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Last Updated : शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (13:11 IST)

बमबारी के बीच कीव से 25 किमी पैदल चल पाकिस्‍तानी लड़की को भारतीय लड़के ने बचाया, लेकिन बॉर्डर पर खुद फंस गया

बमबारी के बीच कीव से 25 किमी पैदल चल पाकिस्‍तानी लड़की को भारतीय लड़के ने बचाया, लेकिन बॉर्डर पर खुद फंस गया - Indian boy rescued Pakistani girl walking 25 km from Kyiv amid bombing
यूक्रेन और रूस के युद्ध में कई तरह की दिलचस्‍प कहानियां सुनने को मिल रही हैं। दरअसल, यूक्रेन के पलायन को दुनिया का सबसे बड़ा पलायन बताया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि यूक्रेन से अब तक 10 लाख से ज्‍यादा लोग अलग-अलग देशों में पलायन कर चुके हैं। इस बीच पौलेंड और रोमानिया बॉर्डर पर पहुंच रहे लोगों को लेकर कई कहानियां सामने आ रही हैं।

एक ऐसी ही कहानी सोशल मीडि‍या में चर्चा में है। जिसमें एक पाकिस्‍तानी लड़की को एक भारतीय लड़के ने बचाया। लेकिन दुखद यह रहा कि बचाने वाला खुद ही बॉर्डर पर फंस गया। यानी अपनी जान को जोखि‍म में डालकर उसने भारतीय होकर भी पाकिस्‍तानी को बचाने की कोशि‍श की है।

इस शख्‍स का नाम अंकित है। और वह हरियाणा का रहने वाला है। यूक्रेन-रूस जंग में हरियाणा के अंकित की तारीफ पाकिस्तानी अफसर भी कर रहे हैं।

दरअसल, रूसी हमले के दौरान अंकित ने एक पाकिस्तानी लड़की की जान बचाकर उसे रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचाया। अंकित वहां पर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में यूक्रेनी भाषा का स्टूडेंट है।

मीडि‍या में आई खबरों के मुताबिक लगातार बमबारी हो रही थी, इस बीच आधी रात के आसपास उनके इंस्टीट्यूट से कुछ ही दूरी पर बम फटा। इसके बाद करीब 80 स्टूडेंट्स को बंकर में भेज दिया गया। इनमें अंकित अकेला भारतीय छात्र था। वहां एक पाकिस्तानी लड़की मारिया थी जो बेहद डरी हुई थी। वहां आसपास लगातार बमबारी होने पर अंकित ने सोचा कि पहले मारिया को निकाला जाना चाहिए।

अंकित ने वहां से निकलते हुए मारिया को भी साथ चलने के लिए कहा, मारिया तुरंत राजी हो गई। 28 फरवरी को दोनों कीव के बुगजाला रेलवे स्टेशन के लिए पैदल निकले।

दो दिन से न कुछ खाया और न ही कुछ पिया था। मारिया तो चल तक नहीं पा रही थी। अंकित ने उसका सामान उठाया और फायरिंग से बचते-बचाते 5 किमी पैदल चल स्टेशन पहुंचे। वहां भयानक भीड़ थी। तीन पहले ही जा चुकी थीं।

अंकित ने मीडि‍या को जानकारी दी कि उसी दिन शाम 6 बजे धक्का-मुक्की के बीच किसी तरह ट्रेन में चढ़े। एक घंटे के सफर के बाद ट्रैक के किनारे जबरदस्त ब्लास्ट हुआ।

फायरिंग शुरू हो गई। एक गोली खिड़की से होती हुई हमारे सिर के ऊपर से गुजरी। ट्रेन में सब सांस रोककर नीचे लेट गए। आखिर 1 मार्च को टर्नोपिल स्टेशन पहुंचे। वहां मारिया से पाकिस्तानी दूतावास के अफसरों मिले। उन्‍होंने हमें टर्नोपिल मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रखा और सारी व्यवस्था की।

पाकिस्तानी दूतावास ने अंकित की तारीफ करते हुए लिखा कि एक भारतीय लड़का अंकित पाकिस्‍तानी बेटी को हमारे पास लाया और हमारा बच्चा बच गया। बेटा! आपका बेहद शुक्रिया।

इसके बाद दोनों को पाकिस्तान दूतावास वालों ने अपने खर्च से टर्नोपिल से रोमानिया बॉर्डर के लिए बस से रवाना किया। बस ड्राइवर ने हमें 15-20 किमी पहले ही छोड़ दिया। वहां से पैदल ही बॉर्डर तक जाना पड़ा। बॉर्डर पर पहुंचा तो हजारों लोग थे। अभी तक हमें रोमानिया कैंप में एंट्री नहीं मिल पाई है। मैं बुधवार से भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहा हूं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है। तापमान माइनस में है। मुझे बुखार है और शरीर बुरी तरह दर्द कर रहा है। अभी किसी प्रकार की मेडिकल हेल्प नहीं मिल पाई है।