मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी

हिंदू धर्मानुसार कैसे और कब सोएं?

हिंदू धर्मानुसार कैसे और कब सोएं? | sleep rule in hinduism
हिंदू धर्म में जीवन की हर हरकत, कर्म, संस्कार, रीति-रिवाज, दिनचर्या, समाज, रिश्ते, देश, समय, स्थान आदि को नियम, अनुशासन और धर्म से बांधा है। कहना चाहिए कि नियम ही धर्म है। पर्याप्त नींद लेना क्यों जरूरी है और सोते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए इस संबंध में हिंदू धर्म में विस्तार से उल्लेख मिलता है। आओ जानते हैं नींद से जुड़े सामान्य नियम।
 
 
पर्याप्त नींद लेना जरूरी :
पर्याप्त सोना या नींद लेना बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी कार्य है। यदि आप 7 से 8 घंटे नहीं सोते हैं तो आपकी आयु घटती जाएगी या आपको मानसिक या शारीरिक रोग उत्पन्न होने लगेंगे। अत: कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। कम सोना या ज्यादा सोना नुकसान दायक होता है। अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। 
 
बिस्तर होना चाहिए बेहतर :
आप जिस बिस्तर पर 24 में से 7 या 8 घंटे बिता रहे हैं उस बिस्तर का बेहतर होना भी जरूरी है। यदि बिस्तर ज्यादा मुलायम या ज्यादा कड़क होगा तो शरीर को उससे नुकसान होगा। जिस बिस्तर पर हम 7 से 8 घंटे रहते हैं यदि वह हमारी मनमर्जी का है तो शरीर के सारे संताप मिट जाते हैं। दिनभर की थकान उतर जाएगी। अत: बिस्तर सुंदर, मुलायम और आरामदायक तो होना ही चाहिए, साथ ही वह मजबूत भी होना चाहिए। चादर और तकिये का रंग भी ऐसा होना चाहिए, जो हमारी आंखों और मन को सुकून दें।
 
 
उचित दिशा में सोएं :
धर्मशास्त्रों के अनुसार सोते समय आपके पैर दक्षिण या पूर्व दिशा में नहीं होने चाहिये। इसका मतलब यह कि आपके पैर पश्चिम या उत्तर दिशा में होने चाहिये। इसका मतलब यह भी कि आपका सिर पूर्व या दक्षिण में होना चाहिए। दरअसल, पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी (North pole) तथा दक्षिण ध्रुव (South pole) में चुम्बकीय प्रवाह (Magnetic flow) होता है। उत्तरी ध्रुव पर धनात्मक (+) प्रवाह तथा दक्षिणी ध्रुव पर ऋणात्मक (-) प्रवाह होता है। उसी तरह मानव शरीर में भी सिर में धनात्मक (+) प्रवाह तथा पैरों में ऋणात्मक (-) प्रवाह होता है। विज्ञान के अनुसार दो धनात्मक (+) ध्रुव या दो ऋणात्मक (-) ध्रुव एक दूसरे से दूर भागते हैं। अत: यदि आप दक्षिण में पैर करके सोते हैं तो आपके स्वास्थ्य के लिए यह हानिकारक साबित होता है।
 
 
पूर्व दिशा में सिर करके क्यों सोते हैं?
संपूर्ण जीवन पूर्व से पश्चिम की ओर बहर रहा है। सूर्य पूर्व से उदय होकर पश्चिम में अस्त होता है। उर्जा की इस धारा के विपरित प्रवाह में सोने अच्छा नहीं अर्थात पूर्व की ओर पैर करने सोने अच्छा नहीं माना जाता। दूसरी ओर ऐसा करने से सूर्य देव का अपमान होता है। ज्योतिषानुसार सूर्य देव की ओर सिर करने सोने से मानसिक और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।...इसलिए हमेशा दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर ही सिर करके सोना चाहिए।
 
