मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. इतिहास
  4. brahmashira astra mantra
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 9 सितम्बर 2022 (15:27 IST)

क्या सच में था ब्रह्मास्त्र, किसने बनाया था, छोड़े जाने पर क्या होता है परिणाम, प्राचीन ग्रंथों में है उल्लेख

क्या सच में था ब्रह्मास्त्र, किसने बनाया था, छोड़े जाने पर क्या होता है परिणाम, प्राचीन ग्रंथों में है उल्लेख - brahmashira astra mantra
brahmastra weapon
ब्रह्मास्त्र नाम से एक फिल्म हाल ही में रीलिज हुई है, जिसमें रणबीर कपूर और आलिया भट्ट ने मुख्‍य किरदार निभाया है। ब्रह्मास्त्र का जिक्र हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। खासकर रामायण, महाभारत और अहिर्बुध्न्य संहिता में इसका उल्लेख किया गया है। ब्रह्मास्त्र को परमाणु बम की तरह माना जाता है। आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर और उनकी टीम ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन करके ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता को जानने का प्रयास किया। उन्होंने अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 का बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 
ब्रह्मास्त्र पर शोध : दुनिया का पहला परमाणु परिक्षण 16 जुलाई 1945 को किया गया। शोधकार्य के बाद विदेशी वैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था। 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोधकार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था वह परमाणु बम के समान ही था। डॉ. वर्तक ने 1969-70 में एक किताब लिखी ‘स्वयंभू’। इसमें इसका उल्लेख मिलता है। 
 
क्या है ब्रह्मास्त्र : ब्रह्मास्त्र एक परमाणु हथियार है जिसे दैवीय हथियार कहा गया है। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है। यह अस्त्र मंत्र से संचालित होता था। ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे-बड़े और व्यापक रूप से संहारक। इच्छित, रासायनिक, दिव्य तथा मांत्रिक-अस्त्र आदि। माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता है। महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं।
 
ब्रह्मास्त्र को छोड़े जाने का परिणाम : महर्षि वेदव्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 वर्षों तक पर्जन्य वृष्टि (जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति) नहीं हो पाती।' महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए। गौरतलब है कि हिरोशिमा में रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण गर्भ मारे गए थे और उस इलाके में 12 वर्ष तक अकाल रहा। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मंत्र, तंत्र और यंत्र के द्वारा उसका संचालन होता है। ब्रह्मास्त्र अचूक अस्त्र है, जो शत्रु का नाश करके ही छोड़ता है। इसका प्रतिकार दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही हो सकता है, अन्यथा नहीं। 
 
महाभारत में इसका वर्णन मिलता है- ''तदस्त्रं प्रजज्वाल महाज्वालं तेजोमंडल संवृतम।।'' ''सशब्द्म्भवम व्योम ज्वालामालाकुलं भृशम। चचाल च मही कृत्स्ना सपर्वतवनद्रुमा।।'' 8 ।। 10 ।।14।।- महाभारत
 
अर्थात : ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के बाद भयंकर वायु जोरदार तमाचे मारने लगी। सहस्रावधि उल्का आकाश से गिरने लगे। भूतमातरा को भयंकर महाभय उत्पन्न हो गया। आकाश में बड़ा शब्द हुआ। आकाश जलाने लगा पर्वत, अरण्य, वृक्षों के साथ पृथ्वी हिल गई।
 
किसने बनाया 'ब्रह्मास्त्र', : ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म (ईश्वर) का अस्त्र। वेद-पुराणों आदि में वर्णन मिलता है जगतपिता भगवान ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र की उत्पति की। प्राचीनकाल में शस्त्रों से ज्यादा संहारक होते थे अस्त्र। शस्त्र तो धातुओं से निर्मित होते थे लेकिन अस्त्र को निर्मित करने की विद्या अलग ही थी।
 
मानवों को कैसे मिला ब्रह्मास्त्र : प्रारंभ में ब्रह्मास्त्र देवी और देवताओं के पास ही हुआ करता था। प्रत्येक देवी-देवताओं के पास उनकी विशेषता अनुसार अस्त्र होता था। देवताओं ने सबसे पहले गंधर्वों को इस अस्त्र को प्रदान किया। गंधर्वों से बाद में यह इंसानों ने हासिल कर लिया।
lakshman parshuram samvad
किस किस के पास था ब्रह्मास्त्र : रामायण और महाभारतकाल में ये अस्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास था। रामायणकाल में जहां यह विभीषण और लक्ष्मण के पास यह अस्त्र था वहीं महाभारतकाल में यह द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृष्ण, कुवलाश्व, युधिष्ठिर, कर्ण, प्रद्युम्न और अर्जुन के पास था। अर्जुन ने इसे द्रोण से पाया था। द्रोणाचार्य को इसकी प्राप्ति राम जामदग्नेय से हुई थी। ऐसा भी कहा गया है कि अर्जुन को यह अस्त्र इंद्र ने भेंट किया था।
 
रामायण काल में ब्रह्मास्त्र : रामायण में मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी। हालांकि मेघनाद ने लक्ष्मण पर इसका प्रयोग कर दिया था, लेकिन चूंकि लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे इसलिए उनपर इसका असर नहीं हुआ। वे मात्र बेहोश हुए थे। उन्होंने ब्रह्मास्त्र का प्रतिकार नहीं किया बल्कि उसका सम्मान किया।
 
महाभारत काल में ब्रह्मास्त्र : महाभारत काल में कुरुक्षेत्र में अश्‍वत्‍थामा ने किया था ब्रह्मास्त्र का प्रयोग। जो व्यक्ति इस अस्त्र को छोड़ता था वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था लेकिन अश्वत्थामा को वापस लेने का तरीका नहीं याद था जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए थे। हालांकि यह भी कहते हैं कि उसके कारण उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु तय थी लेकिन श्रीकृष्ण से उसे बचा लिया था।
 
भारत में ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के मिले अवशेष :
 
- सिन्धु घाटी सभ्यता (मोहन जोदड़ो, हड़प्पा आदि) में हुए अनुसंधान से ऐसे कई नगर मिले हैं, जो लगभग 5000 से 7000 ईसापूर्व अस्तित्व में थे। इन नगरों में मिले नरकंकालों की स्थिति से ज्ञात होता है कि मानो इन्हें किसी अकस्मात प्रहार से मारा गया है। इसके भी सबूत मिले हैं कि यहां किसी काल में भयंकर ऊष्मा उत्पन्न हुई थी। इन नरकंकालों का अध्ययन करन से पता चला कि इन पर रेशिएशन का असर भी था।
 
-  दूसरी ओर शोधकर्ताओं के अनुसार राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग 10 मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर रेडियो एक्टिविटी की राख की मोटी परत जमी है। इस परत को देखकर उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला गया जिसके समस्त भवन और लगभग 5 लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।
 
- मुंबई से उत्तर दिशा में लगभग 400 किमी दूरी पर स्थित लगभग 2154 मीटर की परिधि वाला एक विशालकाय गड्ढा मिला है। शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी आयु लगभग 50,000 वर्ष है। इस गड्ढे के शोध के पता चलता है कि प्राचीनकाल में भारत में परमाणु युद्ध हुआ था।
ये भी पढ़ें
16 श्राद्ध कर्म करने का कौन-सा समय सबसे श्रेष्ठ, जब आते हैं पितृ