शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

सैकड़ों त्योहार, पर्व, उत्सव और व्रतों में से कौन-सा धर्मसम्मत है?

सैकड़ों त्योहार, पर्व, उत्सव और व्रतों में से कौन-सा धर्मसम्मत है? - hindu festival
त्योहार, पर्व, उत्सव, उपवास और व्रत सभी का अर्थ अलग-अलग है। उक्त सभी में से हम 2 को चुनते हैं- उत्सव और व्रत। हिन्दू धर्म के सभी उत्सव और व्रत का संबंध सौर मास, चन्द्र मास और नक्षत्र मास से है। इसके अलावा किसी की जयंती मनायी जाती है।
उत्तरायन सूर्य : सौर मास के अनुसार जब सूर्य उत्तरायण होता है, तब अच्‍छे दिन शुरू होते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने से उत्सव शुरू होते हैं। सूर्य जब धनु राशि से मकर में जाता है, तब उत्तरायण होता है इसलिए उत्सवों में मकर संक्रांति को सर्वोपरि माना गया है।
 
सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रां‍तियां होती हैं उनमें से 4 का महत्व है- मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति। वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ, संक्रांति विष्णुपद संज्ञक हैं। मिथुन, कन्या, धनु, मीन संक्रांति को षडशीति संज्ञक कहा गया है। मेष, तुला को विषुव संक्रांति संज्ञक तथा कर्क, मकर संक्रांति को अयन संज्ञक कहा गया है।
 
उत्तरायन का समय देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है। वैदिक काल में उत्तरायन को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था। मकर संक्रांति के बाद माघ मास में उत्तरायन में सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। दक्षिणायन में सभी शुभ कार्य रोककर व्रत किए जाते हैं।
 
दक्षिणायन सूर्य : सूर्य जब दक्षिणायन होता है, तब व्रतों का समय शुरू होता है। व्रत का समय 4 माह रहता है जिसे चातुर्मास कहते हैं। चातुर्मास में प्रथम श्रावण मास को सर्वोपरि माना गया है।
 
* सौर मास 365 दिन का और चन्द्र मास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन 10 दिनों को चन्द्र मास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को 'मलमास' या 'अधिकमास' कहते हैं। जिन्हें हम राशियां मानते हैं वे सभी सौर मास के माह के नाम हैं और जो चैत्र आदि मास है वह चंद्र मास के माह है।
 
नोट : अत: सिद्ध हुआ कि उत्सवों में श्रेष्‍ठ मकर संक्रांति और व्रतों में श्रेष्ठ श्रावण मास ही है। उत्सवों में संक्रांति के अलावा दीपावली, होली, नवरात्रि, शिवरात्रि, रामनवमी, कृष्णजन्माष्टमी और नवसंवत्सर का भी महत्व है। व्रतों में श्रावण मास के  अलावा एकादशी और प्रदोष का ही महत्व है।
 
चन्द्रमास के नाम पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा जिस नक्षत्र में रहता है:
1. चैत्र : चित्रा, स्वाति।
2. वैशाख : विशाखा, अनुराधा।
3. ज्येष्ठ : ज्येष्ठा, मूल।
4. आषाढ़ : पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा।
5. श्रावण : श्रवण, धनिष्ठा।
6. भाद्रपद : पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र।
7. आश्विन : आश्विन, रेवती, भरणी।
8. कार्तिक : कृतिका, रोहिणी।
9. मार्गशीर्ष : मृगशिरा, उत्तरा।
10. पौष : पुनर्वसु, पुष्य।
11. माघ : मघा, आश्लेषा।
12. फाल्गुन : पूर्वाफाल्गुन, उत्तराफाल्गुन, हस्त।
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