• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. महाशिवरात्रि
  4. Mahashivratri nishita kaal Puja Muhurat timings 2024
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 8 मार्च 2024 (12:31 IST)

महाशिवरात्रि निशीथ काल पूजा मुहूर्त, शिवरात्रि व्रत की पूजा-विधि

Mahashivratri 2024
Mahashivratri 2024: आज 8 मार्च शुक्रवार 2024 को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान शिव की पूजा चतुर्दशी के निशीथ काल में किए जाने का महत्व है। यदि आप भी इसी निशीथ या निशिता मुहूर्त काल में पूजा करना चाहते हैं तो जानिए महत्वपूर्ण जानकारी। 
 
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 08 मार्च 2024 को रात्रि 09:57 बजे।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2024 को 06:17 बजे।
 
नोट: इसका अर्थ है कि 8 मार्च की रात को 09 बजकर 57 मिनट पर ही इस पर्व को मनाए जाने का महत्व है।
 
महाशिवरात्रि निशीथ काल पूजा मुहूर्त समय- रात्रि (मार्च 09) 12:07 am से 12:56am.
 
निशीथ काल क्या होता है : निशीथ या निशिता काल को आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं। यह समय 12 बजे के आसपास का होता है। साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी, महा शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बनकर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि- Mahashivratri puja vidhi in hindi:-
- प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो शिवजी का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा का संपल्प लें।
- घर पर पूजा कर रहे हैं तो एक पाट पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर घट एवं कलश की स्थापना करें।
- इसके बाद एक बड़ी सी थाली में शिवलिंग या शिवमूर्ति को स्थापित करके उस थाल को पाट पर स्थापित करें।
- अब धूप दीप को प्रज्वलित करें। इसके बाद कलश की पूजा करें।
- कलश पूजा के बाद शिवमूर्ति या शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। 
- फिर पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत के बाद पुन: जलाभिषेक करें।
- फिर शिवजी के मस्तक पर चंदन, भस्म और लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाकर माला पहनाएं।
- पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से इत्र, गंध, चंदन आदि लगाना चाहिए।
- इसके बाद 16 प्रकार की संपूर्ण सामग्री एक एक करके अर्पित करें।
- पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें।
- ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
- नैवेद्य अर्पित करने के बाद अंत में शिवजी की आरती करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
- शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिए।
 
ये भी पढ़ें
Holi 2024: होलाष्टक, छोटी होली, होलिका दहन, धुलेंडी, होली और रंग पंचमी के त्योहार की परंपरा