• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. »
  3. विचार-मंथन
  4. »
  5. विचार-मंथन
Written By WD

अब है स्मार्टफोन पत्रकारिता का जमाना

-अखिलेश शर्मा

अब है स्मार्टफोन पत्रकारिता का जमाना -
FILE
थॉम्सन फाउंडेशन के इस वर्ष के समर कोर्स में स्मार्टफोन रिपोर्टिंग का विषय भी शामिल है। फाउंडेशन के पूर्व छात्र रहअखिलेश शर्मा के लिए एक स्मार्टफोन अपरिहार्य है। शर्मबतला रहहैकि वे कैसे भारत में एक टीवी पत्रकार के तौर पर काम करते हुए मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

एक पत्रकार के लिए स्मार्टफोन विलासिता नहीं वरन एक जरूरत है। मुझे भारत में मोबाइल टेलीफोनी के शुरुआती दिनों की याद आती है। नब्बे के दशक की शुरुआत में मुझे एक नोकिया हैंडसेट दिया गया था जो कि एक ईंट जैसा दिखाई देता था और इसका वजन करीब 400 ग्राम रहा होगा।

तब मैं स्थानीय न्यायालयों की खबरों को कवर करता था और मुझे याद है कि मोबाइल फोन के आने से पहले मैं कोर्टरूम से भागकर एक लैंडलाइन कनेक्शन के लिए दौड़ लगाता था ताकि ब्रेकिंग न्यूज के बारे में ऑफिस से सम्पर्क कर सकूं। उस समय भारत में मोबाइल सर्विसेज बहुत महंगी होती थीं।

एक आउटगोइंग कॉल का प्रति मिनट मूल्य 18 भारतीय रुपए (0.33 अमेरिकी डॉलर) होता था और इनकमिंग कॉल्स का मूल्य इससे आधा हुआ करता था। इसलिए मेरे वरिष्ठों का कहना था कि मैं फोन का इस्तेमाल तब तक ना करूं जब तक कि समाचार बहुत बड़ा न हो, लेकिन अब वे दिन बीत चुके हैं और भारत में मोबाइल कॉल की दरें संभवत: दुनिया में सबसे कम हैं।

FILE
एक स्मार्टफोन के साथ मेरी शुरुआत एक ब्लैकबेरी से हुई थी। शुरुआत में यह मुख्य रूप से ऑफिस ईमेल को एक्सेस करने के लिए होता था। इससे मैं अपडेट्‍स भेजता और मेरी स्टोरीज फाइल करता था। इसके बाद ब्लैकबेरी मैसेंजर आया लेकिन इस एप्लीकेशन की हम लोगों को जानकारी नहीं थी। तब ब्लैकबेरी और भारत सरकार के सर्वर की एक्सेस को लेकर कोई विवाद था। इसी बीच में मुझे ऑफिस की ओर से आईफोन दिया गया और इसके बाद में हमेशा के लिए भूल गया कि मैं कभी ब्लैकबेरी भी इस्तेमाल करता था।

अब मेरी पत्रकारिता की दुनिया आईफोन के चारों ओर ही घूमती है। मैं इससे ईमेल भेजता हूं और हिंदी में अपने समाचारों को भेजता हूं। आईफोन पर एप्लीकेशन्स से बहुत मदद मिलती है। मेरे पास एक डिक्शनरी है और क्विक जैसे एप्लीकेशन वी‍डियो रिकॉर्ड करने और इसे ऑफिस भेजने में मदद करते हैं। इसे लाइव रिपोर्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

आईफोन का कैमरा बहुत ही अच्छा है। मेरे एक सहयोगी ने संसद के अंदर प्रधानमंत्री का एक संक्ष‍िप्त इंटरव्यू आईफोन पर रिकॉर्ड किया और इसे ऑफिस के लिए भेज दिया। कुछ जगहों पर सामान्य टीवी कैमरे इस्तेमाल नहीं करने दिए जाते हैं, लेकिन आप मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह हमारे लिए एक एक्सक्लूजिव और स्कूप था।

सोशल मीडिया : सोशल मीडिया एप्लीकेशन्स जैसे फेसबुक, ट्‍विट्‍र और यू-ट्‍यूब मेरी रिपोर्टिंग किट (सामग्री) के एक अनिवार्य भाग हैं। एक राजनीतिक संवाददाता होने के कारण इनसे मुझे बहुत मदद मिलती है क्योंकि इन दिनों बहुत सारे राजनीतिज्ञ सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही मैं स्थानीय ब्रॉडकास्टर्स और समाचार-पत्रों की एप्लीकेशंस रखता हूं जिससे कि जब और जहां ब्रेकिंग न्यूज होती है, मुझे इनसे एक एलर्ट मिल जाता है।

गूगल मैप्स जैसे एप्लीकेशंस ने मेरे नेवीगेशन को और अधिक आसान बना दिया है। इसके अलावा एक वॉयस रिकॉर्डर है। कई अवसरों पर मैंने अपना वॉयसओवर इसी पर रिकॉर्ड करवाया है और इसे ऑफिस को मेल कर दिया है। इसकी साउंड क्वालिटी भी बहुत अच्छी है।

आईफोन जैसे स्मार्टफोन्स 16 जीबी या इससे ज्यादा की इन बिल्ट मेमोरी के साथ आते हैं। इसलिए किसी को भी चिंता नहीं होनी चाहिए कि उसके कॉन्टेक्ट्‍स कितने हैं, या इसमें‍ कितने वीडियो हैं अथवा फोन में कितने फोटो स्टोर किए गए हैं। इसकी एक और खास बात यह है कि आपके कॉन्टेक्ट्‍स का आपके मेल बॉक्स से तालमेल बना रहता है। इसलिए अगर आपका फोन खो भी जाता है तो भी आपके कॉन्टेक्ट्‍स सुरक्षित बने रहते हैं।

और वास्तव में, इसके साथ एंग्री बर्ड्‍स और टेम्पल रन भी हैं लेकिन इन एप्लीकेशन्स का मतलब यह होता है कि जैसे ही मैं घर पहुंचता हूं कि बच्चे मुझसे फोन ले लेते हैं और इसे पाने के लिए उनमें जोर आजमाइश शुरु हो जाती है। एक स्मार्टफोन में कितना अधिक उपयोग करने को है। (लेखक एनडीटीवी के वरिष्ठ राजनीतिक संपादक हैं - साभार : थॉम्सन फाउंडेशन)

मूल आलेख के लिए यहां क्लिक करें