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Written By WD

वीरेन्द्र सहवाग का वनडे में फ्लॉप-शो

Virender Sehwag | वीरेन्द्र सहवाग का वनडे में फ्लॉप-शो
PTI
वीरेन्द्र सहवाग ने अपने पूरे करियर में जितने बुरे दिन नहीं देखे, उतने उन्हें पिछले कुछ महीनों में देखने को मिल रहे हैं। इंग्लैंड दौरे में कान में हुए संक्रमण ने उन्हे इतनी तकलीफ दी कि यहां तक कहा जाने लगा कि वीरू बहरे हो गए हैं। दरअसल उन्हें एक कान से सुनना बंद हो गया था।

उसके पहले मई 2011 में उन्होंने कंधे का ऑपरेशन करवाया था। यह ऑपरेशन लंदन के उसी अस्पताल में हुआ था, जहां सचिन तेंडुलकर ने टेनिस एल्बो का ऑपरेशन करवाया था और सर्जन थे डॉक्टर एंड्रयू वॉलेस। भारत में इसी साल (19 फरवरी से 2 अप्रैल) हुए विश्वकप के दौरान सहवाग कंधे में चोट लगवा बैठे थे और यह चोट आईपीएल -4 में बढ़ गई, लिहाजा उनके सामने ऑपरेशन ही अंतिम विकल्प रह गया था।

इंग्लैंड दौरे में जब नार्देम्पटन शायर के खिलाफ वे कान में रूई डालकर खेले तब क्रिकेट बिरादरी को पता चला कि नजबगढ़ के इस नवाब को सुनने में परेशानी आ रही है और वे चैन की नींद भी नहीं सो पा रहे हैं।

बीमारी के लॉर्ड्‍स में खेले गए पहले टेस्ट मैच से पूर्व ही सहवाग ने कंधे के दर्द से निजात पाने के लिए उन्होंने दर्द निवारक इंजेक्शन लिया और स्वदेश लौटने के लिए उड़ान पकड़ ली।

वेस्टइंडीज के भारत दौरे में पहले सहवाग को तीन वनडे मैचों के लिए कार्यवाहक कप्तान बनाया गया क्योंकि नियमित कप्तान धोनी ने बोर्ड के सामने विश्राम की ‍अर्जी दी थी। अहमदाबाद के तीसरे वनडे के बाद घोषणा हुई कि धोनी वापस नहीं आ रहे हैं और सहवाग को ही शेष 2 वनडे मैचों में कप्तानी निभानी पड़ेगी।

धोनी की गैर मौजूदगी में 33 बरस के सहवाग के सामने अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित करने का सुनहरा अवसर था क्योंकि आईसीसी की नंबर 2 की रैंकिंग पर काबिज टीम इंडिया के सामने नंबर 8 की कमजोर और कई देशों से पिटकर आई वेस्टइंडीज की टीम खड़ी, जो आमंत्रण दे रही थी कि आप अपने घर में हमारी जितनी चाहे धुलमपट्‍टी कर सकते हैं।

कटक और विशाखापट्‍टनम में टॉप ऑर्डर के बुरी तरह फ्लॉप होने के बाद भारत किसी तरह लक्ष्य तय करके जीत दर्ज करने में सफल रहा। यह 2 जीत विश्वविजेता जैसी टीम की शान के खिलाफ थी और अहमदाबाद में तीसरे वनडे की हार ने भारत के 'क्लीन स्वीप' करने के मंसूबों पर छन्न से पानी डाल दिया।

गौर करने वाली बात यह है कि कप्तान वीरेन्द्र सहवाग का पहले ‍तीनों मैचों में गैर जिम्मेदाराना प्रदर्शन रहा। वे तीन मैचों में कुल 46 रन बना पाए। जब इस लापरवाही का सबब जानना चाहा तो उनका कहना था कि मेरी यही स्टाइल है। मैं इसे बदल नहीं सकता। मैं रन नहीं बना पा रहा हूं, इससे परेशान नही हूं और न ही इसकी मुझे परवाह है। मेरी टाइमिंग सही हो रही है।

क्रिकेट दीवानों को सहवाग की विस्फोटक पारी को देखे अरसा गुजर गया है। साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है, जब उनके बल्ले से कोई शतक नहीं निकला है। आंकड़े सहवाग की नाकामियों को बयान कर रहे हैं।

सहवाग ने पिछले एक साल में 8 टेस्ट मैच खेले और 28.66 के औसत से 430 रन बनाए। सनद रहे कि उन्होंने करियर के 92 टेस्ट मैचों में 52.15 के औसत से कुल 7380 रन (22 शतक 30 अर्धशतक) बनाए, जिसमें उच्चतम स्कोर 319 रन का रहा है।

करियर के 239 वनडे मैचों में 7806 रन (14 शतक 37 अर्धशतक) बनाने वाले वीरू का टॉप स्कोर 175 रन का रहा है। ऐसे सूरमा बल्लेबाज के लिए अब रनों का सूखा पड़ना चिंता पैदा करता है। सहवाग ने पिछले 10 वनडे मैचों में 27.00 के औसत से केवल 251 रन बनाए हैं।

वीरू के लिए अब भी दो मौके हैं। 8 और 11 दिसम्बर को क्रमश: इंदौर और चेन्नई में खेले जाने वाले चौथे व पांचवे वनडे मैच में वे अपनी खोई हुई साख को बचा सकते हैं। दर्शक भी उनसे ऐसी पारी की उम्मीद लगाए हैं, जो लंबे समय के लिए जेहन में बस जाए। (वेबदुनिया न्यूज)