शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. श्रावण मास विशेष
  4. Shiv Katha and Mahabharat
Written By

जब भगवान शंकर ने अर्जुन को दिया पाशुपत अस्त्र

जब भगवान शंकर ने अर्जुन को दिया पाशुपत अस्त्र - Shiv Katha and Mahabharat
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा तुम शंकरजी के पास जाओ। शंकरजी के पास पाशुपत नामक एक दिव्य सनातन अस्त्र है। जिससे उन्होंने पूर्वकाल में सारे दैत्यों का संहार किया था। यदि तुम्हें उस अस्त्र का ज्ञान हो तो अवश्य ही कल जयद्रथ का वध कर सकोगे। 
 
उसके बाद अर्जुन ने ध्यान की अवस्था में अपने आप को कृष्ण का हाथ पकड़े देखा। कृष्ण के साथ वे उड़ने लगे और सफेद बर्फ से ढके कैलाश पर्वत पर पहुंचे। वहां जटाधारी शंकर विराजमान थे। दोनों ने उन्हें प्रणाम किया। 
 
शंकरजी ने कहा वीरवर, तुम दोनों का स्वागत है। बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है। भगवान शिव की यह बात सुनकर श्रीकृष्ण और अर्जुन दोनों हाथ जोड़े खड़े हो गए और उनकी स्तुति करने लगे। 
 
अर्जुन ने शंकरजी से कहा भगवन मैं आपका दिव्य अस्त्र चाहता हूं। यह सुनकर भगवान शंकर मुस्कुराए और कहा यहां से पास ही एक दिव्य सरोवर है मैंने वहां धनुष और बाण रख दिए हैं। 
 
दोनों उस सरोवर के पास पहुंचे वहां जाकर देखा तो दो नाग थे। दोनों नाग धनुष और बाण में बदल गए। इसके बाद धनुष और बाण लेकर कृष्ण-अर्जुन दोनों शंकर भगवान के पास आ गए और उन्हें अर्पण कर दिए। 
शंकर भगवान की माया से एक ब्रह्मचारी उत्पन्न हुआ जिसने मंत्र-जप के साथ धनुष चढ़ाया। वह मंत्र अर्जुन ने तुरंत याद कर लिया। शंकरजी ने प्रसन्न होकर वह शस्त्र अर्जुन को दे दिया। यह सब अर्जुन ने स्वप्न में ही देखा था लेकिन उन्हें वह पाशुपत अस्त्र वास्तव में मिला था। 

सावन सोमवार की पवित्र और पौराणिक कथा (देखें वीडियो)