 
पैरों को दरवाजे की दिशा में भी न रखें। इससे सेहत और समृद्धि का नुकसान होता है। पूर्व दिशा में सिर रखकर सोने से ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। दक्षिण में सिर रखकर सोने से शांति, सेहत और समृद्धि मिलती है।
 
सोने से पूर्व करें भगवान का ध्यान : 
सोने से पूर्व आप बिस्तर पर वे बातें सोचें, जो आप जीवन में चाहते हैं। जरा भी नकारात्मक बातों का खयाल न करें, क्योंकि सोने के पूर्व के 10 मिनट तक का समय बहुत संवेदनशील होता है जबकि आपका अवचेतन मन जाग्रत होने लगता है और उठने के बाद का कम से कम 15 मिनट का समय भी बहुत ही संवेदनशील होता है। इस दौरान आप जो भी सोचते हैं वह वास्तविक रूप में घटित होने लगता है। अत: धर्मशास्त्र अनुसार सोने से पूर्व आप अपने ईष्ट का ध्यान और नाम जप करके के बाद ही सोएं।
 
 
हम कब सोएं और कब उठे?
रात्रि के पहले प्रहर में सो जाना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संध्यावंदन करना चाहिए। लेकिन आधुनिक जीवनशैली के चलते यह संभव नहीं है तब क्या करें? तब जल्दी सोने और जल्दी उठने का प्रयास करें। अधिकतर लोग रात्रि के दूसरे प्रहर में सो जाते हैं। रात के दूसरे प्रहर को निशिथ कहते हैं। यह प्रहर रात की 9 बजे से रात की 12 बजे के बीच का होता है।
 
रात्रि के अंतिम प्रहर को उषा काल कहते हैं। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है। इस प्रहर में उठकर नित्यकर्मों से निपटकर पूजा, अर्चना या ध्यान करने से लाभ मिलता है। अधिकतर लोग सुबह के प्रथम प्रहर अर्थात 6 से 9 के बीच उठते हैं, जबकि इस दौरा व्यक्ति के सभी नित्य कार्यों से निवृत्त हो जाना चाहिए। दिन के दूसरे प्रहर को मध्याह्न भी कहते हैं। यह प्रहर सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक का रहता है। इस प्रहर में उठने से हमारे दिन के सभी कार्य अवरूद्ध हो जाते हैं। इस प्रहर में हमारा मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय होता है इसलिए कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। कार्य करने के समय में सोते रहने से भविष्य में संघर्ष बढ़ जाता है।
 
 
हम कैसे लेटे?
हमें शवासन में सोना चाहिए इससे आराम मिलता है कभी करवट भी लेना होतो बाईं करवट लें। बहुत आवश्यक हो तभी दाईं करवट लें। सिर को हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में रखकर ही सोना चाहिए। पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से लंबी उम्र एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। 
 
अन्य नियम : 
1. सोने से पूर्व प्रतिदिन कर्पूर जलाकर सोएंगे तो आपको बेहद अच्‍छी नींद आएगी और साथ ही हर तरह का तनाव खत्म हो जाएगा। कर्पूर के और भी कई लाभ होते हैं।
 
 
2. झूठे मुंह और बगैर पैर धोए नहीं सोना चाहिए।
 
3. अधोमुख होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटे हुए पलंग पर तथा गंदे घर में नहीं सोना चाहिए।
 
4. कहते हैं कि सीधा सोए योगी, डाबा सोए निरोगी, जीमना सोए रोगी। शरीर विज्ञान कहता है कि चित्त सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचता है जबकि औंधा सोने से आंखों को नुकसान होता है।
 
5. सोने से 2 घंटे पूर्व रात का खाना खा लेना चाहिए। रात का खाना हल्का और सात्विक होना चाहिए।
 
 
6. अच्छी नींद के लिए खाने के बाद वज्रासन करें, फिर भ्रामरी प्राणायाम करें और अंत में शवासन करते हुए सो जाएं।