकर अपने कद को और बड़ा दिया। देश के खिलाड़ियों का एशियाई खेलों में अभियान हालांकि मिश्रित सफलता वाला रहा।
पिस्टल निशानेबाज जीतू राय और फ्रीस्टाइल पहलवान योगेश्वर दत्त इन खेलों के नायकों में शामिल रहे, जहां भारत 2010 ग्वांग्झू खेलों के अपने 65 पदकों की संख्या में सुधार करने या इसकी बराबरी करने के इरादे से उतरा था।
 
भारतीय दल हालांकि पिछली बार ही तुलना में कम ही पदक जीत पाया। भारत ने 11 स्वर्ण जीते, जो पिछली बार की तुलना में 3 कम हैं। इसके अलावा उसने 10 रजत और 36 कांस्य पदक सहित कुल 57 पदक जीते। भारत ने एथलेटिक्स और कबड्डी में 2-2 स्वर्ण पदक जीते जबकि तीरंदाजी, मुक्केबाजी, हॉकी, निशानेबाजी, स्क्वाश, टेनिस और कुश्ती में 1-1 स्वर्ण पदक मिला।
 
भारत पदक तालिका में 8वें स्थान पर रहा, जो पिछली बार के चीन खेलों की तुलना में 2 स्थान नीचे है। ग्वांग्झू में भारत ने 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य पदक जीतकर 6ठा स्थान हासिल किया था।
 
वर्ष 2010 में भारत ने 609 प्रतिभागियों में मैदान में उतारा था जबकि इस दौरान 541 खिलाड़ियों ने चुनौती पेश की। भारत की ओर से पहला स्वर्ण पदक सेना के प्रतिभावना निशानेबाज जीतू राय ने पुरुष 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में प्रतियोगिताओं के पहले ही दिन जीता।
 
भारत के लिए अंतिम स्वर्ण पदक कल महिला और पुरुष कबड्डी टीमों ने जीते। देश को कुछ स्वर्ण कबड्डी जैसे गैर ओलंपिक खेलों में मिले, जो एशियाई के अधिकांश हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय नहीं है। भारतीय मिशन प्रमुख आदिले सुमारिवाला ने भारतीय टीम के प्रदर्शन पर कहा कि पदकों की कुल संख्या उम्मीद के मुताबिक रही।
 
उन्होंने कहा कि हमने 50 से 55 पदक की उम्मीद की थी और हमें 57 पदक मिले। वर्ष 2010 के बाद हम राह से भटक गए थे, नहीं तो और अधिक पदक जीतने में सफल रहते। इस बार भी भारत ग्लास्गो में राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद यहां था और एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के स्तर में अंतर देखने को मिला। एशियाई खेलों में एक बार फिर चीन ने दबदबा बनाया।
 
स्वर्ण पदकों की गिरती संख्या के बीच सरदार सिंह की अगुआई वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को पेनल्टी शूट आउट में हराकर देश को जश्न बनाने का मौका दिया। फाइनल मुकाबला 4 क्वार्टर के बाद 1-1 से बराबर रहने के बाद भारत ने पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से जीत दर्ज की थी।
 
भारत ने पिछला स्वर्ण पदक 1998 बैंकॉक एशियाई खेलों के दौरान जीता था और टीम के लिए निश्चित तौर पर यह स्वर्ण काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके साथ ही भारत 1966 के बाद पाकिस्तान को पहली बार फाइनल में हराकर 2016 रियो ओलंपिक की पुरुष हॉकी स्पर्धा के लिए भी क्वालीफाई कर गया।
 
इसके अलावा भारत के लिए पुरुष कंपाउंड तीरंदाजी टीम, मैरीकॉम, योगेश्वर दत्त, पुरुष स्क्वॉश टीम, सानिया मिर्जा और साकेत माइनेनी की टेनिस मिश्रित युगल जोड़ी, महिला चक्का फेंक खिलाड़ी सीमा पूनिया और 4 गुना 400 मीटर रिले टीम ने भी स्वर्ण पदक जीते। योगेश्वर यहां स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से आए थे और उन्होंने कुश्ती में भारत के 28 साल के स्वर्ण पदक के सूखे का अंत किया। (भाषा)