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Written By अनिरुद्ध जोशी

गंडा ताबीज पहनना कितना उचित, कहीं इससे नुकसान तो नहीं?

गंडा ताबीज पहनना कितना उचित, कहीं इससे नुकसान तो नहीं? | tabiz ganda
मंत्र या आयत पढ़कर गांठ लगाया हुआ वह धागा जो रोग या प्रेतबाधा दूर करने के लिए गले या हाथ में बांधते हैं उसे गंडा कहते हैं जबकि किसी कागज, ताड़पत्र या भोजपत्र पर मंत्र लिखकर उसे किसी किसी पीतल, लोहे, चांदी या तांबे की आधा इंची पेटी में बंद कर उस पेटी को गले में लटकाने या बाजू में बांधने वाली वस्तु को ताबीज या तावीज़ कहते हैं। ताबीज को अंग्रेजी में टैलिस्मन या ऐम्युलेट कहते हैं और हिन्दी में इसे कवच कहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि यह गंठा या ताबीज कितना सही होता है या इसे बांधना चाहिए या नहीं।
 
गंडा-ताबीज करना प्रत्येक देश और धर्म में मिलेगा। चर्च, दरगाह, मस्जिद, मंदिर, सिनेगॉग, बौद्ध विहार आदि सभी के पुरोहित लोगों को कुछ न कुछ गंडा-ताबीज देकर उनके दुख दूर करने का प्रयास करते रहते हैं। हालांकि कई तथाकथित बाबा, संत और फकीर ऐसे हैं, जो इसके नाम पर लोगों को ठगते भी हैं। यह एक तरह का प्लेसीबो (placebo) है। इसे हिन्दी में कूट भेषज कहते हैं। यह वहम का इलाज करने की चिकित्सा मानी जाती है और यदि वहम नहीं हुआ सचमुच बीमारी या कोई संकट हुआ तो यह प्रभावहीन होता है। यह व्यक्ति के विश्वास पर काम करता है।
 
 
गंडे ताबीज का नुकसान : मनमाने तरीके या किसी अपवित्र ओझा, तांत्रिक, फकीर, मौलवी या सड़क किनारे ताबीज बेचने वाले लोगों से प्राप्त गंडा या ताबीज आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है। इन गंडे-ता‍बीजों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है अन्यथा ये आपको नुकसान पहुंचाने वाले सिद्ध होते हैं। जो लोग इन्हें पहनकर शराब आदि का नशा करते हैं या किसी अपवित्र स्थान पर जाते हैं उनका जीवन कष्टमय हो जाता है।
 
मारण, उच्चाटन, वशीकरण, भूत-प्रेत बाधा मुक्ति या धर्मान्तरण आदि के हेतु गंडे या ताबीज का प्रचलन जोरशोर से होता है। अखबारों में लुभावने विज्ञापन या अन्य किसी धर्म प्रचारक की बातें सुनकर सामान्य व्यक्ति उनके जाल में फंस जाता है।
 
मान्यता : मान्यता अनुसार अच्छे, शुभ गंडे-ताबीज असरदायक होते हैं। कहते हैं कि गंडा बांधना या गले में ताबीज पहनने से सभी तरह की बाधाओं से बचा जा सकता है। किसी की बुरी नजर से बचने, भूत-प्रेत या मन के भय को दूर करने या किसी भी तरह के संकट से बचने के लिए गंडा-ताबीज का उपयोग किया जाता है। यदि आपके मन में विश्वास है कि यह गंडा-ताबीज मेरा भला करेगा तो निश्चित ही आपको डर से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन यह एक झूठी दिलासा से ज्यादा कुछ नहीं। 
 
प्राचीनकाल से ही ताबीज दो प्रकार के होते हैं। एक व्यक्तिगत और दूसरा सामान्य। व्यक्तिगत को व्यक्ति शरीर पर धारण किया जाता है जबकि सामान्य को किसी मंदिर या घर के द्वार, दीवार, गांव के प्रवेश द्वार और चौराहे पर पर जड़ा जाता है जिसे कवच कहते हैं। 
 
गंडे ताबीज का इतिहास : इतिहासकार मानते हैं कि ताबीज का प्रचलन प्रगैतिहासिक काल से ही प्रचलन रहा है। हालांकि कि इसका नाम उस काल से अब तक बदलता रहा लेकिन यह किसी न किसी रूप में गंडा जरूर रहा है। पहले लोग किसी न किसी रंगीन पत्‍थर का टूकड़ा, बीज, फल, जड़ या पवित्र वस्तु अपने पास इसलिए रख लेता था कि कहीं न कहीं इसकी वजह से मेरे परिवार या मेरे मवेशियों की रक्षा होगी। इसी तरह की वस्तुओं की बाद में शरीर पर बांधने की प्रथा चल पड़ी। बाद में इस प्रथा का समाज के पूरोहित तरह के लोगों ने इसे एक धार्मिक लुक दिया। कहते हैं कि प्राचीन मोसोपोटामिया के लोगों में ताबीज को लेकर बहुत ज्यादा प्रचलन था। मिश्र के मकबरों में भी ताबीज पाए गए हैं।
 
 
भारत में ताबीज बांधने का प्रचलन मध्यकाल काल ज्यादा था। इससे पहले भारत में कवच मंत्र पढ़कर नाड़ा बांधने का प्रचलन ही था। कहते हैं कि अथर्ववेद की कई बातों का प्रचलन अरब, रोम और यूनान के लोगों के बीच था। वहां ताबीज बांधने का प्रचलन ज्यादा था। अथववद (10.6.2—3) में हल से तैयार किए गए एक ताबीज का उल्लेख किया गया है। शतपथ ब्राह्मण (13—2.2.16-19) में भी इसका उल्लेख मिलता है।
 
क्या कहती है लाल किताब : लाल किताब ग्रहों की विशेष स्‍थिति अनुसार जातक को किसी संत या साधु से गंडा ताबीज लेने की मनाही की गई है। बाजू अर्थात कुंडली का पराक्रम भाव होता है यहां आपको कोई वस्तु धारण करना चाहिए या नहीं, किस धातु की वस्तु धारण करना चाहिए या नहीं यह विचार किया जाता है। उसी तरह आपका गला कुंडली का लग्न स्थान होता है। गले में आपको ताबीज या लॉकेट पहना चाहिए या नहीं या विचारणीय विषय है।
 
 
गला हमारा लग्न स्थान होता है और लॉकेट पहनने से हमारा हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं। अत: लॉकेट सिर्फ तीन तरह की धातु का ही पहनना चाहिए पीतल, चांदी और तांबा। सोना भी सोच-समझकर ही पहने। यह भी देखना जरूरी है कि लॉकेट किस प्रकार का है। ॐ बना हुआ या फिर हनुमानजी का लॉकेट ही पहनना चाहिए। इसके अलावा आप मात्र एक गोल धातु का लॉकेट भी पहने सकते हैं। धातु का गोल होना इसलिए जरूरी है कि इससे आपके आसपास ऊर्जा का वर्तुल सही बनेगा। इसके और भी कई लाभ हैं। हालांकि ताबीज और लॉकेट किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पहनना चाहिए।

कॉफीराइट वेबदुनिया