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अगले पन्ने पर किस पुत्र को मिला रशिया...
राजा अग्नीघ्र के तीसरे पुत्र इलावृत को जम्बूद्वीप का मध्य स्थान अर्थात आज का रशिया मिला। पुराणों के अनुसार इलावृत चतुरस्र है। इलावृत मुख्यरूप से हिन्दू धर्म का प्रमुख केंद्र था, जहां देवता और असुर रहते थे। मूलत: यह क्षेत्र दानवों का था।
'जम्बूद्वीप: समस्तानामेतेषां मध्य संस्थित:,
भारतं प्रथमं वर्षं तत: किंपुरुषं स्मृतम्,
हरिवर्षं तथैवान्यन्मेरोर्दक्षिणतो द्विज।
रम्यकं चोत्तरं वर्षं तस्यैवानुहिरण्यम्,
उत्तरा: कुरवश्चैव यथा वै भारतं तथा।
नव साहस्त्रमेकैकमेतेषां द्विजसत्तम्,
इलावृतं च तन्मध्ये सौवर्णो मेरुरुच्छित:।
भद्राश्चं पूर्वतो मेरो: केतुमालं च पश्चिमे।
एकादश शतायामा: पादपागिरिकेतव: जंबूद्वीपस्य सांजबूर्नाम हेतुर्महामुने।- विष्णु पुराण
अगले पन्ने पर, कैस्परियन सागर और हिंदुकुश के बीच का भाग किसे मिला..
राजा अग्नीघ्र के चौथे पुत्र केतुमाल को कैस्पिरियन सागर के आसपास के इलाके मिले जिसमें आज के तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किंगिस्तान, कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के अलावा अजरबैजान और रूस के कुछ इलाके शामिल हैं।
विष्णुपुराण के अनुसार इस क्षेत्र में चक्षु नदी (वंक्षु या आक्सस या आमू दरया) केतुमाल में प्रवाहित होती है। आमू या चक्षु नदी रूस के दक्षिणी भाग कैस्पियन सागर के पूर्व की ओर के प्रदेश में बहती है। विष्णुपुराण में चक्षु का पश्चिम को ओर और सीता या तरिम नदी को पूर्व की ओर माना है।
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राजा अग्नीघ्र के पहले और सबसे बड़े पुत्र नाभि को भारत के क्षेत्र मिले। भारतवर्ष को सबसे पहले हिमवर्ष कहते थे। बाद में इसका नाम अजनाभ खंड हुआ और फिर नाभिखंड हुआ। बाद में नाभि के पुत्र हुए ऋषभ। राजा और ऋषि ऋषभनाथ के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली। ऋषभदेव अपने पुत्र भरत को सत्ता सौंपकर वन चले गए। बाहुबली पहले ही वन चले गए थे। ऐसे में भरत ने सत्ता संभाली और तब से इस क्षेत्र का नाम भारत हो गया।